कैलाश पर्वत ( Mount Kailash ) का जब-जब नाम आता है तो भगवान शिव के प्रति लोगों की आस्था और अधिक बढ़ जाती है। पौराणिक कथाओं में कैलाश पर्वत को भगवान शिव शंकर ( Bhagwan Shiv Shankar ) का निवास स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव आज भी कैलाश पर्वत पर अपने परिवार के साथ रहते हैं। इतना ही नहीं हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है। कैलाश पर्वत के रहस्य ( mystery of kailash mountain ) हमेशा से इसे अद्भुत स्थान की संज्ञा देते आए हैं।
हैरान कर देने वाली बात ये है कि कैलाश पर्वत से लगभग 2200 मीटर ऊंची माउंट एवरेस्ट ( Mount Everest ) की चोटी को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं, लेकिन कैलाश पर्वत तक आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है और इसकी वजह ये है कि इस पर्वत की चढ़ाई प्रतिबंधित है। इसकी वजह ये भी है कि कैलाश पर्वत हिमालय के उत्तरी क्षेत्र तिब्बत में स्थित है और वो इलाक़ा चीन के अधीन है। ऐसे में कैलाश पर्वत चीन में आता है। इस पर्वत पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक ये कह चुके हैं कि यहां तक किसी का चढ़कर आना एकदम असंभव है। कैलाश पर्वत के इन रहस्यों के बारे में आज तक दुनियाभर के वैज्ञानिक कुछ पता नहीं लगा पाए हैं।
ऐसा नहीं है कि किसी ने भगवान शंकर के निवास स्थान तक पहुंचने की कोशिश नहीं की, लेकिन जो भी वहां तक पहुंचा उसने मौत को अपनी आंखो से भी देखा। कैलाश पर्वत के बहुत करीब तक जा चुके रूस के एक पर्वतारोही सरगे सिस्टियाकोव बताते हैं कि वो इस पर्वत के बहुत करीब तक पहुंच गए थे, लेकिन जैसे ही वो और आगे बढ़े तो उनका दिल तेजी से धड़कने लगा और उन्हें कमजोरी महसूस होने लगी। इसके बाद उन्होंने वापसी का फैसला किया और वो जैसे-जैसे वापस आते गए तो उनकी सेहत में सुधार होता गया। ऐसा ही एक उदाहरण एक दूसरे पर्वतारोही कर्नल आर.सी. विल्सन का है, जिन्होंने बताया कि, ' जैसे ही मुझे लगा कि मैं एक सीधे रास्ते से कैलाश पर्वत के शिखर पर चढ़ सकता हूं, तभी भयानक बर्फबारी ने रास्ता रोक दिया और चढ़ाई को असंभव बना दिया।'
ये दावा कैलाश पर्वत को सबसे ज्यादा रहस्यमयी बनाता है। दावा किया जाता है कि कैलाश पर्वत के उपर आसमान में 7 तरह की लाइटें चमकती हैं। नासा के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हो सकता है कि ऐसा यहां के चुम्बकीय बल के कारण होता हो। यहां का चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण कर सकता है।
कैलाश पर्वत की भौगोलिक स्थिति के बारे में बात करें तो यहां सिंध ब्रह्मपुत्र, सतलुज और घाघरा नदी का संगम होता है। कैलाश पर्वत के समीप 2 मुख्य सरोवर हैं। पहला मानसरोवर, जिसे कैलाश मानसरोवर भी कहते हैं और इस सरोवर तक श्रद्धालुों का आना जाना भी होता है। कैलाश मानसरोवर दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है। इस सरोवर का आकार सूरज के समान है। दूसरा, राक्षस नामक झील, जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है। इस सरोवर का आकार चंद्रमा के समान है। इस तरह कैलाश मानसरोवर झील सकारात्मक और राक्षस झील नकारात्मक उर्जा का स्त्रोत है। जब दक्षिण से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिह्न वास्तव में देखा जा सकता है। यह अभी तक रहस्य है कि ये झीलें प्राकृतिक तौर पर निर्मित हुईं या कि ऐसा इन्हें बनाया गया?
ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति अच्छे काम करता है, उसे स्वर्ग अर्थात कैलाश पर्वत पर स्थान मिलता है। कहते हैं कि कैलाश पर्वत पर सिर्फ पुण्यात्माएं ही निवास करती हैं। कैलाश पर्वत और उसके आस-पास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके वैज्ञानिकों का का मानना है कि यहां चारों ओर एक प्रकार की अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें आज भी कई तपस्वी गुरु अपनी साधना करते हैं और ईश्वर से संबंध स्थापित करते हैं। यही वजह है कि इस स्थान को अप्राकृतिक शक्तियों का केंद्र माना जाता है।
कैलाश पर्वत की आकृति भी अपने आप में रहस्यमयी है। इस पर्वत का आकार एक पिरामिड के समान है और वैज्ञानिक इसे धरती का केंद्र बताते हैं। इस पर्वत की आकृति का जिक्र रामायण में भी है। धरती के इस केंद्र को एक्सिस मुंडी माना जाता है, जिसका वर्णन दुनिया की नाभि या दुनिया के केंद्र बिंदु के रूप में किया जाता है। इसे आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र माना जाता है। माना जाता है कि यही वह बिंदु है जहां आकाश धरती से आकर मिलता है। यहीं पर आकर दसों दिशाओं का मिलन होता है।
ऐसा कहा जाता है कि कैलाश मानसरोवर के पास डमरू और ओम के उच्चारण की ध्वनि निरंतर रूप से सुनाई देती है। कहते हैं कि भगवान शिव खुद ये डमरू बजाते हैं और ओम का उच्चारण भी उनके वहां निवास स्थान की वजह से होता है। हालांकि इस रहस्य का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है। हालांकि वैज्ञानिकों के शोध के आधार पर यह भी कहा जाता है कि यहां पर हवाएं जब पहाड़ से टकराती हैं और बर्फ पिघलती है तो यह ध्वनि उत्पन्न होती है।
संबंधित लेख
कैलाश मानसरोवर – कब और कैसें करें मानसरोवर यात्रा । अमरनाथ यात्रा - बाबा बर्फानी की कहानी