Masik Durgashtami: हिंदू धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी के दिन को बहुत शुभ माना जाता है। दुर्गाष्टमी साल में कई बार आती है। यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस पवित्र दिन पर साधक पूरी श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की उपासना करते हैं। मासिक दुर्गाष्टमी हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि दुर्गाष्टमी पर व्रत करने वाले लोगों को मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव के साथ माता की पूजा करते हैं और उपवास का पालन करते हैं, उनसे मां दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं और उनके सभी पाप कट जाते हैं। मासिक दुर्गाष्टमी 2025 (masik durga ashtami vrat) को नवरात्रों के सामान ही एक पवित्र अवसर माना जाता है। इस प्रकार अगर आप मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको दुर्गाष्टमी पर पूरे विधि-विधान के साथ व्रत का पालन जरूर करना चाहिए। यहां हम आपको साल 2025 में मासिक दुर्गाष्टमी की तिथियों के बारे में संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। इसके साथ ही यहां आप दुर्गाष्टमी का महत्व, पूजा विधि और मन्त्रों के बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी ले पाएंगे।
यहां जानते हैं कि साल 2025 में मासिक दुर्गाष्टमी किस किस तिथि पर पड़ेगी और इस तिथि का समय क्या रहेगा (durga ashtami 2025: date and time)।
मासिक दुर्गाष्टमी (23 जनवरी 2025, गुरुवार)
फाल्गुन, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 23 जनवरी 2025, सुबह 10:05 बजे
तिथि समाप्त - 24 जनवरी 2025, सुबह 09:05 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (22 फरवरी 2025, शुक्रवार)
चैत्र, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 21 फरवरी 2025, शाम 06:30 बजे
तिथि समाप्त - 22 फरवरी 2025, शाम 04:43 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (23 मार्च 2025, शनिवार)
वैशाख, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 23 मार्च 2025, रात 12:08 बजे
तिथि समाप्त - 23 मार्च 2025, रात 09:53 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (21 अप्रैल 2025, रविवार)
ज्येष्ठ, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 21 अप्रैल 2025, सुबह 04:23 बजे
तिथि समाप्त - 22 अप्रैल 2025, सुबह 02:05 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (20 मई 2025, सोमवार)
आषाढ़, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 20 मई 2025, सुबह 08:54 बजे
तिथि समाप्त - 21 मई 2025, सुबह 07:00 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (19 जून 2025, बुधवार)
श्रावण, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 18 जून 2025, दोपहर 03:17 बजे
तिथि समाप्त - 19 जून 2025, दोपहर 02:11 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (18 जुलाई 2025, गुरुवार)
भाद्रपद, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 18 जुलाई 2025, रात 12:56 बजे
तिथि समाप्त - 19 जुलाई 2025, रात 12:53 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (17 अगस्त 2025, शनिवार)
आश्विन, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 16 अगस्त 2025, दोपहर 02:38 बजे
तिथि समाप्त - 17 अगस्त 2025, दोपहर 03:40 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (16 सितम्बर 2025, सोमवार)
कार्तिक, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 15 सितम्बर 2025, सुबह 08:21 बजे
तिथि समाप्त - 16 सितम्बर 2025, सुबह 10:17 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (15 अक्टूबर 2025, मंगलवार)
मार्गशीर्ष, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 15 अक्टूबर 2025, सुबह 05:06 बजे
तिथि समाप्त - 16 अक्टूबर 2025, सुबह 07:34 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (14 नवम्बर 2025, गुरुवार)
पौष, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 14 नवम्बर 2025, सुबह 03:09 बजे
तिथि समाप्त - 15 नवम्बर 2025, सुबह 05:40 बजे
मासिक दुर्गाष्टमी (14 दिसम्बर 2025, शनिवार)
माघ, शुक्ल अष्टमी
तिथि प्रारम्भ - 14 दिसम्बर 2025, रात 12:22 बजे
तिथि समाप्त - 15 दिसम्बर 2025, रात 02:20 बजे
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मासिक दुर्गाष्टमी के दिन की जाने वाली व्रत और पूजा का धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह दिन देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। मां दुर्गा को समर्पित यह दिन शक्ति, धैर्य और साहस का प्रतीक है। मासिक दुर्गाष्टमी के व्रत (masik durga ashtami vrat) से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और बाधाओं का निवारण होता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से माता की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। इसके साथ ही माता अपना विशेष आशीर्वाद भी देती हैं। इस दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। दुर्गाष्टमी का व्रत करने से भक्तों को मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मासिक दुर्गाष्टमी पर व्रत रखने वालों को सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफ़ वस्त्र धारण करने चाहिए।
पूजा घर में आप सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी रखें, चौकी को गंगाजल से शुद्ध करके उसपर लाल रंग का वस्त्र बिछा लें। उसपे मां दुर्गा की मूर्ती स्थापित करें।
इसके बाद मां दुर्गा की पूजा के लिए शंख बजाकर माता का आह्वान करें। गंगा जल से मां दुर्गा का अभिषेक करें।
माता के सामने दीप जलाएं और लाल फूल, अक्षत, मौली, इलायची, रोली, सुपारी, लौंग और इत्र अर्पित करें।
इसके साथ ही मां दुर्गा को फल, फूल, मिठाई और नारियल का भोग अर्पित करें।
दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती करके मां दुर्गा से अपने जीवन में शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
व्रत के दौरान फलाहार करना और सात्विक भोजन ग्रहण करना उचित माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुराने समय में महिषासुर नाम का एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस हुआ करता था। उसे कई वरदान प्राप्त थे, इसलिए अपनी शक्ति के अहंकार में वे देवी-देवताओं को बहुत परेशान किया करता करता था। असुरों की सेना के साथ उसने देव लोग में भी हाहाकार मचाया हुआ था। असुरों के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए जब देवताओं ने भगवान शिव और विष्णु जी से प्रार्थना की तो उन्होंने देवी दुर्गा की रचना की। सभी ने देवी दुर्गा को विभिन्न तरह के अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। अपने संपूर्ण शक्तिशाली रूप में आकर मां दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर महिषासुर समेत सभी राक्षसों का वध किया। उसी दिन से दुर्गाष्टमी मनाई जाने की परंपरा शुरू हुई।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्व मंगल मंगलये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्यये त्रयंबिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
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