Kalashtami 2025: कब है कालाष्टमी व्रत? जरूर पढ़ें ये कथा, प्रसन्न होंगे काल भैरव।

Wed, Feb 19, 2025
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Kalashtami 2025: कब है कालाष्टमी व्रत? जरूर पढ़ें ये कथा, प्रसन्न होंगे काल भैरव।

Kalashtami 2025 Date: हिन्दू कैलेंडर में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि काल भैरव से संबंधित होती है। इस तिथि पर काल भैरव की पूजा की जाती है। फाल्गुन मास की कालाष्टमी (kalashtami 2025) का विशेष महत्व होता है। काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप को कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी व्रत रखने से आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। काल भैरव अष्टमी (kala bhairava ashtami) पर पूजा करने से कई शुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। जीवन की हर छोटी-बड़ी समस्या से छुटकारा मिलता है। कालाष्टमी व्रत को रखने और काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ जरूरी नियमों का पालन करना होता है। तो आइए जानें फरवरी 2025 में कालाष्टमी कब है? साथ ही जानें इसकी पूजा विधि, कथा और महत्व के बारे में।

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कब है कालाष्टमी 2025? Kab Hai Kalastami 2025

वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 फरवरी 2025 को सुबह 09:58 बजे शुरू होगी और 21 फरवरी को सुबह 11:57 बजे समाप्त होगी। भगवान काल भैरव की पूजा रात में करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस आधार पर, मासिक कालाष्टमी व्रत 20 फरवरी को रखा जायेगा। पूजा के लिए उत्तम समय रात 12:09 बजे से मध्यरात्रि 12:00 बजे तक रहेगा।

कालाष्टमी पर बन रहे हैं ये शुभ योग 

इस वर्ष की कालाष्टमी विशेष शुभ योगों का संयोग लेकर आ रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और शिववास का विशेष संयोग बन रहा है। इन योगों में भगवान काल भैरव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान काल भैरव की आराधना करने से दोगुना फल मिलता है। इस दिन विशाखा और अनुराधा नक्षत्र भी रहेंगे, जिससे कालाष्टमी व्रत का महत्व और बढ़ जाएगा। यदि किसी का कोई काम लंबे समय से रुका हुआ है, तो इस दिन पूजा करने से सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं।

कालाष्टमी पर जानें काल भैरव की पूजा विधि (Kaal Bhairav Puja Vidhi)

  1. प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. पूजा स्थान पर भगवान काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

  3. पूजा में शिव परिवार की फोटो भी रखें।

  4. धूप, दीप और नैवेद्य के साथ भगवान काल भैरव और शिव परिवार की पूजा करें।

  5. कालाष्टमी व्रत कथा का पाठ करें।

  6. दिनभर उपवास रखें और भगवान काल भैरव का सच्चे मन से ध्यान करें।

  7. रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें।

  8. व्रत खोलने से पहले भगवान भैरव को मोदक का भोग लगाएं।

  9. इसके बाद फल, मिठाई या सात्त्विक भोजन ग्रहण करें। 

  10. गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें। 

काल भैरव की कथा (Kalashtami Vrat Katha In Hindi)

एक प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच यह विवाद छिड़ गया कि उनमें सबसे श्रेष्ठ कौन है? इस प्रश्न को सुलझाने के लिए सभी देवताओं की सभा बुलाई गई। भगवान शिव और विष्णु ने सभा का निर्णय स्वीकार कर लिया, लेकिन ब्रह्मा जी सभा के निर्णय से असंतुष्ट रहे। ब्रह्मा जी ने भगवान शिव का अपमान किया, जिससे शिवजी क्रोधित हो गए। भगवान शिव ने अपने उग्र रूप में काल भैरव का अवतार लिया। काल भैरव ने एक काले कुत्ते पर सवार होकर, अपने हाथ में दंड लेकर ब्रह्मा जी पर प्रहार किया । काल भैरव ने ब्रह्मा जी के पाँच सिरों में से एक को काट दिया और ब्रह्मा जी के अहंकार को नष्ट किया। इसके बाद ब्रह्मा जी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी। तब जाकर शिवजी शांत हुए।

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कालाष्टमी 2025 का महत्व

इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचाव होता है। कालाष्टमी व्रत जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है। यह दिन राहु-केतु के दोष निवारण के लिए बेहद शुभ माना जाता है। कालाष्टमी का दिन मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन पूजा करने से आत्मशुद्धि होती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।

कालाष्टमी 2025 पर करें ये विशेष उपाय

  1. काले कुत्ते को भोजन कराएं- काल भैरव की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन काले कुत्ते को रोटी खिलानी चाहिए। इससे राहु-केतु के दोष भी समाप्त होते हैं।

  2. लोहे का दान करें- इस दिन लोहे की कील, चम्मच या अन्य लोहे की वस्तुओं का दान करने से शत्रु बाधा दूर होती है।

  3. सरसों के तेल का दीपक जलाएं- भगवान काल भैरव के मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

  4. तिल और लौंग अर्पित करें- काल भैरव को काले तिल अर्पित करने से ग्रह दोष समाप्त होते हैं और लौंग चढ़ाने से बुरी नजर से बचाव होता है।

कालाष्टमी भगवान काल भैरव की कृपा पाने का सबसे शुभ अवसर है। यदि आप भी जीवन की नकारात्मकता को दूर करना चाहते हैं और प्रगति की राह पर बढ़ना चाहते हैं, तो कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा-आराधना जरूर करें। 

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