जब भी हम अपने अच्छे या बुरे समय के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले हम अपनी कुंडली में शनि की दशा का पता लगाते हैं। शनि के खुश या नाराज होने से आपका जीवन महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हो सकता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, शनि को धर्म और न्याय का देवता माना जाता है। शनि, सूर्य देव के पुत्र और यमराज के भाई हैं। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य अपने जीवन में जो भी कर्म करता है, उसके आधार पर शनि देव उसे फल प्रदान करते हैं। जीवन में धन, नौकरी, व्यापार जैसे जरूरी पहलुओं पर शनि देव की कृपा होती है। ऐसे में उनका प्रसन्न होना बहुत आवश्यक होता है। कहा जाता है कि अगर शनि देव किसी से नाराज हो जाएं तो उसे नौकरी और व्यापार समेत जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ता है। शनि की साढ़े साती (shani sade sati) भी शनि देव के इन्हीं महत्वपूर्ण प्रभावों में से एक है।
जानें साल 2023 में शनि के कुंभ राशि में गोचर करने का आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा!
शनि की साढ़ेसाती क्या होती है ?
ऐसी मान्यता है कि शनि सभी 12 राशियों में घूमने के लिए लगभग 30 साल का समय लेते हैं। सभी नौ ग्रहों में शनि सबसे धीमी गति से चलते हैं अर्थात वो एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं। शनि जब एक राशि से दूसरी राशि तक जाते हैं तो वह किसी व्यक्ति की जन्म राशि या नाम की राशि में स्थित होते हैं। इस तरह वह राशि, उसके बाद वाली राशि और बारहवें स्थान वाली राशि पर साढ़े साती का प्रभाव होता है। शनि देव जब इन तीन राशियों से होकर गुजरते हैं तो उन्हें इसमें पूरे सात वर्ष और छः महीने यानी साढ़े सात वर्ष का समय लग जाता है इसलिए इसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है। इसके अलावा जब शनि गोचर काल में राशि से चौथे या आठवें भाव में विराजमान होते हैं तो वह स्थिति शनि की ढैय्या कहलाती है। शनि की ढैय्या, ढाई वर्ष तक चलती है।
ऐसे में हर व्यक्ति को जीवन में एक बार शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव का सामना करना पड़ता है। इस दौरान व्यक्ति को कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है हालांकि सही उपायों के माध्यम से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। अगर आपकी कुंडली में भी शनि की साढ़ेसाती चल रही है और आप उसके प्रभावों से परेशान हैं तो आपके लिए यह लेख बहुत सहायक साबित हो सकता है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप शनि की साढ़ेसाती के प्रभावों को कम कर सकते हैं।
शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के लिए मंत्र
शनि देव को शनिवार का दिन समर्पित होता है। इस कारण शनिदोष से मुक्ति पाने या साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने के लिए लोहा, तेल, काला कपड़ा, काली उड़द और काले वस्त्र का दान करना चाहिए।
शनिवार के दिन सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। इसके साथ ही शनि स्त्रोत का पाठ करें। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
हनुमान जी की पूजा करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी शनि देव से शांति मिलती है और अशुभ फल मिलना कम हो जाते हैं।
शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर थोड़े से सरसों के तेल में काले तिल डालकर, और एक लोहे की कील मिलाकर शनि देव को अर्पित करें।
आर्थिक लाभ पाने के लिए एक रुपए के सिक्के पर सरसों के तेल से एक बिंदी बनाएं और उसे पास के किसी भी शनि मंदिर में रख आएं। ध्यान रहे कि इस दौरान आप किसी से भी बात न करें।
शराब, मांस, मछली का सेवन बिलकुल बंद कर दें और केवल शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता दें।
चींटियों व मछलियों को आटा खिलाएं और अन्य पशुओं को भी चारा खिलाने का प्रयास करें, इससे शनि का नकारात्मक प्रभाव कम रहेगा।
प्रतिदिन वृद्ध, मजबूर और लाचार लोगों की सहायता करें और जितना हो सके उनका आशीर्वाद प्राप्प्त करें।
प्रतिदिन सुबह उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाएं। इससे सूर्य देव और शनि देव दोनों को प्रसन्न किया जा सकता है।
अगर साढ़ेसाती के दौरान घर में कोई भी शुभ कार्य किया जाना है तो उसे स्त्री के हाथों से ही करवाने की कोशिश करें।
कैसा रहेगा साल 2023? आपकी राशि में छिपा हो सकता है आपके हर सवाल का जवाब !
साल 2023 में शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित राशियां
17 जनवरी 2023 में शनि ने राशि परिवर्तन किया है। इस कारण कुछ राशि के लोगों के ऊपर से साढ़ेसाती और ढैय्या खत्म हो गई है। वहीं कुछ ऐसी राशियां भी हैं, जिन पर साढ़ेसाती की शुरुआत हो गई है। शनि के कुंभ राशि में गोचर करने से मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो गया है। इस साल मकर और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती जारी रहेगी। इसके अलावा कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी।
इस साल शनि देव के मकर राशि से कुंभ राशि में गोचर करने से, धनु राशि के लोगों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव समाप्त हो गया है। वहीं तुला और मिथुन राशि के जातकों पर से शनि की ढैय्या भी समाप्त हो गई है। साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव समाप्त होने के बाद तीनों राशियां धनु, तुला और मिथुन राशि के जातकों के जीवन पर शनि का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। इन जातकों को अपने कार्यो में सफलता मिलेगी। हर महत्वपूर्ण कार्य में भाग्य आपका साथ देगा। आपको समाज में यश और सम्मान की प्राप्ति होगी।
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