पूर्णिमा यानि चंद्रमास का वह दिन जिसमें चंद्रमा पूर्ण दिखाई देता है। पूर्णिमा का धार्मिक रूप से बहुत अधिक महत्व माना जाता है। हिंदूओं में तो यह दिन विशेष रूप से पावन माना जाता है। चैत्र मास चूंकि हिंदू वर्ष का प्रथम चंद्र मास होता है इस कारण चैत्र पूर्णिमा को विशेष रूप से भाग्यशाली माना जाता है। इस दिन पूर्णिमा का उपवास भी रखा जाता है और चंद्रमा की पूजा की जाती है। वर्ष 2020 में चैत्र पूर्णिमा का उपवास 7 अप्रैल को है।
चैत्र पूर्णिमा इसलिये भी पुण्य फलदायी मानी जाती है क्योंकि समस्त उत्तर भारत में इस दिन भगवान श्री राम के भक्त भगवान हनुमान की जयंती भी मनाई जाती है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान विष्णु के उपासक भगवान सत्यनारायण की पूजा कर उनकी कृपा पाने के लिये भी पूर्णिमा का उपवास रखते हैं।
हिंदू धर्म के मानने वाले कुछ समुदाय इस दिन अपनी कुल परंपरा के अनुसार भी चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखते हैं।
कहते हैं किसी भी व्रत व त्यौहार की पूजा विधिनुसार न हो तो उसका फल प्राप्त नहीं होता। ऐसे में व्रत व पूजा की विधि के बारे में जानना बहुत आवश्यक है। चैत्र पूर्णिमा बहुत ही शुभ फल देने वाली मानी जाती है। चैत्र पूर्णिमा का व्रत व्रती को निम्न विधि से रखना चाहिये-
सबसे पहले पूर्णिमा के दिन स्नानादि से निबट कर व्रत का संकल्प लेना चाहिये। इस दिन रात्रि के समय चंद्रमा की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिये एवं पूजा के पश्चात चंद्रमा को जल अर्पित करना चाहिये। चंद्रमा के पूजा के पश्चात अन्न से भरे घड़े को किसी योग्य ब्राह्मण या फिर किसी गरीब जरुरतमंद को दान करना चाहिये। मान्यता है कि ऐसा करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं और व्रती को मनोवांछित फल मिलता है। व्रती की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
चैत्र पूर्णिमा का उपवास वर्ष 2020 में 7 अप्रैल को है।
पूर्णिमा तिथि आरंभ – दोपहर 12:01 बजे (7 अप्रैल 2020)
पूर्णिमा तिथि समाप्त – प्रातः 08:04 बजे (8 अप्रैल 2020)
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