देव गुरु अपनी नीच राशि से वक्री अवस्था में ही वापस अपनी धनु राशि में 30 जून की सुबह 5 बजकर 23 मिनट में प्रवेश कर रहे हैं। इसके साथ ही शनि और गुरु की युति भी समाप्त हो रही ही, परन्तु गुरु और केतु की युति प्रारंभ हो जाएगी। यह 20 नवंबर तक धनु राशि में ही रहेंगे। पुन: गुरु 20 नवंबर को मकर राशि में प्रवेश करेंगे जोकि गुरु की नीच राशि है। गुरु के वक्री हो जाने से देश मैं फैले हुए भय की समाप्ति होगी, क्योंकि भारत की कुंडली के मुताबिक देश की राशि कर्क है, जिससे सरकार का विरोध करने वाले ज़्यादा सक्रिय होंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों के लग्न भाव में देव गुरु विराजमान रहते हैं, वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। ऐसा व्यक्ति ज्ञानी और उच्च शिक्षित होता है। ज्योतिष में गुरु को ज्ञान, शिक्षा, धन वृद्धि और धार्मिक कार्य का कारक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों पर बृहस्पति ग्रह की कृपा और आशीर्वाद रहता है, उस व्यक्ति के गुणों में सात्विक विचार का संचार होता है। इसके अलावा जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु ग्रह का गोचर उनकी जन्म राशि के दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें में होता है उनके लिए गुरु शुभ फल प्रदान करता है। तो इस लेख में ज्योतिषाचार्या सिम्मी बता रही हैं कि बृहस्पति के वक्री गति से गोचर करने का प्रभाव सभी 12 राशियों पर कैसा पड़ेगा।
मेष राशि-
राशि से भाग्य भाव में बृहस्पति का आना आपकी परेशानियों में कमी लाएगा। शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता तथा संतान के दायित्व की पूर्ति के योग बन रहे हैं। धर्म-कर्म के मामलों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। विदेश यात्रा और विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन करना बेहतर रहेगा। अपनी योजनाओं को गोपनीय रखते हुए आगे बढ़ाएं।
वृषभ राशि-
राशि से अष्टम भाव में स्वगृही गुरु आपके लिए पद प्रतिष्ठा की वृद्धि तो कराएंगे किंतु अत्यधिक व्यय के कारण आप आर्थिक तंगी का शिकार हो सकते हैं। वाहन सावधानी पूर्वक चलाएं, दुर्घटना से बचें। बेहतर रहेगा कि कोर्ट कचहरी के मामले बाहर ही सुलझा लें। आकस्मिक धन प्राप्ति योग और किसी महंगी वस्तु की ख़रीददारी करेंगे।
मिथुन राशि-
गुरु की अनुकूलता आपके दांपत्य जीवन में मधुरता लाएगी। शादी विवाह संबंधित बातचीत भी सफल रहेगी। दैनिक व्यापारियों के लिए समय किसी वरदान से कम नहीं है किंतु साझा व्यापार करने से बचें। केंद्र अथवा राज्य सरकार के प्रतिष्ठानों में किसी भी तरह का कार्य संपन्न करवाना हो तो अवसर अच्छा है लाभ उठाएं।
कर्क राशि-
गुरु के शत्रु भाव में जाने से आपके पढ़े-लिखे गोपनीय शत्रु बढ़ेंगे। कार्यक्षेत्र में आपके विरोधियों का बोलबाला रहेगा, किंतु वह आपका नुकसान नहीं कर पाएंगे। इस अवधि के मध्य किसी को अधिक धन के लेन-देन से बचें और वाद विवाद के मामले बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा। ननिहाल पक्ष से रिश्ते मजबूत होंगे।
सिंह राशि-
राशि से पंचम भाव में बृहस्पति का गोचर आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषकर के विद्यार्थियों के लिए यह समय अनुकूल है। नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के योग बन रहे हैं। आय के साधन बढ़ेंगे, रुका हुआ धन भी वापस मिलेगा। लिहाजा परिवार के बड़े सदस्यों अथवा बड़े भाइयों से मतभेद न पैदा होने दें।
कन्या राशि-
राशि से चतुर्थ भाव में गुरु का स्वराशि गोचर माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति कुछ विपरीत हो सकता है किंतु आपके लिए बेहतर रहेगा। मकान, वाहन की ख़रीददारी का संयोग बनेगा। मित्रों और संबंधियों से भी सहयोग मिलेगा। अपनी ऊर्जा शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए कार्य करेंगे तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी।
तुला राशि-
राशि से पराक्रम भाव में बृहस्पति का गोचर आपके साहस एवं पराक्रम की वृद्धि तो कराएगा किंतु, कई बार अति उत्साही होने के कारण आप नुकसान भी उठा सकते हैं इसके लिए सावधान रहें। धर्म-कर्म के मामलों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। संतान संबंधी चिंता से भी मुक्ति मिलेगी। विदेश यात्रा के लिए वीजा का आवेदन करना सफल रहेगा।
वृश्चिक राशि-
राशि से धन भाव में गुरु का आना आपका आर्थिक पक्ष मजबूत करेगा। कहीं से भी रुका हुआ आपका धन आएगा जिसके चलते आप महंगी वस्तु का क्रय करेंगे। अपनी जिद्द एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करेंगे तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी। शासन सत्ता का पूर्ण उपयोग करें और विवादों से भी दूर रहें।
धनु राशि-
आपके राशि स्वामी गुरु का स्वयं ही अपनी राशि में प्रवेश करना आपके लिए सपने साकार होने जैसा है। इस अवधि के मध्य किसी भी तरह का बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना चाहें अथवा शिक्षा प्रतियोगिता से संबंधित कोई कार्य करना चाहे तो यह समय काफी अच्छा है। संतान संबंधी चिंता दूर होगी। नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग भी बन रहे हैं।
मकर राशि-
राशि से द्वादश भाव में गुरु का स्वगृही होना धर्म-कर्म के प्रति आपकी रुचि बढ़ाएगा। यात्रा देशाटन का पूर्ण आनंद लेंगे। षड्यंत्र का शिकार होने से बचें, गुप्त शत्रुओं से सावधान रहें। अपने साहस एवं शौर्य के बल पर विषम हालात को भी सामान्य कर लेंगे। माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। परिवार में व्यर्थ विवाद ना पैदा होने दें।
कुंभ राशि-
राशि से लाभ भाव में गुरु का गोचर आपके आय के साधन बढ़ाएगा, किंतु कोई न कोई व्यक्ति आप को विश्वास में लेकर आर्थिक हानि पहुंचा सकता है। परिवार के बड़े सदस्यों अथवा भाइयों से मतभेद ना पैदा होने दें। नौकरी में पदोन्नति एवं नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के योग बन रहे हैं। विद्यार्थियों के लिए यह समय और भी उत्तम रहेगा।
मीन राशि-
राशि से कर्म भाव में गुरु का गोचर आपके लिए पद और गरिमा की वृद्धि कराएगा। आपके द्वारा लिए गए निर्णय और किए गए कार्यों की सराहना भी होगी। कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा। विलासिता संबंधी वस्तुओं पर तो व्यय होगा ही, इसके अलावा यदि मकान खरीदना चाह रहे हैं तो यह अवसर अच्छा है। अपनी योजनाओं को अंतिम रूप दें।
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