मंगल का अर्थ तो कल्याणकारी होता है इसमें इक प्रत्य के इस्तेमाल से बने शब्द मांगलिक का अर्थ भी शुभ ही होता है लेकिन जब यह शब्द मंगल ग्रह के संदर्भ में जुड़ जाते हैं तो इनका एक अर्थ नकारात्मक भी हो जाता है। यानि किसी जातक की कुंडली के अनुसार यदि वह मंगल दोष से पीड़ित हो यानि मांगलिक हो तो उसे जीवन में विवाह, दांपत्य जीवन के साथ-साथ और भी बहुत सारी कठिनाइयों को झेलना पड़ता है। लेकिन जहां समस्या होती है वहीं उसका कुछ न कुछ समाधान बी अवश्य होता है। ऐसे ही ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष को शांत करने के लिये भी कई सुझाव दिये जाते हैं जिनमें से एक है पीड़ित जातक को मूंगा रत्न धारण करने की सलाह देना हालांकि अच्छी तरह से देखभाल किये बिना यदि जातक इस रत्न को धारण करता है तो उस पर विपरीत प्रभाव पड़ने के आसार भी बन जाते हैं। तो आइये जानते हैं मंगल की पीड़ा को शांत करने के लिये किन जातकों को मूंगा धारण करना चाहिये तो किन्हें इस रत्न को धारण करने से बचकर रहना चाहिये।
मूंगा समुद्र में पाई जाने वाली एक प्रकार की वनस्पति है जिसे अंग्रेजी में कोरल कहा जाता है। प्राचीन काल में जिसे लतामणि कहा जाता था वह मूंगा ही है। मूंगा मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है। मान्यता है कि मंगल दोष दूर करने व मंगल की शुभता के लिये इसे धारण किया जा सकता है। लेकिन हर किसी को इसे धारण नहीं करना चाहिये।
वर्तमान में विभिन्न प्रकार के रत्नों की मांग बढ़ रही है जिसके कारण कुछ लोग अपने मुनाफे के लिये नकली रत्न बेचने का धंधा भी करने लगे हैं ऐसे में कई बार तो विद्वान भी असली-नकली की पहचान में चूक कर जाते हैं। इसलिये रत्न का शुद्ध होना बहुत आवश्यक है। शुद्ध मूंगे की पहचान कुछ इस तरह से की जा सकती है।
मूंगा रत्न बहुत ही चिकना होता है। इस पर पानी नहीं ठहरता इसलिये एक तरीका तो यह हो सकता है कि रत्न लेकर उप पर पानी की कुछ बूंदे डालें यदि पानी इस पर ठहरता है तो समझिये यह नकली है यदि पानी नहीं ठहरता तो मूंगा सही हो सकता है।
एक तरीका यह भी आजमाया जा सकता है कि मैग्निफाइंग ग्लास से मूंगे का अवलोकन करें, ध्यान से देखने पर उसमें बिल्कुल बाल के जितनी सफेद-सफेद रेखाएं सी दिखाई देंगी। यदि रेखाएं न दिखें तो समझ लें कि जो मूंगा आपको दिया जा रहा है वह नकली है, अशुद्ध है।
यदि मूंगा कहीं से सुला, कटा हुआ हो तो उसे भी नहीं लेना चाहिये यह भी ध्यान रखें कि उसमें कोई काला दाग धब्बा आदि न हो।
सही मूंगा सूर्ख़ लाल या सिंदूरी रंग का होता है।
वर्तमान दौर फैशन का दौर है ऐसे में जाने-अंजाने हमें जो कुछ भी सुंदर लगता है, हम उसे जाने-अंजाने पहन लेते हैं। लेकिन कुछ रत्न ऐसे होते हैं जिन्हें धारण करने से आप पर इसके विपरीत प्रभाव पड़ने लग जाते हैं। मूंगा भी इन्हीं में से एक है। यदि जातक की कुंडली में मंगल अष्टम में नीच राशि का या शत्रु राशि का हो, या फिर मंगल शनि से इष्ट हो, शनि के साथ हो तो मूंगा धारण करना सही नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में कई बार मूंगा दुर्घटना का कारण बन जाता है और अनिष्ट की आशंका हमेशा बनी रहती है। सामान्यत: मेष व वृश्चिक जो कि अग्नि और जल तत्व प्रधान राशियां है और जिनके स्वामी स्वयं मंगल होते हैं वाले जातकों को मूंगा धारण करने की सलाह दी जाती है लेकिन हमारी सलाह है कि अपनी कुंडली को विद्वान ज्योतिषाचार्यों को दिखाकर ही कोई रत्न आपको धारण करना चाहिये।
मान्यता है कि मूंगा जातक के आत्मविश्वास को बढ़ाता है, सोच को सकारात्मक करता है साथ ही इसे धारण करने के पश्चात लोगों का नज़रिया भी आपके प्रति बदलने लगता है। मीर्गी, पीलिया व रक्त संबंधी समस्याओं में भी मूंगी कमी लाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि मूंगा रत्न धारण करने से जातक को भूत-प्रेत आदि बाधाओं का भय भी नहीं रहता।
उपरोक्त सभी लाभ जो यहां पर बताये गये हैं वह प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। आपकी कुंडली के अनुसार आपके लिये मूंगा धारण करना लाभदायक रहेगा या इससे कोई नुक्सान होगा यह जानने के लिये आप एस्ट्रोयोगी पर देश भर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से परामर्श कर सकते हैं। ज्योतिषियों से अभी बात करने के लिये यहां क्लिक करें।
यह भी पढ़ें
जानें रत्न धारण करना कैसे पड़ सकता है मंहगा? | गणेश रूद्राक्ष से मिलती है सदबुद्धि | पुखराज के लाभ - कुंडली में कमजोर बृहस्पति को मजबूती देता है पुखराज
पन्ना रत्न - ज्योतिष के अनुसार पन्ना धारण करने के लाभ व सावधानियां | राशिनुसार रत्न धारण करने से मिलती है कमजोर ग्रहों को शक्ति
क्या है रत्न धारण करने की सही विधि? | गणेश रूद्राक्ष से मिलती है सदबुद्धि