गायत्री मंत्र बहुत ही पवित्र मंत्र माना जाता है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मंत्रों में वे गायत्री मंत्र हैं। गायत्री मंत्र की महिमा को देखते हुए ही आज हर किसी को यह मंत्र याद है। छोटे बालक से लेकर वृद्ध तक इस मंत्र का जाप करते हैं। लेकिन शास्त्रों में प्रत्येक मंत्र को जप करने के कुछ नियम भी बताये जाते हैं। गायत्री मंत्र के लिये तो विशेष रूप से शास्त्र सम्मत विधि विधानों का पालन करने के निर्देश हैं। मान्यता है कि शास्त्रानुसार गायत्री मंत्र का जप न करने से मंत्र फलित नहीं होता। ऐसे में क्या महिलाएं कर सकती हैं गायत्री मंत्र का जाप? यदि नहीं तो क्यों वर्जित माना जाता है महिलओं के लिये गायत्री मंत्र का जाप करना? आइये जानते हैं।
गायत्री मंत्र - ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
इसका अभिप्राय है कि सबके रक्षक, प्राणों से प्यारे, दुखों का नाश करने वाले, सुख स्वरूप श्रेष्ठ तेजस्वी जो पापों का नाश करते हैं उस देवस्वरूप परमात्मा का हम ध्यान करते हैं। वह परमात्मा हमें सद्बुद्धि दे व नेकी की राह पर चलने के लिये हमें प्रेरित करे।
वैसे तो गायत्री मंत्र इतना लोकप्रिय और स्मरण करने में इतना सरल है कि हर कोई इसका जाप कर सकता है। फिर वे महिलाएं हों या बच्चे, ब्राह्मण हों या अन्य। लेकिन शास्त्रों के मतानुसार गायत्री मंत्र का जाप केवल वही कर सकता है जो मन, वचन व कर्म से ब्राह्मण हो व जनेऊ धारण करता हो। यहां ब्राह्मण कोई जाति विशेष नहीं बल्कि कर्म आधारित वर्ण हैं। ब्राह्मण के अलावा शुद्ध आचरण रखने व जनेऊ धारण करने वाले अन्य वर्ण क्षत्रिय, वैश्य भी कर सकते हैं। लेकिन शूद्र कर्म करने वाले जो चाहे वह जन्मजात ब्राह्मण ही क्यों न हों के लिये गायत्री मंत्र का जाप करना शास्त्रानुसार सही नहीं है।
समाज में कुछ भ्रांतियां भी प्रचलित हैं जिनके अनुसार महिलाओं के लिये गायत्री मंत्र को वर्जित बताया जाता है। इनके अनुसार अलग-अलग कारण बताये जाते हैं। मसलन यह कि गायत्री मंत्र का जाप करने से महिलाओं के मासिक धर्म का चक्र प्रभावित होता है, या फिर उनमें पुरूषों के गुण आने लगते हैं, उनके चेहरे पर दाड़ी मूंछ के रूप में अवांछित बाल आने लगते हैं, उनके हार्मोन्स में बदलाव होने लगते हैं। ये सभी लोक प्रचलित मान्यताएं हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
एक बात और है जो प्रत्येक मंत्र पर लागू होती है, वह है सही उच्चारण। किसी भी मंत्र मे निहित सकारात्मक ऊर्जा का संचार तभी होता है जब उसका विधिवत व सही उच्चारण किया जाये। मलिन हृद्य के साथ व स्वार्थ सिद्धि के लिये यदि कोई किसी भी मंत्र का जाप करता है तो उसका नकारात्मक प्रभाव ही ज्यादा पड़ता है। आप चाहे पुरुष हैं या स्त्री सच्ची श्रद्धा व नियमानुसार ही कोई पूजा करेंगें तो वह फलित होती है।
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