अक्षय नवमी पर करें आंवले के वृक्ष का पूजन मिलेगा शुभ फल

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 अक्षय नवमी पर करें आंवले के वृक्ष का पूजन मिलेगा शुभ फल

अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी के रूप में भी जाना जाता है। इस वर्ष 23 नवंबर 2020 को मनाई जाएगी। पंडितजी का कहना है कि मान्यता के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान विष्णु और लक्ष्मी के पूजन का विधान है। यह पर्व मुख्यरूप से भारत के उत्तर और मध्य में मनाया जाता है। यह पूजा खासतौर पर उत्तर भारत में की जाती है। अक्षय नवमी को दिवाली के पर्व के बाद मनाया जाता है। इस दिन से ही दक्षिण और पूर्व भारत में जगद्धात्री पूजा का महापर्व शुरू हो जाता है। इस दिन वृंदावन की परिक्रमा शुरू कर दी जाती है। खासतौर पर महिलाएं यह पूजा संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख सुविधाओं के लिए करती हैं। पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी आंवले के पेड़ पर निवास करती हैं। माना जाता है कि कार्तिक माह का अमर फल आंवला है और इसको पौराणिक दृष्टिकोण से रत्न जितना महत्व दिया जाता है। 

 

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आंवला एक ऐसा फल है जिससे कोई नुकसान नहीं है और इस फल को नौजवानी का फल भी कहते हैं। इसके सेवन से बुढ़ापा नहीं आता है, यह विटामिन सी से भरपूर फल है। आंवला के सेवन से बाल लंबे और घने होते हैं और यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है। यह स्किन को चमकदार और सुंदर बनाता है। अक्षय नवमी के दिन आवंले के पेड़ की सफाई करनी चाहिए। साथ ही पेड़ पर दूध एवं फल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद पुष्प अर्पित करना चाहिए और धूप, दीप और नैवेद्य़ दिखाना चाहिए। अक्षय नवमी का महत्व बिल्कुल अक्षय तृतीया के समान ही होता है। 


अक्षय नवमी का महत्व

  • धर्मग्रंथों के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु एवं शिवजी वास करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन अच्छे कार्य करने से कई जन्मों तक इसका पुण्य फल मिलता रहता है।
  • माना जाता है जो लोग अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं उन्हें असीम शांति मिलती है और जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। 
  • जो महिलाएं श्रद्धापूर्वक इस नवमी की पूजा करती हैं उन्हें उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
  • इस दिन पूजन करने से दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है और नवमी के दिन आंवले का सेवन करने से आपको कभी गैस की दिक्कत नहीं होती है।
  • मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से यदि आपकी थाली में आंवला या उसका पत्ता गिर जाए तो काफी शुभ माना जाता है और संकेत मिलता  है कि आप सालभर स्वस्थ्य रहेंगे।

 

अक्षय नवमी व्रत कथा

 

बहुत समय पहले काशी में एक व्यापारी और उसकी पत्नी रहती थी। व्यापारी की पत्नी काफी परेशान रहती थी क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी। एक दिन उसे किसी ने बताया कि अगर वह संतानप्राप्ति करना चाहती है तो उसे किसी जीवित बच्चे की बलि भैरव बाबा को चढ़ानी होगी। व्यापारी की पत्नी ने यह बात अपने पति को बताई परंतु व्यापारी ने अपनी पत्नी को इस तरह का कृत्य करने से मना कर दिया। लेकिन व्यापारी की पत्नी के मन से संतान प्राप्ति की लालसा कम नहीं हो पाई जिसकी वजह से उसने अपने पति से छिपकर और हत्या की परवाह किए बिना ही एक बच्चे को चुराया और उसकी बलि दे दी। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि व्यापारी की पत्नी कई रोगों से ग्रस्त हो गई। पत्नी की यह हालत देख व्यापारी काफी दुखी हुआ, लेकिन जब उसने इसका कारण पूछा तो पत्नी ने पूरी घटना के बारे में बता दिया। यह सुनकर व्यापारी काफी क्रोधित हुआ परंतु पत्नी की स्थिति देखकर वह काफी व्यथित था। व्यापारी ने अपनी पत्नी को निरोगी होने का उपाय बताया। उसने कहा कि यदि तुम पाप से मुक्ति पाना चाहती हो तो कार्तिक मास में गंगा स्नान करें और सच्चे मन से ईश्वर की प्रार्थना करें। व्यापारी की बात सुनकर पत्नी ने नियमबद्ध तरीके से पति की बात का पालन किया। 

 

व्यापारी की पत्नी से प्रसन्न होकर मां गंगा ने एक बूढ़ी औरत के रूप में दर्शन दिए और कहा कि यदि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन वह वृंदावन में आंवले के पेड़ के नीचे जाकर विधि पूर्वक पूजन करें तो वह पाप से मुक्ति पा सकती है। मां गंगा की सलाह मानकर व्यापारी की पत्नी ने विधि विधान से आंवला नवमी का व्रत किया, इससे शीघ्र ही उसके सभी कष्ट दूर हो गए और उसे स्वस्थ संतान की प्राप्ति हुई। 

 

अक्षय नवमी पूजन सामग्री 

  • आंवले का पौधा, पत्ते एवं फल, तुलसी के पत्ते एवं पौधा
  • कलश और जल
  • कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, चावल, नारियल, सूत का धागा 
  • धूप, दीप और नैवेद्य
  • ऋंगार का सामान, साड़ी-ब्लाउज और दान के लिए अनाज

 

अक्षय नवमी पूजन विधि

  • अक्षय नवमी के दिन प्रातकाल स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके महिलाओं को आंवला के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। 
  • इस दिन हो सके तो पूरे परिवार को आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करना चाहिए। 
  • यदि आपके घर के आसपास आंवले का पेड़ नहीं है तो आप आंवले के छोटे पौधे के पास ही पूजा कर सकते हैं और फिर भोजन कर सकते हैं।
  • अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करने का विशेष प्रावधान है।
  • इस दिन महिलाएं वृक्ष का दूध से अभिषेक करती हैं और पूरे विधि-विधान से पूजन करती हैं। 
  • ऋंगार का सामान, कपड़े किसी गरीब या ब्राह्मण को दान करती हैं। 
  • नवमी के दिन आंवले के पेड़ पर सफेद या लाल मौली के धागे को लेकर महिलाएं 8 या 108 बार परिक्रमा करें। इस परिक्रमा के बाद महिलाएं ऋंगार का सामान, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, चावल, नारियल आदि वस्तुओं को आवंले के पेड़ पर चढ़ाएं।
  • इसके बाद आंवले के पेड़ से ऋंगार का सामान लेकर सुहागिन को दान में दें।
  • आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर व्रतकथा सुनें और तत्पश्चात परिवार संग बैठकर भोजना करें। 

 

अक्षय नवमी शुभ मुहूर्त 

इस बार अक्षय नवमी 23 नवंबर 2020, सोमवार को मनायी जा रही है।

नवमी तिथि प्रारंभ - रात्रि 22 बजकर 51 मिनट (22 नवंबर 2020) से

नवमी तिथि समाप्त - रात्रि 12 बजकर 33 मिनट(24 नवंबर 2020) तक

 

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