Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में सर्वाधिक शुभ माना जाता है और इस व्रत को धन, वैभव, यश तथा संतान की खुशहाली के लिए किया जाता है। अगर आप भी करना चाहते है निर्जला एकादशी का व्रत, लेकिन नहीं जानते है इसकी तिथि, महत्व एवं पूजा के बारे में, तो आइये जानते है।
सालभर में कुल चौबीस एकादशी आती हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना महत्व होता है। सभी व्रतों में एकादशी तिथि को व्रतों का राजा माना जाता है। इन 24 एकादशी में से निर्जला एकादशी को सबसे अधिक फलदायी एवं कल्याणकारी माना गया है। निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। सनातन धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं जो भक्तजन के लिए कल्याणकारी होती है। आइये जानते है निर्जला एकादशी के बारे में,
वर्षभर की सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी का सर्वाधिक महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष के 11वें दिन अर्थात एकादशी तिथि के दिन निर्जला एकादशी मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह दिन सामान्यतः जून के महीने में आता है। इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 10 या 11 जून को किया जाएगा।
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निर्जला एकादशी व्रत को निर्जला किया जाता है, और यही बात इस व्रत को कठिन बनाती है। इस व्रत में भक्त द्वारा जल की एक बूंद भी ग्रहण करना निषेध होता है। निर्जला एकादशी के दिन कैसे करें पूजा, आइये जानते है पूजा विधि के बारे में:
निर्जला एकादशी व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। अगर आप भी निर्जला एकादशी का व्रत करने के बारे में विचार कर रहे है, तो जरूर जानें निर्जला एकादशी के व्रत के महत्व के बारे मे:
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, महाभारत काल में एक बार महर्षि वेदव्यास जी से पाण्डु पुत्र भीम ने पूछा- आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी सदस्य एकादशी का व्रत करते हैं और ये व्रत करने के लिए मुझे भी कहते हैं, लेकिन मेरे से भूखा नहीं रहा जाता हैं। अत: कृपा करके आप मुझे बताएं कि बिना व्रत किए एकादशी का पुण्य कैसे प्राप्त कर सकते है। महर्षि वेद व्यास जी ने भीम के अनुरोध पर कहा- हे पुत्र! आप ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जल उपवास करो।
इस व्रत में अन्न एवं जल दोनों को त्यागना पड़ता है और इस दिन कोई भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल पिये बिना रहता है तथा श्रद्धापूर्वक निर्जला व्रत करता है, तो उसे साल में आने वाली सभी एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से प्राप्त हो जाता है, उस समय से भीम ने व्यास जी की आज्ञा का पालन करते हुए निर्जला एकादशी का व्रत किया था।
क्योंकि महर्षि वेदव्यास के अनुसार भीमसेन ने इसे धारण किया था। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से ही साल में आने वाली समस्त एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान होने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना का विधान है। इस व्रत से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी