जब हम पैदा होते हैं तो माता-पिता भाई-बहन के रिश्ते हमें जन्मजात मिलते हैं लेकिन जब हम किसी को पसंद करते हैं तो वह इंसान हमारी पसंद का होता है जिसको लेकर हमारे मन में कई तरह ज़ज्बात और एहसासात हो जाते हैं। यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो आप उसी के साथ अपना सारा जीवन बिताने का भी ख़्वाब देखते हैं, लेकिन कई बार प्रेमी युगल जब अपने परिजनों को अपने प्रेम के बारे में बताते हैं तो वे अक्सर इंकार ही कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आपकी कुंडली में स्थित ग्रहों और नक्षत्रों की चाल भी आपके प्रेम विवाह में बाधा डालती है।
क्या है आपकी कुंडली में प्रेम विवाह योग? जानने के लिए बात करें देश के जाने माने ज्योतिषाचार्यों से।
यदि आपका प्रेम विवाह सफल नहीं हो पा रहा है तो आपकी कुंडली में शुक्र, गुरु, बुध और राहु ग्रहों के कमजोर होने की आशंका है। कुंडली में शुक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति की प्रेम भावना और कामुक भावना कमजोर हो जाती है। वहीं गुरु के पीड़ित होने पर जातक के वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने लगती हैं। यदि बुध कमजोर होता है तो विवाह के बाद पार्टनर से धोखा मिलने की संभावना बनी रहती है। जबकि राहु के कमजोर स्थिति में होने से वैवाहिक जीवन में शक की स्थिति पैदा हो जाती है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली के सप्तम और पंचम भाव के कमजोर होने पर भी प्रेम विवाह के योग बनने की संभावना कम ही रहती है। वहीं कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों को प्रेम में धोखा मिलने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा यदि किसी की कुंडली में कारक ग्रहों के साथ कोई अशुभ या नीच ग्रह मौजूद होता है तो प्रेम विवाह में रूकावट आने की संभावना रहती है।
यदि आपको प्रेम विवाह को सफल बनाना है तो आपको कुछ ज्योतिषीय उपाय करने की जरूरत है। जिसकी कुंडली में शुक्र, गुरु, बुध और राहु यदि कमजोर स्थिति में हैं तो उनकी शांति के उपाय करें।
कुंडली में गुरु ग्रह विवाह का कारक है और यदि यह ग्रह नीच स्थान में हो तो प्रेम विवाह में अड़चने आने लगती हैं। गुरु को प्रसन्न करने के लिए आपको पुखराज रत्न धारण करना चाहिए। ये चमत्कारी रत्न पहनने से आपके प्रेम विवाह में आ रही सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
यदि प्रेमी जातकों के विवाह में अड़चने आ रही हैं तो इन जातकों को भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए और शिवलिंग का शहद, दूध और गंगाजल से रूद्राभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग के सामने बैठकर रूद्राक्ष की माला से ‘ॐ सोमेश्वराय नमः’ का 108 बार मंत्रोच्चार करना चाहिए।
वे जातक जो प्रेम विवाह करना चाहते हैं और उनके विवाह में देरी हो रही है तो उन्हें श्रीकृष्ण के “क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा” का रोज़ 108 बार मंत्रोच्चार करना चाहिए। इसके अलावा गुरुवार को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति के आगे स्फटिक की माला से ‘ऊँ लक्ष्मी नारायणाय नमः’का प्रतिदिन 108 बार जाप करना चाहिए।
यदि किसी की कुंडली में मंगल राहु या शनि से युति बना रहा हो तो प्रेम विवाह की संभावना रहती है। इसके अलावा जब कुंडली में राहु या केतु की दृष्टि शुक्र या सप्तमेश पर पड़ रही हो तो प्रेम विवाह के योग बनते हैं।
ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि पंचम भाव के मालिक के साथ उसी भाव में चंद्रमा या मंगल विराजमान हो तो प्रेमी जातकों के विवाह का योग बन सकता है।
यदि किसी की कुंडली में शुक्र या चंद्रमा लग्न से पंचम या नवम भाव में हो या सप्तम भाव में शनि या केतु विराजमान हो तो संकेत मिलता है कि प्रेम विवाह की संभावना है।
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