मार्गशीर्ष – जानिये मार्गशीर्ष मास के व्रत व त्यौहार

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मार्गशीर्ष – जानिये मार्गशीर्ष मास के व्रत व त्यौहार

चैत्र जहां हिंदू वर्ष का प्रथम मास होता है तो फाल्गुन महीना वर्ष का अंतिम महीना होता है। महीने की गणना चंद्रमा की कलाओं के आधार पर की जाती है इसलिये हर मास को अमावस्या और पूर्णिमा की तिथियों तक कृष्ण और शुक्ल पक्ष में विभाजित किया गया है। पूर्णिमा के बाद की प्रथम तिथि से लेकर अमावस्या तक के काल को कृष्ण पक्ष कहा जाता है और अमावस्या के बाद प्रथम तिथि से लेकर पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष। पूर्णिमा को पूर्णिमा भी इसलिये कहा जाता है क्योंकि इस चंद्रमा के साथ-साथ मास भी पूर्ण हो जाता है। जो पूर्णिमा जिस नक्षत्र में होती है उसी नक्षत्र के नाम पर उस महीने का नाम रखा गया है। अपने इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं हिंदू वर्ष के 9वें माह मार्गशीर्ष के बारे में। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2020 में मार्गशीर्ष माह का आरंभ कार्तिक पूर्णिमा के पश्चात देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार 15 दिसंबर को होगा जो कि 13 जनवरी को मार्गशीर्ष पूर्णिमा तक रहेगा।

 

धार्मिक दृष्टि मार्गशीर्ष महीने का बहुत अधिक महत्व है इस माह में अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनके प्रति आभार प्रकट करें और दान पुण्य करके धार्मिक कार्यों में बढ़चढ़ कर भाग लें। भगवान आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करें। यदि आपको लगता है कि तमाम प्रयासों के बाद भी आपकी मनोकामनाएं पूर्ण नहीं हो रही तो आप विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श कर अपनी कुंडली के अनुसार शंकाओं का समाधान जान सकते हैं। अभी परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।

 

मार्गशीर्ष की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है इसलिये इस माह को मार्गशीर्ष कहा जाता है। हालांकि इस महीने के मगसर, अगहन, अग्रहायण आदि नामों से भी जाना जाता है। वैसे तो भगवान श्री कृष्ण की पूजा और महिमा का महीना भाद्रपद अथवा भादों को माना जाता है लेकिन धार्मिक ग्रंथों में मार्गशीर्ष महीने को भी श्री कृष्ण का स्वरूप ही माना जाता है। इस महीने में स्नान दान का भी विशेष महत्व बताया जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने स्वंय इस माह की महत्ता को बताते हुए कहा था कि “मार्गशीर्ष मास में यमुना नदी में स्नान करने से मुझे सहज ही पाया जा सकता है।” ये तो हुआ महत्व अब आपको बताते हैं कौनसी तिथि व त्यौहार हैं इस महीने में खास।

 

मार्गशीर्ष मास के व्रत व त्यौहार

मार्गशीर्ष मास में बड़े स्तर पर मनाया जाने वाला कोई त्योहार तो नहीं आता लेकिन धार्मिक रूप से कुछ महत्वपूर्ण तिथियां इस माह में अवश्य पड़ती हैं जिनमें व्रत व पूजा करके पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है। आइये जानते हैं इन तिथियों के बारे में।


उत्पन्ना एकादशी

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। वर्ष 2020 में उत्पन्ना एकादशी का व्रत 11 दिसंबर को रखा जायेगा।


मार्गशीर्ष अमावस्या

मार्गशीर्ष अमावस्या को अगहन व दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। धार्मिक रूप से इस अमावस्या का महत्व भी कार्तिक अमावस्या के समान ही फलदायी माना जाता है। इस दिन भी माता लक्ष्मी का पूजन शुभ माना जाता है। स्नान, दान व अन्य धार्मिक कार्यों के लिये भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। दर्श अमावस्या को पूर्वजों के पूजन का दिन भी माना जाता है। वर्ष 2020 में मार्गशीर्ष अमावस्या का उपवास 14 दिसंबर को है।


विवाह पंचमी

अमावस्या के बाद शुरु होगा मार्गशीर्ष माह का शुक्ल पक्ष, इस पखवाड़े में जो पहली महत्वपूर्ण तिथि है वह है पंचमी तिथि। मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पंचमी को विवाह पंचमी भी कहा जाता है। माना जाता है प्रभु श्री राम का माता सीता से विवाह इसी दिन संपन्न हुआ था। इसलिये यह दिन मांगलिक कार्यों के लिये भी बहुत शुभ माना जाता है। यह 19 दिसंबर को है।

 

मोक्षदा एकादशी व गीता जयंती

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है यह एकादशी धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस एकादशी का उपवास रखने व्रती को मोक्ष मिलता है इसलिये इसका नाम भी मोक्षदा है। साथ ही यह भी मान्यता है हिंदूओं के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भगवदगीता का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इसलिये इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। यह पवित्र तिथि 25 दिसंबर को है।

 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा – दत्तात्रेय जयंती

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का भी धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। इस दिन को दत्तात्रेय जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। दत्तात्रेय को भगवान विष्णु का ही अंश माना जाता है जिन्होंनें अत्री ऋषि की पत्नी देवी अनुसूया की कोख से जन्म लिया। 2020 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत और भगवान दत्तात्रेय जयंती का पर्व 30 दिसंबर को है।

 

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