सियासी तौर पर देखा जाये तो 2018 राजनीति के मुकाबलों के लिये सेमिफाइनल के रूप में देखा गया। वर्ष के अंतिम दिनों में आये नतीज़ों ने भाजपा की लहर को थोड़ा कुंद कर दिया है। राजस्थान, छतीसगढ़ और मध्यप्रदेश में जीत हासिल कर कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। लेकिन इस साल सभी राजनीतिक दलों की असल परीक्षा होनी है। 2018 में तेल, रफेल और किसानों ने भाजपा को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है। जीएसटी पर सरकार झुकी है और कुछ वस्तुओं के टेक्स में कटौति की है। तेल के दाम भी कम होने शुरु हो गये हैं। रफेल के मुद्दे पर भी न्यायालय से केंद्र को थोड़ी राहत जरुर मिली है लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रश्न अभी भी निरुत्तर हैं। ऐसे में ज्योतिषीय नज़रिये से देश के राजनीतिक हालात वर्ष 2019 में कैसे रहेंगे आइये जानते हैं एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्य इस बारे में क्या कहते हैं।
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इस समय भारत पर राशि स्वामी चंद्रमा की महादशा चल रही है जोकि 2025 तक रहेगी। साल 2019 की शुरुआत के समय भारत की कुंडली के अनुसार भारत पर बुध की अतंर्दशा तो सूर्य प्रत्यतंर दशा में गोचर करेंगें। वहीं वर्ष का आरंभ कन्या लग्न में हो रहा है जो कि भारत की राशि कर्क से तीसरा स्थान है।
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि राजनीति के क्षेत्र में वर्ष 2019 हलचल वाला साल रहेगा। इसी साल संसदीय चुनाव होंगे देखना होगा कि देश में 2018 के अंतिम दिनों में जो हवा का जो राजनीतिक रूख दिखाई दिया है वह आगे कितना दिखेगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू बरकरार रहेगा या फिर पप्पू एक बार फिर पास होगा। राजनीति के क्षेत्र में बृहस्पति, सूर्य और राहू की स्थिति काफी मजबूत बनी हुई है जिसके संकेत हैं कि जैसी उठापटक की उम्मीद लोग लगाए बैठे हैं वैसा कुछ भी नहीं होने वाला। हालांकि कुछ क्षेत्रों में जनता के सेवक प्रतिनिधियों की चमक फीकी जरुर पड़ सकती है।
राष्ट्रीय मुद्दों के मामले में राजनीतिक पार्टियां अपने लाभ के लिये बड़े अवसरों को भुनाने की कौशिश कर सकती हैं। कुछ क्षेत्रों में सांप्रदायिकता की समस्या से भी मुख्य राजनीतिक पार्टी को झूझना पड़ सकता है।
यदि पूरे वर्ष पर नज़र डाली जाये तो मार्च से लेकर जून तक के समय विपक्षी पार्टियों की आवाज़ सुनाई दे सकती है। राजनीतिक पार्टियों द्वारा आंदोलन भी इस समय किये जा सकते हैं। मार्च में राहू के राशि परिवर्तन करने से देश में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो सकती है। अप्रैल की शुरुआत से लेकर अगस्त के अंत तक सत्ताधारी पार्टी की चिंताएं बढ़ी रह सकती हैं। इस समय गुरु व शनि वक्री रहेंगें। इनके मार्गी होने पर हालातों में कुछ सुधार की संभावनाएं बन सकती हैं।