नौ दिन तक चलने वाले देवी मां के नवरात्रों पर दुर्गा मंदिरों, सिद्धपीठों और शक्तिपीठों की रौनक देखते ही बनती है। भगवती दुर्गा की अराधना के पर्व नवरात्र का श्रद्धालुओं में काफी महत्व है। दिल्ली में वैसे तो कई प्राचीन मंदिर हैं। लेकिन नवरात्रों में अक्सर माता के भक्त लोग, माता जी के ऐसे मंदिरों को खोजते हैं जहाँ जाने से नौ दिनों की तपस्या सफल हो जाये। नवरात्र के इस शुभ अवसर पर यहां दिल्ली के कुछ प्रमुख देवी मंदिरों का परिचय दिया जा रहा है-
झण्डेवालान माता मंदिर
झण्डेवालान माता मंदिर देश और दिल्ली के सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यहां हजारों की संख्या में भक्तजन माता रानी के दर्शन करने आते है। नवरात्रों के उत्सव में यहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है। इस मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है एक मान्यता के अनुसार मंदिर की स्थापना से पहले इस स्थान पर चारों तरफ केवल शांत वातावरण होने के कारण कई लोग प्रशिक्षण करने इस स्थान पर आते थे और उनमें से ही एक श्री बद्रीदास जी थे जो एक व्यापारी थे और वो माता रानी के भक्त थे एक दिन बद्रीदास जी जब प्रशिक्षण में मग्न थे तब उन्हें एहसास हुआ कि इस स्थान पर एक मंदिर भूमि में विफल है और उन्होंने भूमि की खुदवाई शुरू करवा दी। खुदवाई के समय उन्हें वहां से एक झण्डा और माता रानी की प्रतिमा वहां से मिली तब से इसका नाम झंडेवाला रख दिया गया।
कालकाजी मंदिर
राजधानी दिल्ली में स्थित कालकाजी के इस मन्दिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। हालाँकि मन्दिर का विस्तार पिछले 50 सालों का ही है, लेकिन मन्दिर का सबसे पुराना हिस्सा अठारहवीं शताब्दी का है। यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली के कालका जी में स्थित है। इसे मनोकामना सिद्धपीठ और जयंती काली पीठ भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि असुरों द्वारा सताए जाने पर ब्रह्मा जी की सलाह पर देवताओं ने शिवा (शक्ति) की आराधना की थी। देवी के प्रसन्न होने पर देवताओं ने उनसे असुरों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों को लेकर यहां आए थे। उन्होंने मां काली की पूजा की और विजयी होने का वर प्राप्त किया।
योगमाया मंदिर
योगमाया का मंदिर दिल्ली में कुतुबमीनार से बिल्कुल पास है। यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण महाभारत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् पाण्डवों ने श्रीकृष्ण की बहन योगमाया के लिए किया था। तोमर वंश के राजपूतों ने जब दिल्ली को बसाया, तब उन्होंने देवी योगमाया की विधिवत् पूजा-अर्चना शुरू की। बाद में पाण्डव कालीन इस मंदिर की उचित देखभाल नहीं हुई।
छतरपुर मन्दिर
आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है। यह मंदिर गुंड़गांव-महरौली मार्ग के निकट छतरपुर में स्थित है।
छतरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर का शिलान्यास सन् 1974 में किया गया था। इसकी स्थापना कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने की थी। इससे पहले मंदिर स्थल पर एक कुटिया हुआ करती थी। आज वहां 70 एकड़ पर माता का भव्य मंदिर स्थित है।
यह मंदिर माता के छठे स्वरूप माता कात्यायनी को समर्पित है। इसलिए इसका नाम भी कात्यायनी शक्तिपीठ रखा गया है।
गुफा वाला मंदिर
पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार क्षेत्र में स्थित माता का मंदिर, ‘गुफा मंदिर’ के नाम से विख्यात है। गुफा के अंदर मां चिंतपूर्णी, माता कात्यायनी, संतोषी मां, लक्ष्मी जी, ज्वाला जी की मूर्तियां स्थापित हैं। गुफा में गंगा जल की एक धारा बहती रहती है। मंदिर का निर्माण सन 1987 में शुरू हुआ था और 1994 में मंदिर बनकर तैयार हो गया था।