पंचक कुछ विशेष स्थितियों में बनते हैं वर्ष में कई बार पंचक बनते हैं। पंचक पर क्या विचार कर रहे हैं पंडित मनोज कुमार द्विवेदी। आइये जानते हैं।
क्या होता है पंचक?
भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ राशि और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहते हैं। धनिष्ठा से रेवती तक जो पाँच नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद एवं रेवती) होते हैं उन्हें पंचक कहा जाता है।
किस वार से शुरु होने वाले पंचक में क्या होगा प्रभाव?
भारतीय ज्योतिष में पंचक को अशुभ माना जाता है अतः पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किये जाते है आइये जानते हैं किस वार शुरू होने वाले पंचक में क्या प्रभाव होता है।
रविवार
अगर पंचक प्रारम्भ रविवार से हो रहा है तो यह रोग पंचक कहलाता है इसके प्रभाव में आकर व्यक्ति शारारिक और मानसिक परेशानियों का सामना करता है। इस दिन किसी भी प्रकार का शुभ कार्य का निषेध माना गया है।
सोमवार
सोमवार से शुरू पंचक को राजपंचक कहा जाता है यह पंचक काफी शुभ माना जाता है ऐसी मान्यता है कि इस दौरान सरकारी कार्यों में सफलता हासिल होती है और बिना किसी बाधा के संपत्ति से जुड़े मसलों का निदान होता है।
मंगलवार
मंगलवार से शुरू पंचक को अग्नि पंचक कहा जाता है।
यह पंचक अशुभ माना जाता है ऐसी मान्यता है कि इस दिन औजारों की खरीददारी, निर्माण, मशीनरी का कार्य नहीं करना चाहिए।
बुधवार और बृहस्पतिवार
पंचक यदि बुधवार और बृहस्पतिवार से शुरू हो रहे हैं तो उन्हें ज्यादा अशुभ नहीं माना जाता है, पंचक के मुख्य निशेध कार्यों को छोड़कर कोई भी कार्य किया जा सकता है।
शुक्रवार
शुक्रवार से शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहा जाता है इस दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए अन्यथा सामान चोरी और धनहानि की सम्भावना रहती है।
शनिवार
शनिवार से शुरू होने वाले पंचक सबसे ज्यादा अशुभ होते हैं इस पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है ऐसी मान्यता है कि इस दिन जोखिम भरे कार्य नहीं करना चाहिए अन्यथा व्यक्ति को मृत्यु तुल्य कष्टों का सामना करना पड़ता है।
पाँच दिनों का यह समय, वर्ष में कई बार आता है इसलिए सामान्य जन को यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि कौनसा जरूरी कार्य इन पाँच दिनों में सम्पन्न किया जाये और कौनसा कार्य इन पाँच दिनों में सम्पन्न न किया जाये तो बेहतर रहेगा।
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