राशिनुसार देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए, ऐसे करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

Thu, Sep 26, 2019
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 राशिनुसार देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए, ऐसे करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

मां शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि पर्व 29 सितंबर से शुरू होने वाला है। ऐसे में हम आपके लिए मां दुर्गा को प्रसन्न करने की सरल व प्रभावी मार्ग बताने जा रहे हैं। जिससे आप मां की आसानी से कृपा प्राप्त कर सकेंगे। लेख में हम दुर्गा सप्तशती के पाठ को कैसे व किन सावधानियों के साथ करें इसके बारे में बताया गया इसके साथ ही इस पाठ का महत्व क्या? इसके करने से क्या लाभ मिलता है? तो आइये जानते हैं दुर्गा सप्तशती को कैसे करें।

 

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क्या है दुर्गा सप्तशती?

दुर्गा सप्तशती में मां आदि शक्ति के रूपों की स्तुति के लिए 700 संस्कृत श्लोकों को लिपीबद्ध किया गया है। ऋषियों ने जगत कल्याण के चार वेदों की तरह की इस ग्रंथ का भी महत्व है। दुर्गा सप्तशती में महालक्ष्मी, महाकाली व महासरस्वती बारे में बताया गया है। नौ दिनों में इस पाठ को समाप्त करना होता है।

 

दुर्गा सप्तशती पाठ का लाभ

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से जातक भय मुक्त होता है। इसके साथ साधक की भौतिक व आध्यात्मिक इच्छाएं पूर्ण होती है। इससे आपको मानसिक शानि से साथ ही आत्मिक शांति भी मिलती है। दुर्गा सप्तशती से आपकी मनोहथ पूर्ण होती है।

 

राशिनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ

यहां हम आपको यह सूचना देने जा रहे हैं कि इस नवरात्रि आप अपनी राशिनुसार दुर्गा सप्तशती के किस अध्याय का पाठ करें जिससे आपको लाभ हो। ज्योतिष में इस बारे में विस्तार से बताया गया है तो आइये जानते हैं राशिनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ –


मेष राशि

मेष राशि के जातकों पर मंगल का अधिक प्रभाव रहता है। जिसके चलते इन्हें दुर्गा सप्तशती का प्रथम अध्याय का पाठ करना आपके लिए हितकर रहेगा। इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी।

 

बृषभ राशि

आपका स्वभाव भावुक होता है। आपके ऊपर शुक्र की प्रधानता है इसलिए आपको दुर्गा सप्तशती के द्वितीय अध्याय का पाठ करना उत्तम रहेगा।

 

मिथुन राशि

ज्योतिष की माने तो आप अगर मिमुन जातक है तो आप पर बुध ग्रह का पूरा प्रभाव होता है। जिसके चलते आप दूसरों के बातों से जल्दी प्रभावित हो जाते हो। आपको दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय का पाठ करें।

 

कर्क राशि

कर्क राशि के जातको पर चंद्रमा का प्रभुत्व होता है। जिसके चलते आपका मन चंचल रहता है। और आप किसी भी कार्य में अपना शत प्रतिशत योगदान नहीं दे पाते। आपको दुर्गा सप्तशती के पांचवे अध्याय का पाठ करना चाहिए।

 

सिंह राशि

यदि आपकी राशि सिंह है तो आप पर सूर्य ग्रह का अधिक प्रभाव होगा। जिसके चलते आप लोगों पर अपना प्रभाव डालने में सफल रहते हैं। लेकिन कभी कभार यह नहीं चलता है। जिसके लिए आपको दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय का पाठ करना चाहिए।

 

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों पर बुध का प्रभाव रहता है जिसके चलते आप काफी बुद्धिमान होते हैं। फिर भी आप सही समय पर सही फैसले लेने में पीछे रहते हैं। जिसके चलते आपको हानि का समना करना पड़ता है। आपको दुर्गा सप्तसती के दसवें अध्याय का पाठ करना चाहिए।

 

तुला राशि

इन जातकों पर शुक्र का प्रभुत्व होता है। जिसके चलते जातक अत्यधिक कलात्मक होते हैं। इसके साथ ही इनके अंदर काम भावना भी प्रबल होती है। जिसके चलते इन्हें दुर्गा सप्तशती के छठे अध्याय का पाठ करना चाहिए।

 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों पर मंगल की प्रधानता रहती है। जिसके चलते इस राशि के जातकों दुर्गा सप्तशती के आठवें अध्याय का पाठ करना उत्तम रहेगा।

 

धनु राशि

धनु जातकों पर देव गुरू बृहस्पति का प्रभाव होता है। इसलिए आपको दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना अति उत्तम रहेगा। इससे आपके समस्त दुख दूर होंगे।

 

मकर राशि

यदि आप मकर राशि के जातक हैं तो हम आपको बता दें कि आपके ऊपर शनि का प्रभाव होता है। जिसके चलते ये न्याय के प्रति गंभीर होते है और उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। इसी के चलते इनके कई विरोधी भी बनते हैं। ऐसे में आपको दुर्गा सप्तशती के आठवें अध्याय का पाठ करना चाहिए।

 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातक वायु तत्व प्रधान होते हैं। हमेशा चलायमान रहते हैं। ये एक जगह नहीं ठीकते हैं। जिसके चलते इनका कार्य सही से नहीं होता है। इस राशि के जातकों को दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ करना चाहिए।

 

मीन राशि

यदि आपका राशि मीन है तो आपको दुर्गा सप्तशती के नौंवे अध्याय का पाठ करना उत्तम है। क्योंकि आप पर गुरू की प्रधानता होती है। आप वैसे समस्याओं से निकलने में कामयाब होते हैं परंतु कई सुख समृद्धि का सही से भोग नहीं कर पाते हैं।

 

कैसे करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए सर्व प्रथम शुद्ध हो लें इसके बाद आप लाल कपड़ा बिछाकर दुर्गा सप्तशती के पुस्तक को रख दें। फिर पूर्व दिशा की ओर मुख कर के चार बार आचमन करें। फिर गणेश जी की का आह्वाहन कर पाठ की शुरूआत करें। ध्यान रहें पाठ के पहले शापोद्धार कर जरूर करें। अन्यथा आपको इसका फल नहीं मिलेगा। आप पाठ हिंदी में भी कर सकते हैं।

 

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