Raksha Bandhan 2025 Muhurat: जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और भद्राकाल का समय।

Fri, Aug 08, 2025
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Fri, Aug 08, 2025
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
Raksha Bandhan 2025 Muhurat: जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और भद्राकाल का समय।

Raksha Bandhan 2025 Muhurat: रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन महीने में पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में रक्षाबंधन का त्योहार और भी ज्यादा विशेष है क्योंकि इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। रक्षा बंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा, राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह से दोपहर तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी।

आपको बता दें कि राखी अगर शुभ मुहूर्त और शुभ योग देख बाँधी जाए तो इसकी शुभता अधिक बढ़ जाती है। भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए राखी बांधने से पहले शुभ समय का ध्यान जरूर रखना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि रक्षा बंधन कब है? राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है ? और रक्षाबंधन पर भद्रा का साया होगा या नहीं।

रक्षाबंधन 2025 कब है ? (Raksha Bandhan 2025 Muhurat and Time)

इस बार रक्षा बंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। खास बात ये है कि 2025 में रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ समय सुबह से लेकर दोपहर तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि की बात करें तो पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे खत्म होगी।

ये भी पढ़ें: राखी कितने दिन तक पहननी चाहिए?

रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2025 (Rakhi Bandhne Ka Samay) 

इस साल राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक। इस बीच राखी बांधना सबसे अच्छा माना जाएगा।

रक्षाबंधन पर भद्रा काल है या नहीं? (Rakshabandhan Bhadra Kaal) 

 इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा काल का प्रभाव नहीं रहेगा। इस दिन का भद्रा काल 9 अगस्त की रात 1:52 बजे खत्म हो जाएगा, यानी राखी बांधने की सभी रस्में उसके बाद यानी 09 अगस्त की सुबह से ही की जाएंगी।

इस रक्षाबंधन 2025 पर बन रहे हैं ये शुभ योग

यह रक्षा बंधन 2025 इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व की पवित्रता और महत्व को और बढ़ा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ऐसे विशेष योग बनते हैं, तब कोई भी शुभ काम करना बेहद फलदायी होता है।

इस बार रक्षा बंधन के दिन सौभाग्य योग, शोभन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। माना जाता है कि इन योगों में किए गए कार्य जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आते हैं। खासकर रक्षासूत्र बांधना, वचन देना और रिश्तों को मजबूत करने की हर रस्म इन शुभ योगों में करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

रक्षाबंधन 2025: ये 5 राखियाँ बदल देंगी भाई की किस्मत, जानिए क्यों हैं ये इतनी खास!

साथ ही, अगर दिन की बात करें तो बहुत ही शुभ मुहूर्त भी मौजूद हैं। सुबह का ब्रह्म मुहूर्त 4:22 बजे से 5:04 बजे तक रहेगा, जो आध्यात्मिक साधना और शुभ कार्यों के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। इसके अलावा दोपहर में अभिजीत मुहूर्त 12:17 बजे से 12:53 बजे तक रहेगा, जिसे किसी भी शुभ काम की सफलता के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।

ऐसे अद्भुत संयोग में रक्षा बंधन का त्योहार मनाना न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि जीवन में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।

रक्षाबंधन 2025 की पूजा विधि 

रक्षा बंधन का दिन घर-परिवार में बहुत ही खास होता है। सुबह स्नान करके बहनें पूजा की तैयारी करती हैं। एक सुंदर सी राखी की थाली सजाई जाती है, जिसमें राखी के अलावा रोली, चावल, दीया और मिठाई रखी जाती है।

इसके बाद बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, उसके माथे पर तिलक लगाती है, आरती उतारती है और मिठाई खिलाती है। भाई इस मौके पर बहन को उपहार देता है और जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है। इस दिन सिर्फ राखी ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार का मिलन, साथ बैठकर खाना-पीना और खूब सारी बातें होती हैं।

रक्षा बंधन 2025 सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करने का मौका है। बदलते दौर में भी ये त्योहार उतना ही प्रासंगिक है, जितना सदियों पहले था। तो इस बार भी राखी के इस पावन अवसर पर अपने अपनों के साथ इस रिश्ते को और गहरा बनाइए, चाहे पास हों या दूर।

रक्षाबंधन 2025 गिफ्ट लिस्ट: बहन के लिए 5 बेस्ट गिफ्ट आइडियाज जो बनाएं रिश्ता और भी खास

रक्षाबंधन का महत्व और इतिहास (Importance And History Of Rakshabandhan)

रक्षा बंधन की जड़ें सिर्फ रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये त्योहार कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है।

महाभारत काल में तब की बात है जब श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया। यह देख कर श्रीकृष्ण भावुक हो गए और उन्होंने द्रौपदी को जीवनभर रक्षा का वचन दिया। यमराज और उनकी बहन यमुना की कहानी भी बहुत प्रसिद्ध है। यमुना ने यमराज की कलाई में राखी बांधी और बदले में यमराज ने उन्हें अमरता का वरदान दे दिया। 

इस कहानी से ये संदेश मिलता है कि रक्षा बंधन सिर्फ भाई की रक्षा का नहीं, बल्कि एक-दूसरे की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना का पर्व है। इतिहास में रानी कर्णावती ने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी थी। हुमायूं ने उस राखी के सम्मान में रानी की मदद के लिए अपनी सेना भेजी। ये किस्सा बताता है कि राखी का धागा खून के रिश्ते से कहीं ज्यादा मजबूत होता है।

एक और दिलचस्प कहानी के अनुसार सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को राखी भेजी थी। पोरस ने युद्ध में सिकंदर को नुकसान न पहुंचाने का वचन दिया। देवी लक्ष्मी ने भी रक्षासूत्र बांधकर राजा बली से अपने पति भगवान विष्णु को वापस बैकुंठ ले जाने की प्रार्थना की थी। ये कहानी इस पर्व के आध्यात्मिक महत्व को भी दर्शाती है।

अगर आप कोई विशेष पूजा करना चाहते हैं या आपके मन में कोई ज्योतिषीय सवाल है तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल या चैट बिलकुल फ्री है।

article tag
Festival
article tag
Festival
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!