अक्षय तृतीया 2024: अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू और जैन धर्म में एक अत्यधिक पूजनीय त्योहार है। यह त्योहार हिंदू और जैन समुदायों में खास महत्व रखता है। अक्षय तृतीया को नए बिजनेस शुरू करने, खरीदारी करने और आध्यात्मिक विकास और समृद्धि के लिए अनुष्ठान करने का एक शुभ अवसर माना जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया का पर्व हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय का अर्थ होता है, जिसका कभी क्षय न हो या फिर जिसका कभी नाश न हो। इस तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है, यानी इस तिथि पर किसी भी शुभ कार्य और मांगलिक कार्य को करने के लिए मुहूर्त का विचार नहीं करना पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ पर्व पर किया जाने वाले दान-पुण्य, पूजा-पाठ, जाप-तप और शुभ कर्म करने पर मिलने वाला फलों में कमी नहीं होती है। इस दिन सोने के गहने खरीदने और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।
साल 2024 में अक्षय तृतीया 10 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी। तृतीया तिथि 10 मई को सुबह 04:17 बजे शुरू होगी और 11 मई को सुबह 02:50 बजे तक होगी। पूजा के लिए पूजा मुहूर्त सुबह 05:49 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक रहेगा।
अक्षय तृतीया: शुक्रवार, मई 10, 2024 को
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त: सुबह 05:33 से दोपहर 12:18
अवधि: 06 घण्टे 44 मिनट्स
तृतीया तिथि प्रारम्भ - मई 10, 2024 को सुबह 04:17 बजे से,
तृतीया तिथि समाप्त - मई 11, 2024 को रात 02:50 बजे तक।
ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया धन, सौभाग्य और समृद्धि लाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किया गया कोई भी अच्छा कार्य, जैसे नया बिजनेस शुरू करना, संपत्ति खरीदना या निवेश करना, अच्छा फल देगा। यह भी माना जाता है कि इसी दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी।
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अक्षय तृतीया पर, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, पवित्र स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। फिर वे घर के मंदिर में दीपक जलाते हैं और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन इन देवताओं की पूजा करने से धन, समृद्धि और खुशी मिलती है।
अक्षय तृतीया पर दान करने या परोपकार के कार्य करने की भी परंपरा है। जरूरतमंदों को भिक्षा देना और गरीबों को खाना खिलाना पुण्य कर्म माना जाता है जो देने वाले की समृद्धि को कई गुना बढ़ा देता है।
सोना खरीदना अक्षय तृतीया के दिन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। बहुत से लोग सोने की महत्वपूर्ण खरीदारी, जैसे गहने या सोने के सिक्के, खरीदने के लिए इस दिन का इंतजार करते हैं।
अक्षय तृतीया पूरे भारत में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में, यह विभिन्न किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है और विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
उत्तर भारत के कई हिस्सों में, लोग दिन भर का उपवास रखते हैं और दान करते हैं। पश्चिमी राज्यों में, विशेषकर राजस्थान और गुजरात में, बर्तन या चाँदी की वस्तुएँ खरीदने का रिवाज है।
दक्षिण में, विशेष रूप से तमिलनाडु और केरल में, 'अक्षय तृतीया पूजा' या 'अखा तीज पूजा' नामक एक अनुष्ठान किया जाता है। इस दिन जातक नए बिजनेस शुरू करते हैं, नई संपत्ति खरीदते हैं, और गृह प्रवेश समारोह आयोजित करते हैं।
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जैन धर्म में भी अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने इसी दिन इक्षु रस (गन्ने का रस) पीकर अपना साल भर का उपवास तोड़ा था। जैन धर्म में इस दिन को इस घटना की याद में उपवास रखकर और गन्ने के रस से तोड़कर मनाते हैं।
अक्षय तृतीया, शाश्वत समृद्धि और सौभाग्य के वादे के साथ, एक ऐसा त्योहार है जो साझा करने और दान देने के भारतीय परम्परा से जुड़ा है। यह एक ऐसा दिन है जब लोग न केवल नई शुरुआत करते हैं बल्कि दान के कार्यों के माध्यम से सामाजिक कल्याण में भी योगदान देते हैं। आइए इस त्योहार की भावना को अपनाएं और अपने जीवन और अपने आस-पास के लोगों में खुशी और समृद्धि फैलाएं।