
Panchak 2026 Dates: क्या आपने कभी सोचा है कि पंचक 2026 कब-कब पड़ेंगे और इनका हमारे जीवन पर क्या असर होता है? हिंदू धर्म में पंचक बेहद खास माने जाते हैं। यह हर महीने पाँच दिनों की अवधि होती है, जिसमें चंद्रमा आखिरी पाँच नक्षत्रों—धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से गुजरता है। मान्यता है कि इन दिनों में कुछ खास कार्य जैसे घर की छत डालना, नया बिस्तर खरीदना, अंतिम संस्कार आदि करने से बचना चाहिए।
लेकिन, ज़िंदगी की असलियत यही है कि हर समय को समझदारी से जीना ज़रूरी है। पंचक के समय भी सही उपायों और सावधानियों के साथ आप अपने काम बिना किसी डर के कर सकते हैं। दरअसल, पंचक हमें सिर्फ रोकने के लिए नहीं, बल्कि जागरूक करने के लिए हैं—ताकि हम अपने हर फैसले को सोच-समझकर लें।
अब आइए जानते हैं साल 2026 के पंचक की पूरी सूची, ताकि आप समय रहते अपनी योजना बना सकें।
पंचक वह अवधि होती है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशियों से होकर गुजरता है और पाँच नक्षत्रों (धनिष्ठा का अंतिम चरण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती) में प्रवेश करता है। इसी कारण इसे पंचक कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में यह समय अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि पंचक काल में किया गया कार्य पाँच गुना बढ़कर फल देता है। अगर शुभ काम हो तो लाभ पाँच गुना नहीं, बल्कि कई बार उल्टा परिणाम देता है। यही वजह है कि विवाह, गृह प्रवेश, नया मकान बनाना या किसी भी तरह का नया शुभ कार्य पंचक में टाला जाता है।
धनिष्ठा नक्षत्र (आधा हिस्सा) – इस दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा, छत डालना, लकड़ी/ईंधन इकट्ठा करना या खाट (बिस्तर) बनाना अशुभ माना जाता है। इससे आग लगने का खतरा बढ़ता है।
शतभिषा नक्षत्र – इस समय किए गए कामों से झगड़े और विवाद की संभावना रहती है।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र – इस अवधि में काम करने से बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र – इस समय किया गया काम दंड या सज़ा का कारण बन सकता है।
रेवती नक्षत्र – इस दौरान कार्य करने से धन की हानि की संभावना रहती है।
धनिष्ठा (अंतिम चरण)
शतभिषा
पूर्वाभाद्रपद
उत्तराभाद्रपद
रेवती
इसलिए, पंचक को नज़रअंदाज़ करना ठीक नहीं है। अगर इस दौरान कोई ज़रूरी काम करना ही पड़े, तो ज्योतिषीय उपाय करके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशियों में प्रवेश करता है और पाँच नक्षत्रों—धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती—से गुजरता है, तभी पंचक काल बनता है।
यह समय शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान किए गए काम का असर कई गुना हो सकता है। इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, नया मकान बनाना, वाहन खरीदना या किसी बड़े काम की शुरुआत पंचक में करने से बचना चाहिए। हालांकि, ज़रूरी काम के लिए शास्त्रों में कुछ विशेष उपाय (remedies) बताए गए हैं, जिनका पालन करके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
पंचक 2026 में कुल 12 बार आएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पंचक जनवरी से लेकर दिसंबर तक अलग-अलग महीनों में पड़ेगा। जनवरी में 20 तारीख से पंचक की शुरुआत होगी और 25 जनवरी तक रहेगा। इसी तरह फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर में भी पंचक काल रहेगा। यदि आप पंचक 2026 की सभी तिथियों और समय की विस्तृत जानकारी जानना चाहते हैं, तो नीचे दी गई सूची देखें।
20 जनवरी 2026, मंगलवार, पंचक प्रारंभ: रात्रि 01:35 बजे से
25 जनवरी 2026, रविवार, पंचक समाप्त: दोपहर 01:36 बजे तक
17 फ़रवरी 2026, मंगलवार, पंचक प्रारंभ: सुबह 09:06 बजे से
21 फ़रवरी 2026, शनिवार, पंचक समाप्त: सायं 07:07 बजे तक
16 मार्च 2026, सोमवार, पंचक प्रारंभ: सायं 06:14 बजे से
21 मार्च 2026, शनिवार, पंचक समाप्त: रात्रि 02:28 बजे तक
12 अप्रैल 2026, रविवार, पंचक प्रारंभ: रात्रि 03:45 बजे से
17 अप्रैल 2026, शुक्रवार, पंचक समाप्त: दोपहर 12:02 बजे तक
10 मई 2026, रविवार, पंचक प्रारंभ: दोपहर 12:13 बजे से
14 मई 2026, गुरुवार, पंचक समाप्त: रात 10:34 बजे तक
6 जून 2026, शनिवार, पंचक प्रारंभ: सायं 07:04 बजे से
11 जून 2026, गुरुवार, पंचक समाप्त: सुबह 08:16 बजे तक
3 जुलाई 2026, शुक्रवार, पंचक प्रारंभ: रात 12:48 बजे से
8 जुलाई 2026, बुधवार, पंचक समाप्त: सायं 04:00 बजे तक
31 जुलाई 2026, शुक्रवार, पंचक प्रारंभ: सुबह 06:38 बजे से
4 अगस्त 2026, मंगलवार, पंचक समाप्त: रात 09:54 बजे तक
27 अगस्त 2026, गुरुवार, पंचक प्रारंभ: दोपहर 01:35 बजे से
1 सितम्बर 2026, मंगलवार, पंचक समाप्त: रात्रि 03:24 बजे तक
23 सितम्बर 2026, बुधवार, पंचक प्रारंभ: रात्रि 09:57 बजे से
28 सितम्बर 2026, सोमवार, पंचक समाप्त: सुबह 10:16 बजे तक
21 अक्टूबर 2026, बुधवार, पंचक प्रारंभ: सुबह 07:00 बजे से
25 अक्टूबर 2026, रविवार, पंचक समाप्त: सायं 07:22 बजे तक
17 नवम्बर 2026, मंगलवार, पंचक प्रारंभ: दोपहर 03:30 बजे से
22 नवम्बर 2026, रविवार, पंचक समाप्त: प्रातः 05:55 बजे तक
14 दिसम्बर 2026, सोमवार, पंचक प्रारंभ: रात 10:36 बजे से
19 दिसम्बर 2026, शनिवार, पंचक समाप्त: दोपहर 03:58 बजे तक
यह भी जानें: साल 2026 में विवाह के लिए शुभ मांगलिक मुहूर्त
हिंदू धर्म में पंचक को बेहद खास और संवेदनशील समय माना जाता है। पंचक का अर्थ होता है पांच दिन की वह अवधि जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि से होकर गुजरता है और यह काल धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों से जुड़ा होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक काल में शुभ कार्य करने से पहले विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि हर प्रकार के पंचक का अलग प्रभाव और महत्व माना गया है। साल 2026 में भी पंचक कई बार आएगा और हर बार उसका असर अलग तरह से दिखाई देगा।
आइए जानते हैं पंचक के पांच प्रकार, उनके प्रभाव और जरूरी उपाय –
1. रोग पंचक
जब पंचक की शुरुआत रविवार से होती है, तो इसे रोग पंचक कहते हैं।
इस समय स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ बढ़ सकती हैं। बीमारियों का खतरा अधिक रहता है।
यज्ञ, हवन, बड़े धार्मिक अनुष्ठान या शारीरिक परिश्रम से जुड़े कार्य करने से बचना चाहिए।
इस दौरान भगवान शिव की आराधना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना लाभकारी माना गया है।
2. राज्य या नृप पंचक
जब पंचक सोमवार से शुरू होता है, तो इसे राज्य पंचक या नृप पंचक कहा जाता है।
यह समय सरकारी कार्यों, नई नौकरी की शुरुआत या सरकारी योजनाओं में निवेश के लिए शुभ नहीं माना जाता।
यदि इस अवधि में मजबूरीवश कोई काम करना पड़े, तो पहले गणपति पूजन करके कार्य प्रारंभ करना चाहिए।
3. अग्नि पंचक
मंगलवार से शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है।
इस समय घर का निर्माण कार्य, गृह प्रवेश, या भूमि/संपत्ति से जुड़ी गतिविधियाँ वर्जित मानी जाती हैं।
अग्नि से जुड़ी दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए इस अवधि में सावधानी बरतना आवश्यक है।
अग्नि पंचक में हनुमान जी की पूजा करने और हनुमान चालीसा का पाठ करने से सुरक्षा प्राप्त होती है।
4. चोर पंचक
जब पंचक की शुरुआत शुक्रवार को होती है, तो इसे चोर पंचक कहते हैं।
इस समय यात्रा करने से बचना चाहिए, क्योंकि चोरी, धोखा या धन हानि का खतरा रहता है।
लंबी यात्राओं में विशेष सावधानी रखनी चाहिए और सामान की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
इस दौरान मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से नकारात्मक असर कम हो जाता है।
5. मृत्यु पंचक
पंचक यदि शनिवार से शुरू होता है तो इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है।
इस समय विवाह, सगाई, गृह प्रवेश या अन्य शुभ कार्य पूरी तरह वर्जित होते हैं।
मृत्यु पंचक के दौरान अनिष्ट की आशंका बनी रहती है, इसलिए पूजा-पाठ और सत्कर्म पर ध्यान देना चाहिए।
इस समय हवन और महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है।
यह भी जानें: जानें 2026 में गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त।
पंचक काल में कुछ खास उपाय करने से इसके अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं –
भगवान विष्णु और शिव की पूजा करें– पंचक में विष्णु सहस्रनाम का पाठ और शिव मंत्र का जाप करने से शांति मिलती है।
दान करें – गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें। यह अशुभता को कम करता है।
जानवरों को भोजन खिलाएं– पंचक काल में पक्षियों और जानवरों को भोजन देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
विशेष अनुष्ठान करें – हवन, रुद्राभिषेक या नारायण पूजा जैसे अनुष्ठान पंचक के दुष्प्रभाव को कम करते हैं।
नाखून और बाल न काटें– परंपरा है कि पंचक के दौरान शरीर से जुड़े कार्य जैसे नाखून काटना, बाल कटवाना अशुभ माना जाता है।
पंचक 2026 में आने वाले सभी प्रकार के पंचक का जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। यदि आप पंचक काल में सावधानी बरतें, वर्जित कार्यों से बचें और बताए गए उपाय करें, तो इसके नकारात्मक परिणामों को टाला जा सकता है और यह काल भी आपके लिए सकारात्मक बन सकता है।
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