महालक्ष्मी योग में मनेगी दिवाली: 31 अक्टूबर को पूजा के 6 मुहूर्त, जानिए लक्ष्मी पूजन की सामग्री, कुबेर और तिजोरी की पूजा विधि

Wed, Oct 30, 2024
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महालक्ष्मी योग में मनेगी दिवाली: 31 अक्टूबर को पूजा के 6 मुहूर्त, जानिए लक्ष्मी पूजन की सामग्री, कुबेर और तिजोरी की पूजा विधि

Shubh muhurat Diwali laxmi puja timings 2024: दिवाली के पावन अवसर पर लक्ष्मी, गणेश, और कुबेर की पूजा विशेष महत्व रखती है। मान्यता है कि इस पूजा से घर में सुख, समृद्धि, और धन का वास होता है। आइए जानते हैं लक्ष्मी, गणेश, और कुबेर पूजा विधि, सामग्री, और महत्वपूर्ण मंत्रों के बारे में विस्तार से।

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (diwali poojan time)

हर साल दीपावली का पर्व कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार, साल 2024 में दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024, गुरूवार को मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:45 से रात 8:30 तक होगा।

गृहस्थों के लिए

शाम 5:00 से 6:30 तक

शाम 5:37 से 7:00 बजे तक

शाम 7:15 से रात 8:45 तक

विद्यार्थियों के लिए

शाम 6:48 से रात 8:48 तक

व्यापारियों के लिए

शाम 7:15 से रात 8:45 तक 

रात 1:15 से 3:27 तक

किसानों के लिए

शाम 5:45 से 7:15 तक

*हालाँकि भारत के कुछ हिस्सों में 1 नवंबर को भी यह पर्व मनाया जायेगा। अगर कोई इस दिन लक्ष्मी पूजा करना चाहता है तो वह लक्ष्मी पूजन 1 नवंबर 2024 को शाम 05 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 16 मिनट तक कर सकता है।

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पूजा का महत्व

  • लक्ष्मी: मां लक्ष्मी धन, ऐश्वर्य, और सुख-समृद्धि की देवी हैं। दिवाली पर उनकी पूजा से घर में संपन्नता और सुख-शांति बनी रहती है।

  • गणेश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभारंभ के देवता माना जाता है। उनकी पूजा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है।

  • कुबेर: धन के स्वामी कुबेर की पूजा से आर्थिक स्थिरता और व्यापार में वृद्धि होती है।

लक्ष्मी, गणेश और कुबेर पूजा सामग्री

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची:

  • लक्ष्मी, गणेश, और कुबेर जी की मूर्तियां या तस्वीरें

  • चावल, हल्दी, कुमकुम, सुपारी, फूल (खासकर कमल का फूल)

  • इत्र, पंचामृत, कपूर, दीपक, रुई की बत्ती

  • मिठाई, फल, और नारियल

  • पूजा की थाली, घंटी, कलश

  • पंच मेवा और मिठाइयाँ

  • पान के पत्ते, लौंग, इलायची

यह भी पढ़ें: जानें दीपावली कब है?

पूजा विधि

पूजा विधि को सरल और प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

स्नान और शुद्धिकरण

सर्वप्रथम स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें और पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें। दीपावली के दिन विशेषकर मुख्य दरवाजे पर रंगोली और दीप जलाना शुभ माना जाता है।

पूजन स्थल पर मूर्तियों का स्थान

लक्ष्मी, गणेश, और कुबेर जी की मूर्तियों को एक साथ रखें। गणेश जी को लक्ष्मी जी के बाएं और कुबेर जी को लक्ष्मी जी के दाहिने ओर स्थापित करें।

आह्वान और संकल्प

पूजा की थाली में जल, चावल और पुष्प रखकर पूजा का संकल्प लें। देवताओं का आह्वान करें और उन्हें पूजा में निमंत्रण दें।

गणेश पूजन

गणेश जी की आरती और स्तुति के साथ उनकी पूजा करें। गणेश जी को चावल, कुमकुम, और फूल अर्पित करें।

लक्ष्मी पूजन

लक्ष्मी जी के चरणों में चावल, फूल, और कमल अर्पित करें। धन की प्रतीकात्मक वस्तुएं जैसे सिक्के भी लक्ष्मी जी के सामने रखें।

कुबेर पूजन

कुबेर जी की प्रतिमा के सामने जल, फूल और धन अर्पित करें। कुबेर जी की आरती करें और उनसे धन-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।

लक्ष्मी, गणेश, और कुबेर के विशेष मंत्र

मंत्रों के जाप से पूजा का प्रभाव और भी बढ़ जाता है। यहाँ कुछ विशेष मंत्र दिए गए हैं:

  • गणेश मंत्र:
    "ॐ गं गणपतये नमः।"
    इस मंत्र का जाप 108 बार करें।

  • लक्ष्मी मंत्र:
    "ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात।"
    इस मंत्र का जाप 11 या 21 बार करें।

  • कुबेर मंत्र:
    "ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।"
    इस मंत्र का 11 या 108 बार जाप करें।

पूजा के बाद का विधान

पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद वितरण करें और सभी में सुख-शांति का आशीर्वाद बाँटें। घर के चारों ओर दीप जलाएँ और देवी-देवताओं का आभार प्रकट करें।

पूजा से जुड़े महत्वपूर्ण सुझाव

  • पूजा में सच्चे मन और श्रद्धा का होना आवश्यक है।

  • पूजा करते समय हर मंत्र के अर्थ को समझते हुए उसे भावपूर्वक उच्चारित करें।

  • विशेष रूप से धनतेरस से दिवाली तक लक्ष्मी पूजन का ध्यान रखें, इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

दीपावली पर विशेष पूजा करवाने या अपने व्यक्तिगत सवालों के लिए, एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर से सम्पर्क करें।

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