पोंगल दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले सबसे अधिक लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह फसलों का त्योहार है, जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। पोंगल 2025 में यह त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। तमिलनाडु में इसे 'ताई पोंगल' के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार मकर संक्रांति की तरह सूर्य देव को समर्पित होता है और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। सर्दियों की फसल के कटाई के बाद पोंगल मनाया जाता है और यह धूप, सूर्य, इंद्र देव और पशुओं के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है। इस दिन इन सभी की पूजा करके अच्छी फसल के लिए धन्यवाद दिया जाता है।
पोंगल का मतलब होता है "उबालना," लेकिन इसका एक अन्य अर्थ है "नया साल।" इस दिन सूर्य देव को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद को भी पोंगल कहा जाता है, जो दूध, चावल, गुड़ और बांग्ला चना को उबालकर बनाया जाता है। इस पर्व पर पारंपरिक व्यंजन जैसे अरवा चावल, सांभर, तोरम, नारियल, मूंग दाल और अबयल बनाए जाते हैं। यह प्रसाद पहले सूर्य देव को अर्पित किया जाता है और फिर गायों को खिलाया जाता है। इसके बाद इसे परिवार और मित्रों में बांटा जाता है।
दक्षिण भारत में इस दिन घरों के बाहर कोलम (रंगोली) बनाई जाती है और परिवार के लोग एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं। मिठाई और उपहारों का आदान-प्रदान होता है। कई स्थानों पर मेले का भी आयोजन किया जाता है।
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पोंगल चार दिनों तक मनाया जाता है, और प्रत्येक दिन का अलग महत्व है।
भोगी पोंगल (14 जनवरी 2025)
पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है। इस दिन इंद्रदेव की पूजा की जाती है। किसान इंद्रदेव को अच्छी बारिश और फसल के लिए धन्यवाद देते हैं। इस दिन पुराने सामानों को जलाने की परंपरा है, जो बुराई को दूर करने और नई शुरुआत का प्रतीक है।ताई पोंगल (15 जनवरी 2025)
यह दिन सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। नए चावल, मूंग की दाल और गुड़ को मिलाकर पोंगल प्रसाद बनाया जाता है। इसे केले के पत्ते पर गन्ना और अदरक के साथ सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। इस दिन सूर्य के प्रकाश में ही प्रसाद तैयार किया जाता है।मट्टू पोंगल (16 जनवरी 2025)
यह दिन पशुओं, खासकर बैलों, की पूजा के लिए समर्पित है। बैल और गायों को नहलाया-धुलाया जाता है, उनके सींगों पर तेल लगाया जाता है और उन्हें सजाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने नंदी को मनुष्यों की सेवा करने का आदेश दिया था। इस दिन किसान अपने पशुओं को धन्यवाद देते हैं।कान्नुम पोंगल (17 जनवरी 2025)
इस दिन परिवार और समाज के लोगों के साथ समय बिताया जाता है। महिलाएं अपने भाइयों की लंबी आयु और खुशहाली के लिए पूजा करती हैं। इस अवसर पर मेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।पोंगल का इतिहास करीब 2,000 साल पुराना है। प्राचीन काल में इसे ‘थाई निर्दल’ के रूप में मनाया जाता था। तमिल मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने नंदी को पृथ्वी पर जाकर मनुष्यों की सेवा करने का आदेश दिया था। तभी से बैल कृषि कार्यों में मदद करते आ रहे हैं। पोंगल के दिन किसान अपने बैलों और गायों की पूजा करते हैं। यह पर्व तमिलनाडु के राजा किलूटूंगा द्वारा गरीबों को जमीन और अनाज दान करने की परंपरा से भी जुड़ा है।
पोंगल का मूल उद्देश्य प्रकृति और फसलों को सम्मान देना है। तमिलनाडु की मुख्य फसलें जैसे गन्ना और धान जनवरी तक पककर तैयार हो जाती हैं। इस अवसर पर किसान अपनी मेहनत का फल देखते हैं और भगवान, सूर्य, धरती और अन्य प्राकृतिक तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। पोंगल को ‘उत्तरायण पुण्यकाल’ के रूप में भी मनाया जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक है।
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तिथि: 15 जनवरी 2025 से 17 जनवरी 2025 तक चार दिन का उत्सव।
विशेष: इस बार पोंगल पर विशेष पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 8:15 बजे से 10:30 बजे तक रहेगा।
आधुनिकता और परंपरा: इस बार कई स्थानों पर पोंगल उत्सव को तकनीकी रूप से लाइव स्ट्रीम किया जाएगा ताकि लोग घर से भी इसमें शामिल हो सकें।
पोंगल के दिन को ज्योतिषीय दृष्टि से भी शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से शनि दोष का निवारण होता है। अपनी कुंडली दिखाने और शंकाओं का समाधान पाने के लिए आप एस्ट्रोयोगी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से परामर्श कर सकते हैं।