पौष पूर्णिमा 2022 - पौष पूर्णिमा व्रत विधि व महत्व

Fri, Dec 24, 2021
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Fri, Dec 24, 2021
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
पौष पूर्णिमा 2022 - पौष पूर्णिमा व्रत विधि व महत्व

भारतीय जनजीवन में पूर्णिमा व अमावस्या का अत्यधिक महत्व है। अमावस्या को कृष्ण पक्ष तो पूर्णिमा को शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन होता है। लोग अपने-अपने तरीके से इन दिनों को मनाते भी हैं। पूर्णिमा यानि पूर्णो मा:। मास का अर्थ होता है चंद्र। अर्थात जिस दिन चंद्रमा का आकार पूर्ण होता है उस दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। और जिस दिन चांद आसमान में बिल्कुल दिखाई न दे वह स्याह रात अमावस्या की होती है। हर माह की पूर्णिमा पर कोई न कोई त्यौहार अवश्य होता है। लेकिन पौष और माघ माह की पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व माना गया है, विशेषकर उत्तर भारत में हिंदूओं के लिए यह बहुत ही खास दिन होता है। आप भी अपने दिन को खास बना सकते हैं भारत के बेहतरीन ज्योतिषाचार्यों से बात करके आज ही।

 

2022 में पौष पूर्णिमा तिथि व मुहूर्त

वर्ष 2022 में पौष पूर्णिमा व्रत 17 जनवरी को है। पवित्र माह माघ का स्वागत करने वाली इस मोक्षदायिनी पूर्णिमा पर प्रभु भक्ति व स्नान ध्यान, दानादि से पुण्य मिलता है। 

पूर्णिमा तिथि आरंभ - रात्रि 03:18 बजे से (17 जनवरी 2022)

पूर्णिमा तिथि समाप्त - सुबह 05:17 बजे (18 जनवरी 2022)

 

पौष पूर्णिमा का महत्व

पौष माह की पूर्णिमा को मोक्ष की कामना रखने वाले बहुत ही शुभ मानते हैं। क्योंकि इसके बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। माघ महीने में किए जाने वाले स्नान की शुरुआत भी पौष पूर्णिमा से ही हो जाती है। पंडितजी का कहना है ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधिपूर्वक प्रात:काल स्नान करता है वह मोक्ष का अधिकारी होता है। उसे जन्म-मृत्यु के चक्कर से छुटकारा मिल जाता है अर्थात उसकी मुक्ति हो जाती है। चूंकि माघ माह को बहुत ही शुभ व इसके प्रत्येक दिन को मंगलकारी माना जाता है इसलिए इस दिन जो भी कार्य आरंभ किया जाता है उसे फलदायी माना जाता है। इस दिन स्नान के पश्चात क्षमता अनुसार दान करने का भी महत्व है।

 

राशिनुसार पौष पूर्णिमा की पूजा विधि जानने के लिए देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से करें बात, अभी बात करने के लिए यहां क्लिक करें।

 

कहां करें स्नान

वाराणसी के दशाश्वमेध घाट व प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर पर डुबकी लगाना बहुत ही शुभ व पवित्र माना जाता है। प्रयाग में तो कल्पवास कर लोग माघ माह की पूर्णिमा तक स्नान करते हैं। जो लोग प्रयाग या वाराणसी तक नहीं जा सकते वे किसी भी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करते हुए प्रयागराज का ध्यान करें।

 

इस दिन के त्यौहार

पौष पूर्णिमा के दिन ही शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है। जैन धर्म के मानने वाले पुष्याभिषेक यात्रा की शुरुआत भी इसी दिन करते हैं। वहीं छत्तीसगढ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासी इसी दिन छेरता पर्व भी मनाते हैं।

 

संबंधित लेख

लोहड़ी 2022 - दे माए लोहड़ी... जीवे तेरी जोड़ी   |   सूर्य देव की आराधना का पर्व ‘मकर संक्रांति`   |   बसंत पंचमी 2022

मकर संक्रांति पर यहां लगती है, आस्था की डूबकी   |   माघ – स्नान-दान से मिलता है मोक्ष   |   माघ - इस माह का है हर दिन पवित्र

ज्येष्ठ पूर्णिमा - संत कबीर जयंती   |   बैसाख पूर्णिमा - महात्मा बुद्ध जयंती   |  शरद पूर्णिमा - महर्षि वाल्मीकि जयंती   |  

article tag
Pooja Performance
article tag
Pooja Performance
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!