कुंडली में कब बनते हैं लव मैरिज के योग?

Fri, May 17, 2019
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Fri, May 17, 2019
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
कुंडली में कब बनते हैं लव मैरिज के योग?

वर्तमान में लगभग सभी युवक व युवती प्रेम पाश में बंधें नजर आते हैं। जहां नजर दौड़ाया जाता है वहीं एक प्रेमी युगल प्यार की नैया में सवार छैया-छैया करते दिख जाता है। कहते हैं कि प्रेम करना व उसे हासिल करना सबके बस की बात नहीं। प्रेम बड़े भाग्यशाली लोगों को नसीब होता है।

आज के समय में हर युवक व युवती अपने मन पसंद व जिसे वे चाहते हैं उसके साथ जीवन बिताने की चाह रखते हैं लेकिन बहुतों का यह सपना साकार नहीं होता। इसके पीछे वे अपनी किस्मत को दोषी मानते हैं लेकिन इसके अलावा भी कई कारण हैं जो युगल को एक होने से रोक देते हैं। जैसे कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशा तथा दोष। पहले लोग इस पर विश्वास नहीं करते थे लेकिन अब लोग इसे मानने लगे हैं। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में प्रेम विवाह योग उपस्थित है तो प्रेमी जोड़े का विवाह आसानी से संपन्न हो जाता है। इसमें परिवार व संबंधियों का पूरा साथ मिलता है। परंतु यदि कुंडली में प्रेम योग न हो और ग्रहों का साथ न मिले तो लव मैरिज में मुश्किलें पैदा होती हैं। आखरी में यह दोष शादी रोकने का करण बन जाता है।

कैसे बनता है कुंडली में लव मैरिज योग

ज्योतिष शास्त्र में पंचमेश भाव को प्रेम का घर माना जाता है तथा सप्तम भाव को पति-पत्नी का घर कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार पंचमेश व सप्तमेश का आपस में संबंध होने से लव मैरिज का योग बनता है। पंचम यदि सप्तम में या सप्तम अगर पंचम में विराजमान है तो इस स्थिति में भी प्रेम विवाह का योग बनाता है।

अगर शुक्र पंचमेश या सप्तमेश है तो प्रेम विवाह का प्रबल योग बनता है। पंचमेश व सप्तमेश की अंतरदशा में भी लव मैरिज योग बनता है। अगर जातक की पत्रिका में पंचमेश चंद्रमा सप्तम में बैठा है या सप्तम है तो कुंडली में प्रेम विवाह का योग है ऐसा माना जाता है।

पंचमेश लग्नेश आपस में युति संबंध बनाएं हुए हैं या पंचमेश सप्तमेश में विराजमान हैं तो जातक की लव मैरिज होने की पूर्ण संभावना होती है। पंचमेश में गुरू बृहस्पति व राहु की युति होने से प्रेम तो होता है लेकिन यह संबंध विवाह तक नहीं पहुंच पाता है। अगर किसी जातक की कुंडली के पंचमेश स्थान में गुरू बृहस्पति विराजमान हैं तो ये प्रेम संबंध को बिगाड़ने का काम करते हैं। जिससे संबंध आखरी पड़ाव तक नहीं पहुंच पाता। जातक की कुंडली में अगर पंचमेश की महादशा या अंतर दशा चल रही है तो यह प्रेम विवाह का योग है। 

यह भी पढ़े - मेरी शादी कब होगी? जानिए अपनी कुंडली में विवाह के योग

कुंडली में प्रेम का कारक ग्रह

कुंडली में जिसे प्रेम का काकर ग्रह माना गया है वह शुक्र ग्रह है। शुक्र को सुख का भी कारक ग्रह कहते हैं। यदि शुक्र पंचमेश या सप्तमेश है तो कुंडली में लव मैरिज का योग बनता है। ऐसे में जातक का परिवार भी उसके साथ रहता है और संबंधियों से भी सहयोग मिलता है। अगर कुंडली में प्रेम विवाह योग है और यह पूर्ण योग नहीं है तो इसके कारण प्रेम विवाह में रूकावटें आ सकती हैं। यदि ऐसा हो रहा है तो जातक शुक्र मंत्र का जाप करें। इससे परेशानियों में कमी आएगी।

जातक की पत्रिका में अगर पंचमेश तीसरे, पांचवें, सातवें व ग्यारहवें स्थान में बैठा है तो इससे जातक का प्रेम विवाह होने के आसार बढ़ जाते हैं। इस स्थिति को ज्योतिष प्रेम विवाह के लिए सही मानते हैं। कुंडली में सप्तमेश का संबंध या सप्तमेश पत्रिका में पांचवे, नौंवे या ग्यारहवें स्थान में है तो प्रेम विवाह का योग बनाता है। परंतु राहु या केतु पंचमेश या कुंडली में ग्याहरवें स्थान में हैं तो यह प्रेम विवाह में बांधाएं उत्पन्न करते हैं। पंचमेश व सप्तमेश तीसरे, सातवें या ग्यारहवें स्थान में हैं और इन पर राहु या केतु की दृष्टि पड़ रही है तो यह लव मैरिज में मुश्किलें आती हैं। 

क्या है आपकी कुंडली में प्रेम विवाह योग? जानने के लिए बात करें देश के जाने माने ज्योतिषाचार्यों से।

article tag
Love
Hindu Astrology
Vedic astrology
article tag
Love
Hindu Astrology
Vedic astrology
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!