Char Dham Yatra Uttarakhand: उत्तराखंड देव की भूमि है। उत्तराखण्ड के हिमालय के हृदय में बसे हैं चार धाम। हिन्दू शास्त्रों में कहा जाता है कि जो इन चार धामों की यात्रा करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर साल, यहाँ दुनिया के सभी कोनों से भक्त दर्शन करने आते हैं, जो आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण दर्शन होते हैं। वर्ष 2024 में, चार धाम में शामिल सभी चारों धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के मंदिर खुलने का समय और तिथि अलग-अलग हैं। आइए इन चारों धाम के खुलने का समय और तिथि के बारें में जानते हैं।
10 मई अक्षय तृतीया को शुभ अभिजीत मुहूर्त में गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे। इसी तरह केदारनाथ धाम के कपाट भी 10 मई को खुलेंगे। तुंगनाथ धाम के कपाट 13 अप्रैल को बैशाखी के शुभ अवसर पर खुलेंगे। बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुलेंगे।
चार धाम की यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, जहां प्राचीन यमुना नदी चंपासर ग्लेशियर से निकलती है। 3,293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह पवित्र मंदिर पवित्रता की अवतार देवी यमुना को समर्पित है। तीर्थयात्री जानकी चट्टी से 6 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं, जो पहाड़ के दुर्गम रास्ते और हिमालय के लुभावने दृश्यों से होकर गुजरते हैं। सूर्य कुंड और दिव्य शिला के गर्म झरने, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें दिव्य शक्तियां हैं, आध्यात्मिक अनुभव को और समृद्ध करते हैं।
3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र गंगा नदी के उद्गम स्थल गंगोत्री स्तिथि है। यहां, भक्त आध्यात्मिक शुद्धि के लिए माँ गंगा का आशीर्वाद लेकर अपने पितरों को श्रद्धांजलि देते हैं। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में जनरल अमर सिंह थापा द्वारा निर्मित यह मंदिर हिमालय के गोद के बीच भक्ति के प्रमाण के रूप में खड़ा है। बर्फ से ढकी चोटियों और हरी-भरी हरियाली से घिरा यह मंदिर, माहौल शांति का अनुभव कराता है।
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केदारनाथ, बारह ज्योतिर्लिंगों में खास महत्व रखता है। यह 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मंदिर हैं। यह भगवान शिव के निवास के रूप में दुनियाभर में फेमस है। इस पवित्र स्थल की तीर्थयात्रा में एक चुनौतीपूर्ण यात्रा या घोड़े की सवारी, पहाड़ में बनें रास्तों और गिरते झरनों को पार करना शामिल है। प्राचीन केदारनाथ मंदिर, अपनी पत्थर की वास्तुकला और रहस्यमय आभा के साथ खड़ा है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप का सामना करने के बावजूद, यह मंदिर भक्तों को आकर्षित करता है और गहरी श्रद्धा और भक्ति की भावना को बढ़ावा देता है।
यात्रा का अंतिम चरण बद्रीनाथ में समाप्त होता है, जो नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित, यह पवित्र मंदिर शांति और उनकी दिव्य शक्ति के लिए जाना जाता है। बर्फ से ढकी ऊंची नीलकंठ चोटी, मंदिर को एक राजसी पृष्ठभूमि प्रदान करती है। तीर्थयात्री अलग-अलग अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं में भाग लेते हैं। आप यहाँ आध्यात्मिक जागृति और मोक्ष के लिए आशीर्वाद मांग सकते हैं।