Karwa Chauth Sargi: करवा चौथ में क्या होती है सरगी और इसका धार्मिक महत्व

Tue, Oct 07, 2025
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Karwa Chauth Sargi: करवा चौथ में क्या होती है सरगी और इसका धार्मिक महत्व

Karwa Chauth Sargi: क्या आपने कभी सोचा है कि करवा चौथ के इस पवित्र व्रत की शुरुआत आखिर कैसे होती है? वो कौन-सी परंपरा है जो हर सुहागिन के चेहरे पर सुबह-सुबह एक खास चमक ले आती है? दरअसल, करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जिसकी शुरुआत होती है एक बेहद खास भोजन — सरगी से। सरगी केवल खाने का हिस्सा नहीं, बल्कि इसमें सास का आशीर्वाद, परंपरा की मिठास और रिश्तों की गहराई छिपी होती है। तो आइए जानते हैं, करवा चौथ की सरगी का महत्व क्या है, इसमें क्या-क्या शामिल होता है और पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं कैसे करें इसकी तैयारी।

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सरगी क्या होती है?

सरगी वह विशेष थाल होती है, जो सास अपनी बहू को करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले देती हैं। इसमें फल, मिठाइयाँ, मठरी, सेवई, सूखे मेवे, नारियल, और कुछ पारंपरिक व्यंजन रखे जाते हैं। इसे ब्रह्म मुहूर्त में यानी सुबह लगभग 4 से 5 बजे के बीच ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि सरगी से दिनभर व्रत रखने की ऊर्जा और सहनशक्ति मिलती है।

धार्मिक दृष्टि से सरगी सास के आशीर्वाद का प्रतीक है, जिसमें वह अपनी बहू को सुखी वैवाहिक जीवन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। जो महिलाएं पहली बार व्रत रखती हैं, उनके लिए यह सरगी एक भावनात्मक और शुभ शुरुआत होती है।

सरगी का धार्मिक और भावनात्मक महत्व

करवा चौथ की सरगी सिर्फ खाने की परंपरा नहीं है, बल्कि यह भारतीय पारिवारिक मूल्यों की सुंदर अभिव्यक्ति है। इसमें सास का स्नेह, बहू की श्रद्धा और परिवार की एकता झलकती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, सरगी को ग्रहण करना देवी पार्वती की आराधना का हिस्सा माना गया है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भी भगवान शिव के दीर्घायु के लिए कठोर व्रत रखा था, और सरगी उसी परंपरा का प्रतीक है।

भावनात्मक दृष्टि से, सरगी बहू के लिए सास का आशीर्वाद होती है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, जो रिश्तों को और मजबूत बनाती है।

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सरगी में क्या-क्या शामिल किया जाता है?

सरगी में सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि पोषण और आस्था दोनों का संतुलन होता है। इसे हल्का लेकिन ऊर्जावान रखा जाता है ताकि व्रत के दौरान थकान महसूस न हो। आइए देखें कि सरगी की थाली में आमतौर पर क्या-क्या चीजें रखी जाती हैं –

  1. फल – केले, सेब, अनार और मौसमी फल ऊर्जा और पानी की कमी को पूरा करते हैं।

  2. सूखे मेवे – बादाम, काजू, किशमिश और अखरोट प्रोटीन और एनर्जी का स्रोत हैं।

  3. मिठाई – लड्डू, पेड़ा या बर्फी जैसे पारंपरिक मिष्ठान मिठास और ऊर्जा दोनों देते हैं।

  4. मठरी और सेवई – नमकीन और मीठा संतुलन बनाते हैं, जिससे स्वाद भी बना रहे।

  5. नारियल और पान – शुभता और परंपरा का प्रतीक हैं।

  6. चाय या दूध – हल्का पेय शरीर को हाइड्रेटेड रखता है।

पहली बार करवा चौथ व्रत रख रही महिलाओं के लिए टिप्स

अगर आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, तो तैयारी पहले से शुरू कर दें ताकि व्रत के दिन किसी प्रकार की असुविधा न हो।

1. सरगी की तैयारी पहले रात को कर लें: सारे फल, मिठाई और सूखे मेवे तैयार रखें। अगर आप चाहें तो घर पर बनी सेवई या मठरी भी शामिल कर सकती हैं।

2. सरगी समय पर ग्रहण करें: ब्रह्म मुहूर्त में यानी सूरज उगने से पहले सरगी खाएं। इससे दिनभर के लिए पर्याप्त ऊर्जा मिलती है।

3. हाइड्रेटेड रहें: सरगी में तरल चीजें जैसे दूध, जूस या पानी अवश्य शामिल करें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।

4. शुभ रंग के कपड़े पहनें: करवा चौथ के दिन लाल, गुलाबी, पीला या हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है। ये रंग प्रेम, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक हैं।

5. पूजा की तैयारी रखें: करवा माता की पूजा के लिए करवा, छलनी, दीपक, पूजा थाली, जल का कलश और सजावट की चीजें पहले से तैयार रखें।

करवा चौथ पूजा और व्रत विधि

सरगी के बाद महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। शाम के समय महिलाएं एकत्र होकर करवा माता की कथा सुनती हैं और पारंपरिक पूजा करती हैं।

  1. सबसे पहले भगवान गणेश और करवा माता की पूजा करें।

  2. दीपक जलाकर कथा का पाठ करें।

  3. करवा में जल भरकर माता को अर्पण करें।

  4. रात में जब चांद निकलता है, तो छलनी से चांद को देखें और फिर अपने पति को।

  5. पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करें।

कहा जाता है कि इस विधि से किया गया व्रत पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि लाता है।

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करवा चौथ के दिन ध्यान रखने योग्य बातें

व्रत के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है ताकि व्रत पूर्ण और सफल माना जाए।

  • किसी के प्रति नकारात्मक सोच न रखें।

  • झगड़ा या विवाद करने से बचें।

  • घर और पूजा स्थल की सफाई रखें।

  • काले या सफेद रंग के कपड़े न पहनें।

  • दिनभर श्रद्धा और सकारात्मकता बनाए रखें।

सरगी का आधुनिक रूप

आज के समय में सरगी की परंपरा ने एक आधुनिक रूप भी ले लिया है। पहले यह केवल सास द्वारा बहू को दी जाती थी, लेकिन अब कई महिलाएं स्वयं के लिए सरगी तैयार करती हैं। सोशल मीडिया पर भी “Sargi Thali Decoration” एक लोकप्रिय ट्रेंड बन चुका है, जहां महिलाएं अपनी सरगी को आकर्षक तरीके से सजाती हैं।

इसके अलावा अब सरगी में हेल्दी आइटम्स जैसे ओट्स, ड्राई फ्रूट मिल्कशेक, ग्रीन टी और फ्रूट सलाद भी शामिल किए जाने लगे हैं। यह आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संगम है, जो नई पीढ़ी के साथ परंपरा को जोड़ता है।

सरगी से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

  1. सरगी को देवी पार्वती के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

  2. इसे ग्रहण करते समय “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ पार्वते नमः” मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

  3. कहा जाता है कि सरगी खाने से व्रत का प्रभाव और भी बढ़ जाता है और देवी करवा माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

करवा चौथ की सरगी न केवल व्रत की शुरुआत है, बल्कि यह उस प्रेम, समर्पण और परंपरा का प्रतीक है जो भारतीय संस्कृति को अद्वितीय बनाती है। पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं अगर पूरे मन से तैयारी करें और सच्चे भाव से पूजा करें, तो यह अनुभव जीवनभर यादगार बन जाता है।

सरगी में सास का आशीर्वाद, बहू की श्रद्धा और परिवार का स्नेह एक साथ झलकता है। यही कारण है कि हर साल करवा चौथ पर यह परंपरा नई उमंग और उत्साह के साथ दोहराई जाती है।

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