
Jyotirlinga In Shravan: श्रावण मास हिन्दू पंचांग का एक अत्यंत पुण्यदायी महीना होता है, जो संपूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में शिव भक्त विशेष रूप से व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और शिव के प्रिय मंत्रों का जाप करते हैं। इस दौरान 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इन पवित्र शिवलिंगों की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति, धन, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस लेख में हम जानेंगे भारत में स्थित उन 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों के बारे में, उनके महत्व, उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं और श्रावण मास में इनकी पूजा का विशेष लाभ।
श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक है, जिसमें 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा का विशेष महत्व है। जानिए भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग, उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं, श्रावण में पूजा के लाभ, व्रत, जलाभिषेक और शिव मंत्रों का महत्व।
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
यह प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। कहा जाता है कि चंद्रदेव ने दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाने के लिए यहां शिव की तपस्या की थी। सोमनाथ में पूजा करने से क्षय रोग और अन्य शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। यहां सोमकुंड नामक पवित्र जलस्रोत भी स्थित है, जिसे पापनाशक माना गया है।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
श्रीशैल पर्वत पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग भक्तों को पापों से मुक्ति देने वाला माना गया है। मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है। विवाह संबंधित समस्याओं से मुक्ति के लिए श्रावण में यहां रुद्राभिषेक करना श्रेष्ठ माना गया है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यह जीवन के सभी भय और काल के भय को दूर करता है। यहां की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। श्रावण मास में यहां की गई पूजा से लंबी आयु और रोगमुक्त जीवन की प्राप्ति होती है।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
नर्मदा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर ॐ के आकार में बसा है। यहां दर्शन करने से व्यक्ति को शिवलोक की प्राप्ति होती है। श्रावण के महीने में अन्नदान, तप, और पूजा के साथ यहां रुद्राभिषेक करने से सभी कष्टों का निवारण होता है।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)
हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ शिव का प्रिय धाम माना जाता है। यह चारधाम यात्रा का भी हिस्सा है। समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थल पर श्रावण में पूजा करने से जीवन की हर बाधा दूर होती है।
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6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
त्रिपुरासुर का वध करने के बाद भगवान शिव ने यहां विश्राम किया था। सह्याद्रि पर्वत पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। यहां से बहने वाली भीमा नदी भी शिव शक्ति की प्रतीक मानी जाती है।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में स्थित है, जिसे शिव की नगरी भी कहा जाता है। मान्यता है कि प्रलय में जब सब कुछ नष्ट हो जाएगा, तब भी काशी और इसका शिवलिंग अडिग रहेगा। श्रावण में यहां का रुद्राभिषेक विशेष फलदायी होता है।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नासिक, महाराष्ट्र)
यह कुंभ के चार स्थलों में से एक है। गोदावरी नदी की उत्पत्ति भी यहीं से होती है। यहां तीन मुखों वाले शिवलिंग की पूजा की जाती है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। त्र्यंबकेश्वर में श्रावण में पूजा करने से जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (देवघर, झारखंड)
यह नौवां ज्योतिर्लिंग है और इसे चिताभूमि भी कहा जाता है। श्रावण में यहां जलाभिषेक करने के लिए लाखों शिव भक्त देवघर पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां रुद्राभिषेक करने से हर प्रकार की बीमारी और दुख से मुक्ति मिलती है।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (द्वारका, गुजरात)
द्वारका के पास स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को शिव का "नागों का देवता" कहा जाता है। यहां दर्शन करने से हर प्रकार का भय और बाधा समाप्त होती है। श्रावण में यहां पूजा करने से जीवन में शांति और सफलता मिलती है।
11. रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)
यह तीर्थ चार धामों में से एक है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय से पहले यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। इस स्थान को सेतुबंध तीर्थ भी कहते हैं। श्रावण में यहां की पूजा विशेष पुण्य फल प्रदान करती है।
12. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
यह शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अंतिम स्थान पर है। संभाजीनगर के पास स्थित यह मंदिर घृष्णेश्वर देवी के नाम से भी जुड़ा है। यहां श्रावण मास में की गई पूजा से संतान सुख, विवाह योग और पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
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आध्यात्मिक लाभ: भगवान शिव को सच्चे मन से पूजने से आत्मा को शांति मिलती है और पापों से मुक्ति होती है।
मानसिक शांति: रुद्राभिषेक, मंत्र जाप और ध्यान से मानसिक तनाव दूर होता है।
स्वास्थ्य लाभ: कहा गया है कि शिव ध्यान करने से शरीर की ऊर्जा संतुलित रहती है।
कर्म सुधार: सावन में की गई शिव पूजा से पितृ दोष, ग्रह दोष और अन्य जीवन बाधाएं कम होती हैं।
प्रतिदिन "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।
किसी एक ज्योतिर्लिंग का ध्यान करके रुद्राभिषेक करें।
सोमवार व्रत रखें और शिव कथा सुनें।
बेलपत्र, धतूरा, भांग, और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।
श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक है। इस दौरान 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा करने से व्यक्ति को लौकिक सुखों के साथ-साथ आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। चाहे आप फिजिकली इन स्थलों पर पहुंच सकें या घर पर नामस्मरण और पूजन करें, श्रद्धा से की गई हर भक्ति का फल निश्चित रूप से मिलता है।
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