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इस योग में इस तरह के शुभ कार्यों को करने से सफलता और लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाती है। तो आइए आज जानते हैं कि द्विपुष्कर योग क्या? द्विपुष्कर कैसे बनता है? और इसका महत्व क्या है? साथ ही यह भी जानेंगे कि 2025 में द्विपुष्कर योग कब-कब होगा?
द्विपुष्कर योग का निर्माण पंचांग के अनुसार होता है, और यह तब बनता है जब तिथि, वार और नक्षत्र का विशेष संयोजन हो। यह योग तब बनता है जब द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी तिथि पर मंगलवार, रविवार या शनिवार का दिन हो। इसके साथ ही उस दिन चित्रा, मृगशिरा व धनिष्ठा नक्षत्र भी हो। यह संयोजन द्विपुष्कर योग का निर्माण करता है। द्विपुष्कर योग में परिणाम लाभ हो या हानि, यह दोनों को दोगुना कर देता है। इस योग का सही समय और महत्व ज्योतिषी विशेष रूप से पंचांग और ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करने के बाद ही बताते हैं। यह योग सामान्य रूप से साल में कई बार बनता है, और इसका समय बदलता रहता है।
द्विपुष्कर योग साल में अलग-अलग समय पर कई बार बनता है। तो चलिए जानते हैं कि साल 2025 में द्विपुष्कर योग कब-कब बनेगा (द्विपुष्कर योग 2025 list)।
द्विपुष्कर योग (21 जनवरी 2025, मंगलवार)
	योग का समय: सुबह 07:14 बजे से दोपहर 12:39 बजे तक
द्विपुष्कर योग (16 मार्च 2025, रविवार)
	योग का समय: सुबह 11:45 बजे से शाम 04:58 बजे तक
द्विपुष्कर योग ( 26 मार्च 2025, बुधवार)
	योग का समय: रात 03:49 बजे से सुबह 06:18 बजे तक
द्विपुष्कर योग (20 मई 2025, मंगलवार)
	योग का समय: सुबह 05:28 बजे से सुबह 05:51 बजे तक
द्विपुष्कर योग (28 मई 2025, बुधवार)
	योग का समय: सुबह 05:02 बजे से सुबह 05:25 बजे तक
द्विपुष्कर योग (7 जून 2025, शनिवार)
	योग का समय: सुबह 05:23 बजे से सुबह 09:40 बजे तक
द्विपुष्कर योग (22 जुलाई 2025, मंगलवार)
	योग का समय: सुबह 05:37 बजे से सुबह 07:05 बजे तक
द्विपुष्कर योग (10 अगस्त 2025, रविवार)
	योग का समय: दोपहर 12:09 बजे से दोपहर 01:52 बजे तक
द्विपुष्कर योग (23 सितम्बर 2025, मंगलवार)
	योग का समय: दोपहर 01:40 बजे से 24 सितंबर सुबह 04:51 बजे तक
द्विपुष्कर योग (4 अक्टूबर 2025, शनिवार)
	योग का समय: सुबह 06:16 बजे से सुबह 09:09 बजे तक
द्विपुष्कर योग (17 नवम्बर 2025, सोमवार)
	योग का समय: रात 02:11 बजे से सुबह 04:47 बजे तक
द्विपुष्कर योग (6 दिसम्बर 2025, शनिवार)
	योग का समय: सुबह 07:00 बजे से सुबह 08:48 बजे तक
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, द्विपुष्कर योग को बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। इस योग में अगर आप कोई भी कार्य करते हैं तो आपको उन कार्यों के दोहरे परिणाम मिलते हैं। इस योग का उपयोग अक्सर व्यापार को आगे बढ़ाने, संपत्ति में निवेश करने, किसी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत करने या आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यदि द्विपुष्कर योग (dwipushkar yoga) में शुभ कार्य किए जाएं, तो व्यक्ति को लाभ के साथ-साथ मानसिक और आर्थिक स्थिरता भी प्राप्त होती है।
द्विपुष्कर योग में कुछ विशेष कार्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अगर आप इन कार्यों को द्विपुष्कर योग के दौरान करते हैं तो यह आपको बेहतरीन फल दे सकते हैं। आइए जानें द्विपुष्कर योग में क्या करना चाहिए।
व्यापार और निवेश: यदि आप व्यापार में उन्नति चाहते हैं या नए व्यापार की शुरुआत करना चाहते हैं, तो यह योग अत्यधिक लाभकारी है। इस योग में किया गया निवेश भविष्य में आपको दोहरी सफलता दिला सकता है।
जमीन-जायदाद: द्विपुष्कर योग में संपत्ति खरीदना या बेचना बहुत शुभ माना जाता है। इस समय में किया गया संपत्ति से जुड़ा कोई भी निर्णय भविष्य में लाभकारी साबित हो सकता है।
नए प्रोजेक्ट की शुरुआत: यदि आप किसी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रहे हैं, तो इस योग में यह कदम उठाना उचित रहेगा। इस समय में किए गए कार्य स्थायित्व और सफलता की ओर ले जाते हैं।
सोना चांदी की खरीद: द्विपुष्कर योग में सोना या चांदी खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है। इससे जीवन में समृद्धि बढ़ती है।
दान-पुण्य के कार्य: इस योग में धार्मिक और दान-पुण्य के कार्यों का भी विशेष महत्व होता है। इससे आपको आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अगर आप इस योग में कोई विशेष कार्य करने के लिए मार्गदर्शन चाहते हैं या अन्य कोई ज्योतिषीय सलाह प्राप्त करना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से सलाह प्राप्त कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल या चैट बिलकुल मुफ्त है।
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