एक व्यक्ति जिसने राष्ट्र को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, एक ऐसा व्यक्ति जिसने अहिंसा की शक्ति को साबित किया है, एक व्यक्ति जिसने सत्य, अहिंसा, आत्म-सम्मान, जुनून, प्रतिबद्धता आदि की शक्ति को साबित किया, वह व्यक्ति जिसे हम सभी बापू जी (BAPU JI) के नाम से जानते हैं। जी हां हम महान नेता, राजनेता, भारत को स्वतंत्रता दिलाने वाले संत मोहनदास करमचंद गांधी यानि महात्मा गांधी के बारे में बात कर रहे हैं।
शायद ही किसी ने सोचा होगा कि 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात में जन्मा एक बालक क्रांति ला देगा। जिसने अपनी शिक्षा लंदन विश्वविद्यालय में की होगी वह आपको जीवन जीने का तरीका सिखा जाएगा। महात्मा गाँधी को उनके सत्याग्रह / अहिंसा, उनके अनशन की शक्ति, राष्ट्र को बदलने के उनके असीम प्रयासों के लिए जाना जाता है। उनके सिद्धांतों का अनुसरण भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में किया जाता है। उनके विचारों ने न केवल उनके जीवन को बदला, बल्कि लाखों लोगों को एक सरल और सच्चा जीवन जीने के लिए प्रेरित भी किया।
अक्सर आपके मन में एक सवाल आता होगा कि आखिरकार गांधी जी एक प्रसिद्ध नेता, राजनेता और बापू कैसे बन गए। तो चलिए आज हम आपको बापू के जन्मदिन के अवसर पर एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर उनकी कुंडली का ज्योतिषीय आकलन करके ग्रह-नक्षत्रों के बारे में विस्तार से बताते हैं, जिन्होंने उन्हें एक साधारण इंसान से महान व्यक्ति बना दिया था।
गांधीजी का जन्म तुला लग्न के साथ हुआ था और उनकी कुंडली में मंगल और बुध के साथ स्वराशि का स्वामी शुक्र अपनी राशि में बैठा था।
कुंडली में स्थित शुक्र, बुध और मंगल उन्हें गहन ध्यान और बहुत मजबूत दृढ़ संकल्प देता है। शुक्र अपने ही घर में है और जन्म लग्न में है, इसके परिणामस्वरूप महान पंच महापुरुष योग - मालव्य योग का निर्माण होता है। मालव्य योग उन्हें बहुत जुनून, आत्म-विश्वास और जनता के साथ अच्छी तरह से जुड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
लग्न में मंगल उन्हें एक महान लड़ाई की भावना देता है। यह उन हाइलाइट्स में से एक है जिसने उन्हें स्वतंत्रता के लिए एक सेनानी और ब्रिटिश शासकों पर अत्याचार करने का कट्टर विरोधी बना दिया।
लग्न में स्थित बुध उन्हें लोकप्रियता, सच्चाई, प्रभावी और व्यावहारिक भाषण और सादगी देता है।
शुक्र को लग्न में रखा गया है और इसने उन्हें एक सुखद स्वभाव और एक मृदुभाषी व्यक्तित्व दिया है। इसने उन्हें अपनी दृढ़ शक्ति और करिश्मे की मदद से दूसरों को आसानी से समझाने की क्षमता प्रदान की।
लग्न में शुक्र और बुध ने उन्हें जीवनभर नेतृत्व करने और बापू कहलाने का सौभाग्य प्राप्त कराया। यह संयोजन और भी सुंदर हो जाता है क्योंकि शुक्र अपने ही घर में है और बुध अपने मित्र (शुक्र) घर में है। इसने उन्हें आशावादी, उत्साही और प्रसिद्ध बना दिया।
गांधी जी की कुंडली में द्वितीय भाव में शनि उन्हें धन और पारिवारिक जीवन और आनंद से रहित बनाता है।
वहीं 12 वें घर में सूर्य बापू को सहयोग प्रदान करता है और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व, और एक दार्शनिक प्रकृति का प्रचार करता है।
कुंडली के 7 वें हाउस में बृहस्पति ने उन्हें सत्य, अहिंसा के पथ पर चलने वाला और महान आध्यात्मिक अनुभवों से गुजरने में सक्षम बनाया।
बापू के जन्म चार्ट में बृहस्पति, शुक्र, बुध और मंगल केंद्र घरों में हैं। बृहस्पति और बुध अपने मित्र घरों में विराजमान हैं और 4 महत्वपूर्ण ग्रह एक-दूसरे के साथ अद्भुत युति बना रहे हैं, इससे कुंडली में बहुत शक्ति आ जाती है।
गांधी जी की कुंडली के 10 वें घर में एक चन्द्र ग्रह योग बन रहा है और उनका गण भी राक्षस है जिसके कारण गाँधीजी को भी जीवन भर संघर्ष करना पड़ा। वह बैरिस्टर थे लेकिन इस क्षेत्र में करियर बनाने में सक्षम नहीं हो पाए।
अगर हम अंक ज्योतिषी की बात करें तो सत्य-अहिंसा के पुजारी गांधी जी का भाग्यांक 9 है। 9 अंक वालों का स्वामी मंगल होता है, जो राजनीति और प्रशासन का प्रतिनिधित्व करता है। 9 भाग्यांक वाले लोग अक्सर 45 के बाद दुनियाभर में प्रसिद्धि पाते हैं और लोकप्रियता बढ़ जाती है। इनका व्यक्तित्व चुम्बकीय होता है और इन्हें जनता की तरफ से भरपूर सहयोग मिलता है। इस अंक वाले जातक लीडर शिप क्वालिटी रखते हैं और उनका स्वभाव मृदुभाषी और दयालु पूर्ण होता है।
वह जाति भेदभाव के खिलाफ थे और जिसके कारण वह अपने शौचालाय की सफाई स्वंय ही करते थे और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते थे। वह निचली जाति के लोगों के साथ बैठने और खाने में कभी नहीं हिचकिचाते थे।
बापू का कहना था कि हिंसा कभी भी हिंसा को समाप्त नहीं करेगी इसलिए हमेशा शांत रहें और अहिंसा के साथ विरोध करें।
उन्होंने जीवन में बहुत अधिक समस्याओं का सामना करने के बावजूद भी अपने सत्य और अहिंसा के पथ को कभी नहीं छोड़ा।
वह नियमित रूप से आत्मनिरीक्षण करते थे जो हमारे जीवन को सुधारने का एक शानदार तरीका है। तो हम भी अपने जीवन को सुचारु बनाने के लिए इसे अपना सकते हैं।
महात्मा गांधी ने जीवनभर सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत का पालन किया।
गाँधीजी को श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका उन नियमों का पालन करना है, जिनका उन्होंने पूरे जीवन पालन किया है। आइए हम अपने आप को मजबूत बनाएं, अपने देश को स्वच्छ बनाएं और एक सफल जीवन जीएं।