Kalki Jayanti 2024: भगवान कल्कि, भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जानें जाते हैं। इसलिए कल्कि जयंती का महत्व हिन्दू धर्म में खास माना गया है। शास्त्रों में लिखा है कि जब दुनिया में पाप अपनी चरम सीमा पर पहुंच जायेंगे, दुनिया का विनाश हो रहा होगा। तब भगवान कल्कि अवतार लेके धरती पर आएंगे। अधर्म का का विनाश होगा और धर्म फिर से अपने पूर्ण रूप में आ जायेगा।
कल्कि जयंती का महत्व इस विश्वास से जुड़ा हुआ है कि भगवान कल्कि के अवतार से संसार में फ़ी से सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना होगी। यह जयंती आपके लिए आशा और उत्साह का प्रतीक होगी। जब समाज में अराजकता, अधर्म और अन्याय का बोलबाला बढ़ता दिखता है, तब भगवान कल्कि की जयंती हमें यह याद दिलाती है कि यह सब ज्यादा दिन नहीं रहेगा आखिरकार धर्म की विजय होगी और अधर्म का नाश होगा।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो कल्कि जयंती हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल 2024 में, कल्कि जयंती 10 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन आप भगवान कल्कि की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत रख सकते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 10 अगस्त को देर रात 03 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 11 अगस्त को सुबह 05 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा। अत: 10 अगस्त को कल्कि जयंती मनाई जाएगी। आप अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से भगवान कल्कि की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
कल्कि जयंती: 10 अगस्त 2024
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 10 अगस्त 2024, रात 03:14 बजे से
षष्ठी तिथि समापन: 11 अगस्त 2024, सुबह 05:44 बजे तक।
कल्कि जयंती (Kalki Jayanti) पर साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 10 अगस्त 2024, दोपहर 02:52 बजे तक है। इसके बाद शुभ योग का संयोग बन रहा है। कुल मिलाकर कहें तो कल्कि जयंती पर साध्य और शुभ रवि योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान कल्कि की पूजा करने से आप को मनचाहा वर प्राप्त हो सकता है।
कल्कि जयंती के दिन भक्त भगवान कल्कि की पूजा अर्चना करते हैं। कल्कि जयंती की पूजा विधि इस प्रकार है:
प्रातःकाल स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करना: आप के दिन की शुरुआत सुबह स्नान से होती है। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद ही पूजा की जा सकती है।
भगवान कल्कि की मूर्ति या चित्र का स्नान और सजावट: भगवान कल्कि की मूर्ति या चित्र को स्नान कराएं और उन्हें फूल, चंदन, अक्षत आदि से सजाएं।
धूप-दीप जलाना और आरती करना: आप तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर भगवान कल्कि की आरती करें।
मंत्र जाप: आप भगवान कल्कि से जुड़े मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
प्रार्थना और क्षमा याचना: भगवान कल्कि से अपने पापों की क्षमा और सुख-समृद्धि की कामना करें।
भोजन और दान: इस दिन आप ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदो को दान भी कर सकते हैं।
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कल्कि पुराण के अनुसार, कलयुग के अंत में धर्म का विनाश होने लग जाएगा और अधर्म का बोलबाला होगा। इस समय में भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर धरती पर आएंगे। वे एक शक्तिशाली घोड़े पर सवार होकर आएंगे और अपने खड्ग(उनका अस्त्र) से अधर्म का नाश करेंगे। इसके बाद धरती पर फिर से धर्म की स्थापना होगी।
शास्त्रों में बताई कथा के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में होगा और वे अपने शौर्य और पराक्रम से समस्त अधर्मियों का विनाश करेंगे। उनके अवतार का उद्देश्य अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना होगा।
हिन्दू शास्त्रों जैसे कि कल्कि पुराण, भविष्य पुराण और स्कंद पुराण में भगवान कल्कि के अवतार का विस्तारपूर्वक वर्णन है। प्रसिद्ध कवि जयदेव ने भी अपने दशावतार में भगवान कल्कि का वर्णन किया है:
म्लेच्छनिवहनिधने कलयसि करवालम ।
धूमकेतुमिव किमपि करालम ।
केशव धृतकल्किशरीर जय जगदीश हरे ।।
इस श्लोक में जयदेव भगवान कल्कि की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि हे जगदीश! हे मधूसूदन! आपने कल्कि रूप धारण कर म्लेच्छों का विनाश किया है और धूमकेतु समान भयंकर कृपाण को धारण किया है। आपकी सदा ही जय हो।
कल्कि जयंती 2024 के दिन का पंचांग इस प्रकार है:
सूर्योदय: सुबह 06;01 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07:03 मिनट पर
चन्द्रोदय: सुबह 10:44 मिनट पर
चंद्रास्त: देर रात 10:26 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:34 मिनट से 05:17 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:42 मिनट से 03:34 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:03 मिनट से 07:25 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:10 मिनट से 12:54 मिनट तक
कल्कि जयंती का धार्मिक महत्व इसलिए है क्योंकि हिन्दू शास्त्र कल्कि पुराण, भविष्य पुराण और स्कंद पुराण में भगवान कल्कि के अवतार का विस्तारपूर्वक वर्णन है। इस दिन आप भगवान कल्कि की विशेष पूजा-अर्चना कर सकते हैं और अपने जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुखों से छुटकारा पाने के लिए व्रत भी रख सकते हैं।
भगवान कल्कि के अवतार का एक मात्र उद्देश्य धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश है। उनके अवतार का समय तब होगा जब कलयुग में अधर्म की प्रधानता बढ़ जाएगी और धर्म का पतन होने लगेगा। भगवान कल्कि का अवतार धर्म की पुनर्स्थापना और असुरों के संहार के लिए होगा।
कल्कि जयंती का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। यह त्योहार हमें सत्य, अहिंसा और धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश देता है। यह हमें बुराई पर अच्छाई की जीत में विश्वास रखने के लिए प्रेरित करता है। कल्कि जयंती का यह संदेश आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना प्राचीन काल में था।
धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने की यह अवधारणा समाज में नैतिकता और आदर्शों को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि ईश्वर के मार्ग पर चलना ही सही रास्ता है और अंततः अधर्म का नाश निश्चित है।
कल्कि जयंती का आध्यात्मिक महत्व भी अत्यधिक है। यह दिन भक्तों को ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और भगवान के प्रति समर्पण का अवसर प्रदान करता है। भगवान कल्कि की पूजा और उनकी कथा का श्रवण करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
कल्कि जयंती का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू समाजिक उत्थान है। इस दिन दान और सेवा करने का विशेष महत्व है। आप गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता कर सकते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर सकते हैं।
कल्कि जयंती का यह सामाजिक संदेश हमें समाज की भलाई के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। यह त्योहार हमें एकता, भाईचारा और सद्भाव का संदेश देता है।
कल्कि जयंती का त्योहार हमें सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना के लिए प्रेरित करता है। यह हमें आशा और उत्साह देता है और हमें बुराई पर अच्छाई की जीत में विश्वास रखने के लिए प्रेरित करता है।
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