Diwali Kab Hai: दीपावली पर्व भारत के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। दीपावली का त्योहार अच्छाई पर बुराई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन देशभर में लोग अपने घरों को दीपों और रंग बिरंगी लाइटों से सजाते हैं और विभिन्न प्रकार के पकवानों का मज़ा लेते हैं। दीपावली की रात में लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा भी करते हैं ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त हो सके। दीपावली पर्व लगभग पांच दिनों तक चलता है। इन पांच दिनों में नरक चतुर्दशी, धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज भी शामिल हैं। इस लेख में आप जानेंगे कि दीपावली कब की है deepawali kab hai, दीपावली क्यों मनाई जाती है, दीपावली पूजा का सही समय (Diwali Pooja Time) क्या है।
हर साल दीपावली का पर्व कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार, साल 2024 में दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024, गुरूवार को मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:45 से रात 8:30 तक होगा।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (diwali poojan time): शाम 6:45 से रात 8:30 बजे तक।
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 01 नवंबर 2024 को 06 बजकर 16 मिनट तक
*हालाँकि भारत के कुछ हिस्सों में 1 नवंबर को भी यह पर्व मनाया जायेगा। अगर कोई इस दिन लक्ष्मी पूजा करना चाहता है तो वह लक्ष्मी पूजन 1 नवंबर 2024 को शाम 05 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 16 मिनट तक कर सकता है।
धनतेरस- 29 अक्टूबर 2025
नरक चतुर्दशी/ छोटी दिवाली- 30 अक्टूबर 2025
गोवर्धन पूजा- 2 नवंबर 2024
भाई दूज- 3 नवंबर 2024
इस साल दिवाली पर प्रीति योग बन रहा है। यह योग इस पर्व की शुभता में वृद्धि कर सकता है और आपके लिए लक्ष्मी जी का आशीर्वाद लेकर आ सकता है।
दीपावली पर माता लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, ताजे फूल, पंचामृत, इतर, गंगाजल, चौकी, कलश, गेहूं ग्राम 5, नारियल, आम/अशोक के पत्ते या फिर आम के पत्ते, ताजे फल, कुमकुम, चंदन, अक्षत, हल्दी पाउडर, धनिए के बीज, पान का पत्ता, शहद, दूध, माला, सिन्दूर, धूप, दो दीपक, आसन, कपूर, घी और तेल, मिठाइयां, पंचमेवा, बताशा, मुरमुरेयट, गुड़, सुपारी कुर, लौंग, इलायची, मजीठा, लंबी बाती, हल्दी गांठ दीपावली पूजा सामग्री (deepavali pooja samagri) में विशेष महत्व रखते हैं।
पूजा के लिए ईशान कोण या उत्तर दिशा का चयन करें। सबसे पहले वहां स्वास्तिक बनाएं और लाल कपड़े से ढककर एक चौकी रखें। चौकी पर एक मुट्ठी अनाज रखें।
चौकी पर लक्ष्मी-गणेश और कुबेर जी की मूर्तियां रखें। ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी की मूर्ती गणेश जी के दाहिने ओर रखी जाए। पूजा स्थल और सभी देवी-देवताओं की मूर्तियों को गंगाजल से पवित्र कर लें।
चौकी पर रखे अनाज के बीच में पानी से भरा कलश रखें। कलश के भीतर सुपारी, गेंदे का फूल, सिक्का और कुछ चावल के दानें डालें। उस कलश को आम के पत्ते और नारियरल से सजाएं।
दीपावली पूजन शुरू करने के लिए, सबसे पहले पीले फूलों को हाथ में लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें। इसके बाद गणेश जी को अक्षत लगाएं और प्रसाद का भोग लगाएं ।
इसके बाद लक्ष्मी जी की पूजा शुरू करें। सबसे पहले लक्ष्मी जी के नाम से एक दीपक जलाएं और माँ लक्ष्मी का रोली व चावल से तिलक करें। ध्यान रहे लक्ष्मी जी का दीपक आपको रात भर जलाकर रखना होगा।
देवी लक्ष्मी को फूल, धूप, मिठाई, धनिया के बीज, कपास के बीज, सूखी साबुत हल्दी, चांदी का सिक्का, रुपये, सुपारी और कमल के फूल अर्पित करें।
पूजा के दौरान मां लक्ष्मी और गणेश जी के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में शांति व समृद्धि बनी रहती है।
हिंदू धर्म में दीपावली का महत्व बहुत अधिक है। दीपावली का पर्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम जब अपने 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या नगरी में चारों ओर खुशी की लहर थी। अयोध्या की प्रजा अपने प्रभु के दर्शनों के लिए बहुत उत्साहित थी। इसलिए जब श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाकर नगर को सजाया था। उस दिन से दीपों के इस पर्व को 'दीपावली' के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है। आज भी लोग इसे प्रकाश के त्योहार को उतने ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। इसके साथ ही, इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का रिवाज़ भी है। यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आती हैं और भक्तों को धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने का विधान है।