श्रीराम से पहले इन 4 योद्धाओं ने परास्त किया था लंकापति रावण को

Mon, Apr 20, 2020
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Mon, Apr 20, 2020
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
श्रीराम से पहले इन 4 योद्धाओं ने परास्त किया था लंकापति रावण को

पौराणिक कथानुसार रामायण(Ramayan) काल में लंकापति रावण को हराने वाले केवल मर्यादा पुरुषोत्तम राम माने जाते हैं। कहा जाता है कि रावण इतना शक्तिशाली था कि उसने तीनों लोकों पर अधिपत्य जमा रखा था। उसने राहु-केतु को भी अपने कब्जे में कर रखा था। लेकिन सतयुग में केवल रावण को हराने वाले श्रीराम(Ram) ही नहीं बल्कि 4 और लोग भी थे जिनके सामने रावण को घुटने टेकने पड़े थे। भगवान राम के अलावा शिवजी, राजा बलि, बालि और सहस्त्रबाहु अर्जुन ने भी दशानन को हराया था। तो चलिए आज हम आपको उन चारों से लंकेश कब और कैसे हारा था विस्तार से बताते हैं। 

 

एस्ट्रोयोगी पर देश के प्रसिद्ध वैदिक ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।

 

बालि से पराजित हुआ रावण

एक बार रावण(Ravan)  बालि से युद्ध करने पहुंच गया था। बालि उस समय संध्या पूजन करने में व्यस्त था। रावण उसके महल के बाहर जोर-जोर से बालि को ललकार रहा था, जिसकी वजह से बालि को पूजन में विघ्न पैदा हो रहा था। जब बालि महल से बहार नहीं निकला तो रावण उसके महल में जा पहुंचा। इससे क्रोधित होकर बाली ने रावण को अपने कांख में दबा लिया और बगल में दबाकर समुंदर की परिक्रमा पूरी की। कांख में दबे रहने के कारण लंकापति का दम घुटने लगा और उन्होंने बाली से क्षमायाचना की और हार को स्वीकार कर लिया। दरअसल बालि को वरदान था कि जो उसके सामने युद्ध के लिए आएगा उसका आधा बल उसके पास चला जाएगा। 

 

सहस्त्रबाहु अर्जुन से रावण की हार

भगवान विष्णु का 24वां अवतार सहस्त्रबाहु अर्जुन को माना जाता है। सहस्त्रबाहु अर्जुन को रावण से भी अधिक शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि उसने रावण को हरा दिया था। एक बार लंकापति रावण सहस्त्रबाहु के नगर के पास स्थित नर्मदा नदी के तट पर भगवान शिव की आराधना करने पहुंचा। उसी नदी में सहस्त्रबाहु अपनी पत्नियों संग जलक्रीडा करने में मग्न था। सहस्त्रबाहु ने अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया था, जिससे किनारों पर तेज सी जलस्तर बढ़ने लगा। रावण को जब पता चला कि यह कारनामा सहस्त्रबाहु अर्जुन ने किया है तो वह काफी क्रोधित हुआ और सहस्त्रबाहु को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन सहस्त्रबाहु अपने हजार हाथों से रावण को बंदी बना लिया। जब रावण के दादा ऋषि पुलस्त्य को पता चला तो उन्होंने सहस्त्रबाहु से रावण को छोड़ने का निवेदन किया और फिर सहस्त्रबाहु ने रावण को छोड़ दिया। 

 

राजा बलि के महल में रावण की हार

लंकापति रावण की शक्तियों से तीनों लोक कांपते थे। उसे अपनी शक्तियों पर काफी घमंड था इसलिए एक बार रावण पाताल लोक पर अपना अधिकार जमाने के लिए राजा बलि से युद्ध करने पहुंच गया, परंतु रावण बलि की शक्तियों को भलिभांति जानता था। रावण पाताल लोक भेष बदलकर पहुंच गया, लेकिन जब रावण बलि के महल पहुंचा तो उसकी विचित्र भेषभूषा देखकर वहां खेल रहे बच्चों ने उसे घोड़े के अस्तबल में बांध दिया। तमाम कोशिशों के बाद रावण उन बंधनों से मुक्त नहीं हो पाया। जब इस बात की जानकारी राजा बलि को मिली तो रावण ने उनसे मुक्त होने के लिए निवेदन किया। 

 

शिवजी से रावण की हार

एक बार महाबलशाली, महाज्ञानी और प्रकांड पंडित रावण को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया था। अपनी शक्तियों के आगे वह दूसरों को तुच्छ समझने लगा था। एक बार रावण का घमंड उसके सिर पर इस तरह चढ़ गया कि उसने भगवान भोलेनाथ को युद्ध के लिए ललकारा था और भोलेनाथ से युद्ध करने के लिए वह कैलाश पर्वत जा पहुंचा। उस वक्त भगवान शिव ध्यान लगाकर बैठे थे तो रावण ने उन्हें कैलाश पर्वत सहित उठाकर फेंकने का विचार बनाया और वह पर्वत को उठाने लगा। रावण की इस हरकत को देखकर शिवशंभू ने अपने अंगूठे के बल पर कैलाश पर्वत को स्थिर कर दिया और रावण का हाथ पर्वत के नीचे ही दब गया। कैलाश के नीचे हाथ दबा होने की वजह से रावण दर्द से करहाने लगा। रावण ने बहुत प्रयास किया लेकिन वह सफल नहीं हुआ वहीं दशानन ने खड़े होकर शिव तांडव स्त्रोत की रचना कर दी। इस स्त्रोत की वजह से भगवान भोलेनाथ उससे प्रसन्न हो गए और उसे मुक्त कर दिया। 

article tag
Hindu Astrology
Spirituality
article tag
Hindu Astrology
Spirituality
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!