
Guru Purnima 2025: हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े श्रद्धा और सम्मान से मनाया जाता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐसा दिन है जो हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में ज्ञान और मार्गदर्शन कितना जरूरी है। गुरु पूर्णिमा उस रिश्ते को सम्मान देने का अवसर है जो गुरु और शिष्य के बीच होता है। गुरु यानी वह व्यक्ति जो हमें अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है, जो हमारे भीतर के संशयों को दूर करता है और हमें आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करता है।
इस बार गुरु पूर्णिमा 2025 में एक विशेष संयोग बन रहा है — गुरु आदित्य राजयोग। जब बृहस्पति और सूर्य एक साथ एक ही राशि में स्थित होते हैं, तब यह विशेष योग बनता है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
इस बार गुरु पूर्णिमा पर एक विशेष ज्योतिषीय संयोग बन रहा है — गुरु आदित्य राजयोग। यह योग तब बनता है जब सूर्य और गुरु (बृहस्पति) एक ही राशि में रहते हैं। 2025 में यह योग विशेष रूप से प्रभावशाली है क्योंकि बृहस्पति और सूर्य दोनों ही मिथुन राशि में रहेंगे।
इस योग का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह संयोजन आध्यात्मिक उन्नति, विद्या प्राप्ति और सम्मान में वृद्धि करने वाला माना गया है। इस दिन गुरु पूजन करने से शिष्य के जीवन में स्थायित्व, बुद्धि, धन और मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई 2025, गुरुवार को रात 1:36 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई 2025, शुक्रवार को रात 2:06 बजे
हालांकि, पूर्णिमा का चंद्रमा 10 जुलाई की रात को दिखाई देगा, इसलिए गुरु पूजन 10 जुलाई को ही करना सबसे शुभ माना गया है।
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गुरु पूजन एक विधिपूर्वक अनुष्ठान होता है जिसमें शुद्ध भाव, समर्पण और सत्कार का विशेष महत्व होता है। इस दिन इन शुभ मुहूर्तों में पूजा करना अधिक फलदायी रहेगा:
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 बजे से 12:54 बजे तक
(यह समय ब्रह्मा का समय माना गया है और किसी भी पूजा के लिए सर्वोत्तम होता है)
गोधूलि मुहूर्त: शाम 7:21 बजे से 7:41 बजे तक
(यदि दिन में पूजा न कर पाएं, तो यह समय उपयुक्त रहेगा)
अमृत काल: रात 12:55 बजे से 11 जुलाई की रात 2:35 बजे तक
(दान, मंत्र जाप और साधना के लिए अत्यंत शुभ)
गुरु पूर्णिमा सिर्फ वैदिक या हिन्दू संस्कृति तक सीमित नहीं है। बौद्ध धर्म में यह दिन गौतम बुद्ध के प्रथम उपदेश का स्मरण दिवस है। जैन धर्म में यह व्रत महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य गौतम गणधर के प्रति सम्मान के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू परंपरा में इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म भी माना जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत की रचना की। इसलिए, इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
गुरु को त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के स्वरूप में पूजा जाता है—
ब्रह्मा: जो ज्ञान देता है
विष्णु: जो उसका पालन करता है
महेश: जो अज्ञान का विनाश करता है
सवेरे स्नान कर सफेद या पीले वस्त्र धारण करें।
गुरु के चित्र या चरणों को गंगाजल से धोकर साफ स्थान पर रखें।
पीला फूल, चंदन, अक्षत, फल, मिठाई अर्पित करें।
गुरु मंत्र, बृहस्पति मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।
'गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः...' श्लोक का उच्चारण करें।
गुरु को वस्त्र, पुस्तक या पेन उपहार में देना शुभ होता है।
किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें।
गुरु मंत्र:
“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥”
बृहस्पति मंत्र:
“ओम बृं बृहस्पतये नमः॥”
गायत्री मंत्र:
“ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्।
भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात्॥”
गुरु पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन किया गया दान कभी व्यर्थ नहीं जाता। यह जीवन में पापों के क्षय और पुण्य वृद्धि का कारण बनता है।
दान में क्या दें?
पीला वस्त्र
बेसन के लड्डू या पीली मिठाई
चने की दाल
पीतल के बर्तन
पुस्तक या कलम (ज्ञान का प्रतीक)
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यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ स्थिति में है, या गुरु ग्रह से संबंधित दोष चल रहा है, तो गुरु पूर्णिमा पर विशेष पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे विवाह में देरी, शिक्षा में रुकावट, संतान संबंधित समस्याएं और धन संबंधित अड़चनों से राहत मिलती है।
गुरुवार को पीले कपड़े पहनना, केले के पेड़ की पूजा और बृहस्पति मंत्र का जाप इन उपायों से भी गुरु ग्रह को अनुकूल किया जा सकता है।
गुरु का जीवन में वही स्थान है जो सूर्य का पृथ्वी पर। जैसे सूर्य के बिना जीवन असंभव है, वैसे ही ज्ञान के बिना आत्मिक विकास असंभव है। गुरु हमारे जीवन के अंधकार को दूर करते हैं और हमें दिशा देते हैं।
गुरु पूर्णिमा हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन के उन मार्गदर्शकों को धन्यवाद कहें, जिन्होंने हमें जीने का सही तरीका सिखाया।
गुरु पूर्णिमा 2025 का पर्व गुरु आदित्य राजयोग में मनाया जा रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। इस दिन को सही भावना, पूजन विधि और सच्चे समर्पण के साथ मनाएं। गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
गुरु का आशीर्वाद जीवन में वो शक्ति देता है जो मुश्किलों को सरल बना देता है और अज्ञान को ज्ञान में बदल देता है।
तो इस गुरु पूर्णिमा पर करें अपने गुरु को प्रणाम, और ज्ञान के इस पर्व को मनाएं श्रद्धा के साथ।
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