Mundan Muhurat for 2024: मुंडन, एक महत्वपूर्ण हिंदू संस्कार हैं। जो एक छोटे बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह एक ऐसा संस्कार समारोह है जिसमें पहली बार बच्चे का सिर पारंम्परिक रूप से मुंडवाया जाता है, जो आत्मा की शुद्धि और नवीनीकरण का प्रतीक है। मुंडन संस्कार, जिसे चूड़ाकरण या मुंडन के नाम से भी जाना जाता है, भारत में यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है और इसे बच्चों के लिए एक संस्कार के रूप में किया जाता है। साल 2024 में, यह संस्कार उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जायेगा, क्योंकि हर परिवार इस शुभ अवसर को मनाने के लिए एक साथ आएगा।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बच्चे के जन्म के एक साल या तीन साल बाद उसका मुंडन संस्कार किया जाता है। यह परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। मुंडन 2024 को चूड़ाकर्म संस्कार के रूप में भी जाना जाता है। यह आठवां संस्कार होता है। इस संस्कार में नवजात शिशु के बालों को काट दिया जाता है। जब कोई बच्चा अपनी माता के गर्भ से पैदा होता है तो उसके सिर पर कुछ बाल होते हैं, उन्हें हटाने को मुंडन संस्कार (Mundan Sanskar muhurat 2024) कहा जाता है। यह संस्कार केवल धार्मिक कारणों से नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारणों से भी जुड़ा है। आइए जानते हैं कि 2024 में मुंडन मुहूर्त (Mundan Muhurat 2024) कब-कब हैं?
कब करवाना चाहिए मुंडन संस्कार?
ज्यादातर बच्चों के पहले साल या तीसरे साल में उसका मुंडन संस्कार करवाया जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य, मेष, वृषभ, मिथुन, मकर और कुंभ राशि में हों, तब मुंडन संस्कार करवाना बेहद शुभ माना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, लड़कों का मुंडन संस्कार सदैव तीसरे, पांचवे और सातवें साल में किया जाना चाहिए। जबकि लड़कियों का चौल कर्म अर्थात मुण्डन संस्कार दूसरे या चौथे साल में करना चाहिए।
आपको बता दें कि नवंबर 2024 में आप महत्वपूर्ण कार्यों के लिए कई शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) चुन सकते हैं। हम आपके लिए हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल 2024 के मुंडन संस्कार शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat Mundan 2024) लाए हैं ताकि आपके सभी कार्य उपयुक्त तिथियों पर अच्छे से सम्पन्न हो सकें।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल 2024 में मुंडन संस्कार के काफी सारे शुभ मुहूर्त हैं। तो आइए मुंडन संस्कार शुभ मुहूर्त 2024 पर विस्तार से एक नज़र डालते हैं, जिसमें तिथि, समय, दिन और नक्षत्र आदि शामिल हैं।
जनवरी का महीना नए साल के प्रतीक की तरह हैं वैसे ही बच्चे के जीवन में भी इस महीने से नया अनुभव शुरू होता है। इस माह में नक्षत्रों के सही स्तिथि न होने की वजह से कोई भी मुंडन शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं।
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फरवरी का महीना प्यार और अपनेपन का महीना होता है। फरवरी में 21, 22 और 29 तीन तिथियां मुंडन संस्कार करने के लिए शुभ होंगी। अगर आप विस्तृत शुभ मुहूर्त जानना चाहते है तो नीचे दिए मुहूर्त का उपयोग करें।
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मार्च ठण्ड से गर्मी की तरफ बदलाव लाने का महीना है। मार्च के महीने में ४ शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं 8, 20, 27 और 28 मार्च 2024 आदि। अगर आप विस्तृत शुभ मुहूर्त जानना चाहते है तो नीचे दिए मुहूर्त का उपयोग करें।
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अप्रैल चंचल हवा की तरह अपने मनमौजी स्वभाव के लिए जाना जाता है। चूँकि बारिश इस महीने छिटपुट रूप से पृथ्वी पर डांस करती है। इस माह प्रकृति अपनी नींद से जागती है। अप्रैल में अगर आप मुंडन संस्कार करना चाहते हैं तो आप 4, 5 और 15 अप्रैल की तारीख चुन सकते हैं। अगर आप विस्तृत शुभ मुहूर्त जानना चाहते है तो नीचे दिए मुहूर्त का उपयोग करें।
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मई गर्मियों की छुट्टियों के आनंद का समय होता है। यह परिवारिक एकजुटता का समय भी होता है इसलिए इस महीने में आप मुंडन संस्कार करना चाहते है तो बेहद शुभ होगा। आप इस माह 3, 10, 20, 24, 29 और 30 मई 2024 आदि तिथियां पर मुंडन संस्कार कर सकते हैं। अगर आप विस्तृत शुभ मुहूर्त जानना चाहते है तो नीचे दिए मुहूर्त का उपयोग करें।
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मुंडन संस्कार के क्षेत्र में, जून का अत्यधिक महत्व है, विशेष रूप से वर्ष 2024 में। माना जाता है कि जून का यह महीना अपने गर्म होने की तरह बच्चे के लिए आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जून में 10, 17, 21, 24 और 26 मुंडन संस्कार करने के लिए शुभ तिथियां होंगी।
जून मुंडन संस्कार शुभ मुहूर्त यहाँ देखें!
जुलाई गर्मियों की चमक के साथ आता है, जिसमें छायादार पेड़ों के नीचे बैठकर पिकनिक का आनंद लिया जाता है। यह एक ऐसा महीना है जहां दिन अंतहीन लगते हैं, इस महीने गर्मी अपने पीक पर होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार 15 जुलाई 2024 की तिथि मुंडन संस्कार करने के लिए शुभ होगी। अगर आप विस्तृत शुभ मुहूर्त जानना चाहते है तो नीचे दिए मुहूर्त का उपयोग करें।
जुलाई मुंडन संस्कार शुभ मुहूर्त यहाँ देखें!
धार्मिक मान्यताओं में जब ग्रहों की अनुकूल स्तिथि न हो तब विवाह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। साल 2024 में इन महीनों में नक्षत्रों की सही स्तिथि न होने के कारण कोई मुंडन संस्कार करने के लिए कोई मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
भारतीय परंपरा में मुंडन संस्कार को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 84 लाख योनियों के बाद मानव जीवन की प्राप्ति होती है। ऐसे में हर व्यक्ति के पिछले जन्म के पापों को हटाने के लिए बच्चे के बालों को काटा जाना महत्वपूर्ण माना जाता है। माता के गर्भ से नवजात शिशु के जन्म लेने के बाद शिशु के सिर के बाल उतारने को मुंडन संस्कार के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस संस्कार से गर्भावस्था की अशुद्धियों को दूर किया जाता है। सामान्य तौर पर, इसमें शिशु के जन्म लेने के बाद पहली बार उसके बाल उतारे जाते है। मुंडन संस्कार को चौल कर्म भी कहा जाता है।
यजुर्वेद में मुंडन संस्कार के बारे में कहा गया है कि, मुंडन संस्कार आयु, आरोग्य तेज, बल की वृद्धि और गर्भावस्था की अशुद्धियों को दूर करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है। मुंडन संस्कार सम्पन्न करने से बच्चों को दांत निकालते समय अधिक दर्द या परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। मुंडन संस्कार द्वारा बच्चों के शरीर का तापमान सामान्य रहता है। ऐसा करने से उनका मस्तिष्क ठंडा रहता है और बच्चों को शारीरिक एवं स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न नहीं होती हैं। जन्मकालीन केश के उतारने के पश्चात सिर पर धूप पड़ने से बच्चे को विटामिन डी की प्राप्ति होती है जिससे कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह सुगमता से होता है।
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हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ माह में बड़े बच्चे का मुंडन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, इन माह में जन्म लेने वाले बच्चे का मुंडन करने से बचें। मुंडन को आषाढ़ माह की एकादशी से पहले कर सकते है, साथ ही माघ एवं फाल्गुन माह में बच्चों का मुण्डन संस्कार करें। मुंडन संस्कार के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथि को शुभ माना जाता है। सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार का दिन मुंडन के लिए शुभ माना गया हैं, लेकिन कन्याओं को मुंडन शुक्रवार के दिन नहीं करना चाहिए। मुंडन संस्कार के लिए अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाति, ज्येष्ठ, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्रों को शुभ माना जाता हैं। मान्यताओं के अनुसार,जन्म माह व जन्म नक्षत्र और चंद्रमा के चतुर्थ, अष्टम, द्वादश और शत्रु भाव में स्थित होने पर मुंडन संस्कार करना वर्जित है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, पूर्व जन्मों के समस्त ऋणों को उतारने और पिछले जन्मों के सभी पाप कर्मों से मुक्ति के उद्देश्य से शिशु के जन्मकालीन बाल को काटा जाता हैं और इस पूरी प्रक्रिया को मुंडन कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अतिरिक्त वैज्ञानिक दृष्टि के मुताबिक, जब शिशु माता के गर्भ में होता है तो उसके सिर के बालों में अनेक प्रकार के हानिकारक कीटाणु और बैक्टीरिया लग जाते हैं जो शिशु के जन्म के उपरांत बाल धोने से भी नहीं निकलते हैं। यही कारण है कि शिशु के जन्मे लेने के एक वर्ष के भीतर मुंडन अवश्य कराना चाहिए।
वैसे तो सभी लोग मुंडन संस्कार अपनी पारिवारिक परंपरा के अनुसार करते हैं। कुछ लोग अपने घर में पंडित को बुलाकर अपने बच्चे का मुंडन संस्कार करवा लेते हैं। तो कुछ लोग मंदिर या किसी धार्मिक स्थल पर जाकर करवाते हैं। हालांकि इसके अलावा मुंडन संस्कार को अधिकतर उत्तर भारत में गंगा किनारे, दुर्गा मंदिरों के आंगन में और दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर में संपन्न कराना अधिक शुभ माना जाता है। मुंडन होने के बाद बालों को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।
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