Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। एक साल में कुल 12 अमावस्या होती हैं। यह तिथि तब होती है जब चंद्रमा पूरी तरह से लुप्त हो जाता है और आकाश में अंधकार हो जाता है। हिंदू कैलेंडर में प्रत्येक मास दो पक्षों में विभाजित होता है। इसमें एक भाग कृष्ण पक्ष और दूसरा भाग शुक्ल पक्ष कहलाता है। कृष्ण पक्ष में चंद्रमा अपने सम्पूर्ण आकार से घटता चला जाता है। इस प्रकार जब चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देता तो उसे कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है। कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन ही अमावस्या कहलाता है। साल में जितनी अमावस्या तिथि होती हैं वो किसी खास पर्व से जुड़ी होती हैं। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अमावस्या का दिन पूजा-पाठ, ध्यान और पितरों की पूजा के लिए बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन आपको अपने पितरों को याद करते हुए गरीब, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों को दान देना चाहिए। इसके साथ ही सभी तरह के अनैतिक कार्यों से दूर रहना चाहिए। अमावस्या पर किए गए धार्मिक कार्यों का फल बहुत शुभ माना जाता है। आइए जानें 2025 में अमावस्या की तिथियाँ (amavasya tithi) और इस दिन से जुड़े कुछ खास उपाय।
अमावस्या वह समय होता है जब आपको पृथ्वी से चंद्रमा दिखाई नहीं देता। चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाने में करीब 28 दिनों का समय लेता है। इसमें 15 दिनों तक चंद्रमा पृथ्वी के एक हिस्से पर दिखाई देता है और दूसरे हिस्से पर दिखाई नहीं देता है। जब चंद्रमा पूर्ण रूप से हिंदुस्तान में दिखाई नहीं देता तो यह चरण हिंदू पंचांग में अमावस्या कहलाता है। यह हर माह में एक बार आती है और तिथि के अनुसार इसका धार्मिक महत्व बढ़ता है।
अमावस्या का दिन विशेष रूप से पूजा, व्रत और ध्यान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितरों की पूजा करने से वे संतुष्ट होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं। अमावस्या पर स्नान, दान और पवित्र नदी में तर्पण का भी विशेष महत्व है। कई लोग इस दिन अपने पितरों की शांति के लिए पिंडदान करते हैं और तर्पण करते हैं। इसके अलावा, अमावस्या पर किए गए मंत्र जाप और साधना से विशेष फल मिलता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, साल 2025 में अमावस्या कि तिथियां 29 जनवरी, 27 फरवरी, 29 मार्च, 27 अप्रैल, 26 मई, 25 जून, 24 जुलाई, 22 अगस्त, 21 सितंबर, 21 अक्टूबर, 19 नवंबर, और 20 दिसंबर हैं। यहां आपको अमावस्या व्रत और तिथियों के बारे विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकती है।
जनवरी 29, 2025, बुधवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 28 जनवरी, शाम 07:35 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 29 जनवरी, शाम 06:05 बजे तक
फरवरी 27, 2025, बृहस्पतिवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 27 फरवरी, सुबह 08:54 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 28 फरवरी, सुबह 06:14 बजे तक
मार्च 29, 2025, शनिवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 28 मार्च, शाम 07:55 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 29 मार्च, शाम 04:27 बजे तक
अप्रैल 27, 2025, रविवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 27 अप्रैल, सुबह 04:49 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 28 अप्रैल, रात 01:00 बजे तक
मई 26, 2025, सोमवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 26 मई, दोपहर 12:11 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 27 मई, सुबह 08:31 बजे तक
मई 27, 2025, मंगलवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 26 मई, दोपहर 12:11 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 27 मई, सुबह 08:31 बजे तक
जून 25, 2025, बुधवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 24 जून, शाम 06:59 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 25 जून, शाम 04:00 बजे तक
जुलाई 24, 2025, बृहस्पतिवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 24 जुलाई, रात 02:28 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 25 जुलाई, रात 12:40 बजे तक
अगस्त 22, 2025, शुक्रवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 22 अगस्त, सुबह 11:55 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 23 अगस्त, सुबह 11:35 बजे तक
अगस्त 23, 2025, शनिवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 22 अगस्त, सुबह 11:55 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 23 अगस्त, सुबह 11:35 बजे तक
सितम्बर 21, 2025, रविवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 21 सितम्बर, रात 12:16 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 22 सितम्बर, रात 01:23 बजे तक
अक्टूबर 21, 2025, मंगलवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 20 अक्टूबर, दोपहर 03:44 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 21 अक्टूबर, शाम 05:54 बजे तक
नवम्बर 19, 2025, बुधवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 19 नवम्बर, सुबह 09:43 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 20 नवम्बर, दोपहर 12:16 बजे तक
नवम्बर 20, 2025, बृहस्पतिवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 19 नवम्बर, सुबह 09:43 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 20 नवम्बर, दोपहर 12:16 बजे तक
दिसम्बर 19, 2025, शुक्रवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 19 दिसम्बर, सुबह 04:59 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 20 दिसम्बर, सुबह 07:12 बजे तक
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अमावस्या के दिन आपको काली चींटियों को चीनी मिला हुआ आटा खिलाना चाहिए। इस उपाय की मदद से आप अच्छे कर्म प्राप्त करेंगे और अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकेंगे।
अमावस्या का दिन पितरों की शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यही कारण है कि इस दिन पितरों का तर्पण करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देते हैं।
अमावस्या की तिथि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी बहुत शुभ मानी जाती है। अगर आप पितृ दोष का सामना कर रहे हैं तो आपको अमावस्या के दिन पितृ दोष पूजा करवानी चाहिए। यह पितृ दोष के प्रभावों को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।
आपको अमावस्या के दिन भूखे और जरूरतमंद लोगों को भोजन जरूर करवाना चाहिए। यह करने से कई गुना पुण्य मिलता है। इस दिन किए गए दान का महत्व बहुत अधिक होता है और इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
इससे आपको शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं और आपकी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती हैं।
अमावस्या तिथि पर व्रत भी रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ अमावस्या ऐसी भी होती हैं जिस पर व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से आपको शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
अमावस्या के दिन आप लोगों को अपने घर की शुद्धि भी अवश्य करनी चाहिए। घर का शुद्धिकरण करने के लिए आपको इस दिन घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
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