Navmansh Kundali: जानें नवमांश कुंडली का महत्व और ज्योतिषीय उपयोग

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Navmansh Kundali: जानें नवमांश कुंडली का महत्व और ज्योतिषीय उपयोग

Navmansh Kundali: ज्योतिष सिर्फ ग्रह-नक्षत्रों की गणना नहीं, बल्कि जीवन की गहराइयों को समझने का एक विज्ञान है। आपने बहुत बार जन्मकुंडली (लग्न कुंडली) के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वैदिक ज्योतिष में एक और महत्वपूर्ण कुंडली होती है जिसे "नवमांश कुंडली" कहते हैं? इस कुंडली को भाग्य की कुंडली माना जाता है और इसका उपयोग जीवन के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों — जैसे विवाह, करियर, भाग्य, और आध्यात्मिक प्रगति — की सटीक भविष्यवाणी के लिए किया जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नवमांश कुंडली क्या होती है, इसका ज्योतिषीय महत्व क्या है और यह आपके जीवन में कैसे प्रभाव डालती है।

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नवमांश कुंडली क्या है?

"नवमांश" शब्द दो भागों से बना है — 'नव' यानी नौ और 'अंश' यानी भाग। इसका अर्थ है कि प्रत्येक राशि को नौ भागों में विभाजित किया जाता है, और हर भाग 3 डिग्री 20 मिनट का होता है। नवमांश कुंडली को D9 चार्ट भी कहा जाता है। यह कुंडली आपकी मूल जन्मकुंडली (लग्न कुंडली या D1) की गहराई से विवेचना करती है।

नवमांश कुंडली वैदिक ज्योतिष की सबसे महत्वपूर्ण विभाजन कुंडलियों (Divisional Charts) में से एक है। इसे भाग्य और धर्म का सूचक माना गया है और खासकर विवाह के बाद जीवन, भाग्य का स्तर, और आध्यात्मिकता को समझने के लिए इस कुंडली का उपयोग किया जाता है।

नवमांश कुंडली का महत्व क्यों है?

1. ग्रहों की शक्ति को मापने का पैमाना

जन्मकुंडली में कोई ग्रह शक्तिशाली दिख सकता है, लेकिन उसकी असली स्थिति नवमांश कुंडली से स्पष्ट होती है। अगर कोई ग्रह जन्मकुंडली में बलवान है लेकिन नवमांश में कमजोर है, तो उसका फल कम मिलता है। वहीं अगर कोई ग्रह जन्मकुंडली में कमजोर है और नवमांश में बलवान है, तो वह अच्छे फल दे सकता है।

2. विवाह और वैवाहिक जीवन की भविष्यवाणी

नवमांश कुंडली विशेष रूप से विवाह और शादी के बाद के जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। यदि मूल कुंडली में विवाह के संकेत कमजोर हों लेकिन नवमांश कुंडली में सप्तम भाव और शुक्र-गुरु बलवान हों, तो विवाह के बाद जीवन अच्छा हो सकता है। इसलिए, सिर्फ जन्मकुंडली पर निर्भर रहना उचित नहीं होता, नवमांश कुंडली देखना जरूरी होता है।

3. भाग्य और आध्यात्मिक विकास

नवमांश कुंडली व्यक्ति के धर्म, भाग्य और आत्मिक प्रगति के संकेत भी देती है। नवें भाव को धर्म भाव माना गया है और नवमांश उसी भाव का गहरा अध्ययन है। इससे यह पता चलता है कि जातक का आध्यात्मिक झुकाव कितना है और जीवन में कितनी भाग्यवृद्धि संभव है।

नवमांश कुंडली कैसे बनती है?

नवमांश कुंडली व्यक्ति की जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर बनाई जाती है। प्रत्येक राशि को 9 भागों में बाँटकर, प्रत्येक ग्रह को उसकी डिग्री के अनुसार नवमांश में प्लेस किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई ग्रह वृषभ राशि के 10 डिग्री पर है, तो वह नवमांश कुंडली में अलग राशि में स्थित हो सकता है। यही नवमांश कुंडली की गहराई है — यह ग्रहों के अंदर छिपी शक्ति को उजागर करती है।

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नवमांश कुंडली के ज्योतिषीय नियम

1. वर्गोत्तम लग्न

जब जन्मकुंडली और नवमांश कुंडली — दोनों में एक ही लग्न या राशि होती है, तो इसे 'वर्गोत्तम लग्न' कहा जाता है। यह स्थिति अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसा जातक आत्मबल और भाग्य से परिपूर्ण होता है।

2. वर्गोत्तम ग्रह

अगर कोई ग्रह दोनों कुंडलियों में एक ही राशि में हो, तो वह ग्रह 'वर्गोत्तम' कहलाता है। यह स्थिति दर्शाती है कि ग्रह अपना कार्य पूर्ण रूप से कर पाने में सक्षम है। जैसे अगर गुरु दोनों कुंडलियों में मिथुन राशि में है, तो वह जातक को संतान सुख, शिक्षा और विद्या में सफलता दिलाएगा।

3. नीच और उच्च ग्रहों का स्थान परिवर्तन

अगर कोई ग्रह जन्मकुंडली में नीच (debilitated) है लेकिन नवमांश में उच्च (exalted) हो जाता है, तो उसके नकारात्मक प्रभावों में कमी आ जाती है। वहीं इसके विपरीत, अगर जन्मकुंडली में ग्रह उच्च का है लेकिन नवमांश में नीच हो जाए तो शुभ फल में कमी आ सकती है।

विवाह में नवमांश कुंडली की भूमिका

1. विवाह योग की पुष्टि

शुभ विवाह योग को सिर्फ जन्मकुंडली देखकर नहीं समझा जा सकता। नवमांश कुंडली में सप्तम भाव, शुक्र, गुरु और लग्न की स्थिति देखकर यह तय किया जाता है कि जातक का विवाह सफल रहेगा या नहीं।

2. पति-पत्नी के बीच सामंजस्य

नवमांश कुंडली से यह भी जाना जाता है कि विवाह के बाद दांपत्य जीवन में कितना प्रेम और सामंजस्य रहेगा। अगर नवमांश में सप्तम भाव शुभ ग्रहों से युक्त है, तो दांपत्य जीवन सुखद रहता है।

3. विवाह के बाद का भाग्य

कई बार देखा गया है कि विवाह के बाद जीवन में तेजी से प्रगति होती है। इसका कारण नवमांश कुंडली में शुभ राजयोग बनना होता है। विशेषकर नवमांश के दशम भाव में अगर शुभ ग्रह स्थित हों तो यह दर्शाता है कि जातक को विवाह के बाद करियर में उन्नति मिलेगी।

नवमांश कुंडली में राजयोग

अगर नवमांश कुंडली के दशम भाव में सूर्य, चंद्र, गुरु, बुध या शुक्र जैसे शुभ ग्रह स्थित हों और इनका संबंध लग्नेश या नवमेश से हो, तो जातक को अद्भुत राजयोग प्राप्त होता है। वह व्यक्ति उच्च पद, प्रतिष्ठा और समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है।

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आध्यात्मिक दृष्टि से नवमांश का महत्व

नवमांश कुंडली व्यक्ति की आत्मिक यात्रा, धार्मिक झुकाव और आंतरिक शक्ति का प्रतीक भी होती है। जिनकी नवमांश कुंडली में नवम भाव और लग्नेश बलवान होते हैं, वे आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत होते हैं। ऐसे लोग पूजा-पाठ, ध्यान और सेवा में रुचि रखते हैं और जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं।

नवमांश कुंडली क्यों जरूरी है?

  • यह आपके वास्तविक स्वभाव और आंतरिक शक्ति को दर्शाती है।

  • विवाह योग और दांपत्य जीवन का गहरा विश्लेषण करती है।

  • ग्रहों के वास्तविक फल का अनुमान लगाती है।

  • जीवन के दूसरे भाग, यानी 30 के बाद के वर्षों में क्या घटित होगा, इसकी सटीक झलक देती है।

  • यह कुंडली आपको आत्मज्ञान और आध्यात्मिक पथ पर भी अग्रसर करती है।

नवमांश कुंडली सिर्फ एक सप्लीमेंट्री चार्ट नहीं, बल्कि ज्योतिष की रीढ़ होती है। इसे देखे बिना किसी ज्योतिषी की भविष्यवाणी अधूरी मानी जाती है। चाहे बात शादी की हो, करियर की हो या आध्यात्मिक प्रगति की — नवमांश कुंडली हर स्तर पर जीवन की सच्चाई से परिचय कराती है। इसलिए अगर आप अपने जीवन के गहरे रहस्यों को समझना चाहते हैं और सही दिशा में निर्णय लेना चाहते हैं, तो केवल जन्मकुंडली ही नहीं, नवमांश कुंडली को भी गंभीरता से समझना बेहद जरूरी है।

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