राम रक्षा स्तोत्र का पाठ क्यों करें? जानें राम रक्षा स्तोत्र के फायदे

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राम रक्षा स्तोत्र का पाठ क्यों करें? जानें राम रक्षा स्तोत्र के फायदे

Ram Raksha Stotra Benefits in Hindi: क्या आपने कभी सोचा है कि केवल भगवान श्रीराम का नाम लेने से जीवन की समस्याएं दूर कैसे हो जाती हैं? यही शक्ति छिपी है श्री राम रक्षा स्तोत्र में। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक शक्ति से भरपूर है बल्कि इसे पढ़ने वाला व्यक्ति जीवन में शांति, सुरक्षा और विजय का अनुभव करता है। श्रीराम की कृपा से सराबोर यह स्तोत्र हर परिस्थिति में रक्षा कवच की तरह कार्य करता है।

इस लेख में हम आपको देंगे राम रक्षा स्तोत्र का संपूर्ण पाठ, उसका महत्व, पाठ विधि और फायदे।

राम रक्षा स्तोत्र की उत्पत्ति और लेखक

राम रक्षा स्तोत्र की रचना महर्षि बुधकौशिक ने की थी। कहा जाता है कि स्वयं भगवान शिव ने उन्हें स्वप्न में इसका ज्ञान दिया था। यह स्तोत्र 38 श्लोकों में विभाजित है और संस्कृत भाषा में रचित है। इसकी एक-एक पंक्ति भगवान श्रीराम की महिमा, नाम, शक्ति और दिव्यता का गान करती है।

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राम रक्षा स्तोत्र का पाठ क्यों करें?

  • जीवन में भय, रोग, शत्रु, दुर्घटना या नकारात्मक ऊर्जा हो, तो यह स्तोत्र रक्षा कवच का कार्य करता है।

  • मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और सफलता प्राप्त करने के लिए भी इसका नियमित पाठ बहुत फलदायी माना गया है।

  • यह स्तोत्र आत्मबल बढ़ाता है और विश्वास की शक्ति को मजबूत करता है।

  • हर श्लोक एक विशेष अंग की रक्षा के लिए है, जैसे – "शिरो मे राघवः पातु" यानी सिर की रक्षा भगवान राघव करें।

राम रक्षा स्तोत्र पाठ की विधि

  1. सुबह स्नान करके साफ स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

  2. हाथ में जल लेकर विनियोग मंत्र पढ़ें

  3. जल को भूमि पर छोड़ दें और भगवान श्रीराम का ध्यान करें।

  4. ध्यान मंत्र पढ़ें

  5. फिर संपूर्ण राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें (नीचे दिया गया है)।

  6. अंत में राम के चरणों में प्रार्थना करें और प्रसाद या तुलसी दल अर्पित करें।

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राम रक्षा स्तोत्र | Ram Raksha Stotra in Hindi

अथ ध्यानम्‌:

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌। वामांकारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरुजटामंडलं रामचंद्रम।

राम रक्षा स्तोत्र:

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम्। एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्।।

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्। जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं।।

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम्। स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्।।

रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्। शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः।।

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति। घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः।।

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः। स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः।।

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित। मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः।।

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः। उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः।।

जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः। पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः।।

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत। स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्।।

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः। न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः।।

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन। नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति।।

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्। यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः।।

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत। अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम्।।

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः। तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः।।

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्। अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः।।

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ। पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ।।

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ। पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ।।

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्। रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ।।

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ। रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम।।

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा। गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः।।

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली। काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः।।

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः। जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः।।

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः। अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः।।

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम। स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः।।

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम।।

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम।।

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।।

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम। श्रीराम राम रणकर्कश राम राम। श्रीराम राम शरणं भव राम राम।।

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि। श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये।।

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः । सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने।।

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज। पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्।।

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं। कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये।।

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम। आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम।।

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्। तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्।।

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।।

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः।।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।

राम रक्षा स्तोत्र पाठ करने के विशेष दिन

आप चाहें तो रोजाना 1 बार भी पढ़ सकते हैं या हफ्ते में एक बार मंगलवार या शनिवार को विशेष रूप से पाठ करें।

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राम रक्षा स्तोत्र का अध्यात्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार राम नाम मात्र से ही जीवन सफल हो जाता है। राम रक्षा स्तोत्र में एक ऐसा अद्भुत सामर्थ्य है कि यह न केवल हमें बाहरी संकटों से बचाता है, बल्कि आंतरिक दोषों – जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार – से भी मुक्ति देता है।

विशेष बात यह है कि यह स्तोत्र मनुष्य के शरीर के हर अंग की रक्षा के लिए विशेष रूप से श्लोक देता है – जैसे:

  • सिर की रक्षा राघव करते हैं

  • आंखों की रक्षा कौसल्येय करते हैं

  • हृदय की रक्षा जामदग्न्यजित करते हैं

  • और पांव की रक्षा विभीषण श्रीदाता करते हैं

किन्हें पढ़ना चाहिए राम रक्षा स्तोत्र?

  • जो नकारात्मक ऊर्जा से परेशान हैं

  • जिनके जीवन में राहु-केतु दोष हैं

  • जिनके घर में झगड़े या कलह है

  • विद्यार्थी, नौकरीपेशा, गृहस्थ, साधक – सभी के लिए फायदेमंद

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