
Jagannath aarti: सनातन धर्म में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का विशेष महत्व है। हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि रथ यात्रा में शामिल होकर भगवान के दर्शन मात्र से पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन कई बार परिस्थितिवश भक्त रथ यात्रा में शरीक नहीं हो पाते। ऐसे में निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भगवान जगन्नाथ की पूजा आप अपने घर में भी विधिपूर्वक कर सकते हैं और समान पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
इस लेख में जानिए घर पर रथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा कैसे करें, किन नियमों का पालन करें और किन मंत्रों का जाप करें।
भगवान जगन्नाथ, भगवान श्रीकृष्ण का विशेष रूप हैं, जो अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ पूजे जाते हैं। ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध है, जहां हर साल विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि आत्मा को शुद्ध करने वाला आध्यात्मिक पर्व माना जाता है।
यदि आप पुरी की रथ यात्रा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, तो आप अपने घर में भी भगवान जगन्नाथ की पूजा कर सकते हैं। इससे आपको भी उसी प्रकार के पुण्य फल की प्राप्ति हो सकती है, जैसा एक भक्त को रथ यात्रा में भाग लेकर मिलता है।
पूजा करते समय निम्न मंत्रों का जाप अवश्य करें:
ॐ श्री जगन्नाथाय नमः:
यह भगवान जगन्नाथ को समर्पित सबसे सामान्य और लोकप्रिय मंत्र है, जो उनके प्रति भक्ति व्यक्त करता है।
ॐ विश्वमूर्तये जगन्नाथाय नमः:
यह मंत्र भगवान जगन्नाथ को विश्वरूप के रूप में दर्शाता है, जो संपूर्ण ब्रह्मांड का स्वरूप हैं।
ॐ देवादिदेव जगन्नाथाय नमः:
यह मंत्र भगवान जगन्नाथ को देवताओं के भी देव के रूप में संबोधित करता है।
ॐ अनंताय जगन्नाथाय नमः:
यह मंत्र भगवान जगन्नाथ को अनंत रूप में दर्शाता है।
ॐ नारायण जगन्नाथाय नमः:
यह मंत्र भगवान जगन्नाथ को नारायण के रूप में दर्शाता है।
ॐ विष्णवे जगन्नाथाय नमः:
यह मंत्र भगवान जगन्नाथ को विष्णु के रूप में दर्शाता है।
नीलांचल निवासाय नित्याय परमात्मने। बलभद्र सुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।।
यह मंत्र भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित है।
इन मंत्रों का श्रद्धा और भाव से जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
आरती श्री जगन्नाथ
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि,
जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी,
जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी
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तैयारी और स्वच्छता
प्रातः काल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर के पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें।
गंगाजल से पूजा स्थान को शुद्ध करें।
मूर्ति या चित्र की स्थापना
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा या चित्र लें।
एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर तीनों देवताओं को विराजमान करें।
मूर्तियों को फूलों की माला पहनाएं।
पूजा की शुरुआत
शंख और घंटा बजाकर पूजा की शुरुआत करें।
यह ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और वातावरण को शुद्ध करती है।
स्नान और वस्त्र
भगवान को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
यदि मूर्ति नहीं है तो केवल गंगाजल छिड़क कर 'स्नान भाव' करें।
स्वच्छ वस्त्र पहनाएं और चंदन, कुमकुम, अक्षत अर्पित करें।
दीप और धूप
पूजा के दौरान घी का दीपक जलाएं।
कपूर जलाकर आरती करना शुभ माना जाता है।
भोग अर्पण
भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का भोग लगाएं।
साथ में फल, मिठाई और तुलसीपत्र भी रखें।
प्रसाद को शुद्ध भावना से अर्पित करें।
उपवास या फलाहार का पालन करें।
कोई भी तामसिक भोजन न करें।
पूरे दिन भगवान के नाम का स्मरण करें।
टीवी, मोबाइल और अन्य भौतिक गतिविधियों से थोड़ा दूर रहकर भक्ति में ध्यान लगाएं।
रथ यात्रा के लाइव दर्शन टीवी या यूट्यूब पर देखकर उसमें मानसिक रूप से शामिल होने का प्रयास करें।
मनोकामनाओं की पूर्ति होती है
पापों का नाश होता है
आत्मा को शांति और स्थिरता मिलती है
घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि आती है
मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है
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रथ यात्रा के दिन पूजा करते समय पूरी निष्ठा और श्रद्धा होनी चाहिए।
पूजा में किसी भी प्रकार की लापरवाही या दिखावा न करें।
यदि संभव हो, तो भगवान जगन्नाथ के नाम की भागवत कथा या व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि का अवसर है। यदि आप किसी कारणवश पुरी की रथ यात्रा में सम्मिलित नहीं हो पा रहे हैं, तो चिंता न करें। आप अपने घर में श्रद्धा, भक्ति और नियमों के अनुसार भगवान जगन्नाथ की पूजा कर सकते हैं और उन्हीं पुण्य फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।
ध्यान रहे—भक्ति स्थान की मोहताज नहीं होती, यदि श्रद्धा सच्ची हो तो प्रभु आपके घर भी रथ लेकर आ सकते हैं।
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