ज्योतिष में कई रत्नों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। सभी ग्रह-राशि और नक्षत्र के लिए रत्नों को निर्धारित किया गया है। जिसे धारण करने से इसके सकारात्मक प्रभाव मिलते हैं। बात यदि राशि रत्नों की जाए तो इस ज्योतिषीय उपाय का उपयोग आदिकाल से ही किया जा रहा है। वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह के लिए उनके प्रभाव व व्यवहार को ध्यान रखते हुए इनके लिए रत्नों को निर्धारित किया है। इसी में से हैं एक रत्न पन्ना। जिसे ज्योतिषी तब धारण करने लिए कहते हैं जब संबंधित ग्रह का आपको सही लाभ न मिल रहा हो या किसी तरह की समस्या हो परंतु ज्योतिषीयों द्वारा कुंडली का आकलन कराने के बाद ही किसी भी रत्न को धारण करने की आपको सलाह दी जाती है। इस लेख में हम आज पन्ना रत्न के उपरत्न कहे जाने वाले वैकल्पिक रत्न के बारे में बताएंगे। जिसे धारण करने पर जातक को समान प्रभाव मिलेगा।
हम आपको सलाह देंगे कि कुंडली का आकलन करवाकर आप अपने राशि व ग्रह स्थिति व प्रभाव के आधार पर रत्न धारण करें। जिससे आपको इसका पूरा लाभ मिल सके। यदि आप अपने राशि रत्न के बारे में और अधिक जानकारी चाहते हैं आप एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से बात कर अपनी कुंडली का विश्लेषण कराकर रत्न के बारे में जान सकते हैं। ज्योतिषाचार्य से अभी बात करने के लिए यहां क्लिक करें।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि पन्ना मिथुन व कन्या राशि से संबंधित रत्न है। इसे खासकर तुला जातकों को धारण करने की सलाह दी जाती है। पन्ना बुध ग्रह से संबंधित है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि जिन जातकों की कुंडली में बुध कमजोर या किसी ग्रह से पीड़ित है तो उन्हें इस रत्न को धारण करने के लिए कहा जाता है। क्योंकि बुध ज्ञान, बुद्धि, विवेक, शिक्षा, सात्विकता, अध्यात्म और व्यापार व्यवसाय का कारक माने जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि राशि चक्र की दो राशियों मिथुन और कन्या का स्वामी बुध हैं। कुंडली में यदि बुध शुभ प्रभाव नहीं दे रहा हो या बुध की महादशा चल रही हो या बुध लग्न हो तो पन्ना रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। पन्ना रत्न धारण करने से बुध प्रभावी होता है और अपना शुभफल देता है।
उपरत्न की बात ज्योतिषशास्त्र में स्पष्टता से की गई है। उपरत्न से आशय है कि मुख्य राशि रत्न का एक विकल्प जो प्रमुख रत्न की तरह ही धारक को लाभ पहुंचाए। ज्योतिषियों का कहना है कि उपरत्न मुख्य रत्न की तरह परिणाम तो देता है परंतु यह अधिक समय तक प्रभावी नहीं रहता है। समय के साथ इसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। जिसके बाद आपको दोबारा रत्न धारण करना पड़ता है। इससे आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यदि ऐसा है तो ज्योतिष उपरत्न धारण करने की सलाह क्यों देते हैं? हम आपको बता दें कि ज्योतिषाचार्य उन मामलों में ही उपरत्न धारण करने की सलाह देते हैं जब धारक की माली स्थिति मुख्य रत्न को धारण करने की न हो या धारक स्वयं वैकल्पिक रत्न के बारे में परामर्श लेते हैं।
ज्योतिष के अनुसार पन्ना का वैकल्पिक रत्न पेरिडॉट, बैरूज, पन्नी और मरगज उपरत्न हैं। इन्हें धारण करने से पन्ना के समान ही लाभ मिलता है। परंतु जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि ये अधिक समय तक प्रभावी नहीं रहते हैं। एक सीमीत समय के बाद इनकी शक्ति खत्म हो जाती है और आपको दोबारा रत्न धारण करना होगा। इसलिए जहां तक हो सके जातक को मुख्य रत्न ही धारण करना चाहिए। इसका प्रभाव अधिक समय तक रहता है। जिससे अधिक लाभ मिलता है।
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