इस समय देश में संकट की स्थिति पैदा है। वहीं आप ना तो घर से बाहर जा सकते हैं और ना ही घर पर किसी को बुला सकते हैं। पूरे देश में बंदी है और यहां तक की सभी मंदिर के पट भी बंद हैं। अक्सर जब हमें घर में किसी प्रकार का पूजा-अनुष्ठान (puja vidhi) करवाना होता था तो हम घर पर पंडित जी को बुला लेते थे और वह विधि विधान के साथ पूजा संपन्न करा देते थे लेकिन आज के दौर में यदि आप घर पर मंदिर जैसी पूजा करना चाहते हैं तो हम आपको कुछ नियम बता रहे हैं जिनका पालन करने से आपको मंदिर जैसी पूजा का ही फल प्राप्त होगा।
आमतौर पर इस महामारी के दौर में हर कोई बस भगवान की शरण में ही है और रात-दिन प्रार्थना कर रहा है। लेकिन घर में पूजा, आरती के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइए हम आपको बताते हैं।
वास्तु के मुताबिक आपके घर में पूजा घर ईशान कोण में होना चाहिए और पूजा करते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
दिन में 12 से शाम 4 बजे तक और रात्रि में रात 12 बजे से सुबह 3 बजे तक पूजा करना वर्जित है।
पूजा के दौरान दीपक सही हमेशा दाईं तरफ और तेल का दीपक बाईं तरफ रखना चाहिए। जल पात्र, घंटी और धूपदीप नवैद्य को हमेशा बाईं ओर रखना चाहिए।
भगवान को स्नान कराने के बाद उन्हें वस्त्र पहनाएं और चंदन टीक करें। हमेशा अनामिका यानि तीसरी उंगली से तिलक लगाएं। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि गणेश जी, हनुमान जी और मां दुर्गा के माथे से सिंदूर लेकर ना लगाएं।
पूजन के दौरान घंटी अवश्य बजाएं और एक बार पूरे घर में जाकर हर जगह घंटी बजाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
पूजा के दौरान बासी पुष्प अर्पित नहीं करने चाहिए। हमेशा ताजे और सुंगधित पुष्प ही भगवान को अर्पित करें। आपको बता दें कि तुलसी और गंगाजल पूजा में अवश्य होना चाहिए।
पूजा घर के पास शौचालय नहीं होना चाहिए। साथ ही शौच करने के बाद पूजा घर में प्रवेश करना उचित नहीं रहता है।
रोज रात में सोने से पहले मंदिर के पर्दों को बंद कर देना चाहिए। ताकि भगवान भी विश्राम कर सकें।
घर के मंदिर में रोजाना सुबह और शाम को दीपक जलाना चाहिए। कहा जाता है कि घी का दीपक शुभ होता है।
प्रतिदिन पंचदेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए। पंचदेव में सूर्य, गणपति, मां दुर्गा, शिवजी और श्रीविष्णु आते हैं। इनकी पूजा के बिना आपकी पूजा अधूरी ही रहेगी।
हमेशा आसनी में बैठकर ही पूजा करनी चाहिए और आसानी ऊनी होना अनिवार्य है।
भगवान की पूजा के बाद और आरती समाप्त होने के बाद उसी स्थान पर खड़ेकर 3 परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।
आरती करते वक्त सबसे पहले भगवान के चरणों की 4 बार, इसके बाद उनके नाभि की 2 बार, मुख की एक बार और समस्त अंगों की 7 बार आरती करनी चाहिए।
आपके पूजाघर में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां 1, 3, 5,7,9,11 इंच तक की ही होनी चाहिए। इसके अलावा खड़े हुए गणपति, सरस्वती माता, मां लक्ष्मी की प्रतिमा नहीं स्थापित करनी चाहिए।
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