Rakshabandhan 2024: रक्षाबंधन पर 90 साल बाद बन रहा शुभ महासंयोग, जीवन में सुख-समृद्धि

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Rakshabandhan 2024: रक्षाबंधन पर 90 साल बाद बन रहा शुभ महासंयोग, जीवन में सुख-समृद्धि

Raksha bandhan 2024: रक्षाबंधन, हमारे हिन्दू समाज का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। जो भाई-बहन के खास प्रेम के लिए जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांध कर उनसे अपनी रक्षा का वादा मांगती हैं। भाई अपने बहन को उनकी रक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन का पर्व पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा, जो कई शुभ योग के साथ आ रहा है। आइए जानते हैं रक्षाबंधन 2024 के बारे में विस्तार से।

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कब है रक्षाबंधन 2024? जानें तारीख और शुभ मुहूर्त

कब है रक्षाबंधन 2024? (rakshabandhan kab hai?) कब है राखी बांधने का मुहूर्त ? रक्षाबंधन का त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। साल 2024 में यह त्यौहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। आप यह भी याद रखें कि इस दिन भद्रा काल भी होता है जो राखी बांधने के लिए शुभ समय नहीं होता है। इस से बचते हुए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त यहां दिया गया है।

  • भद्रा काल: 18 अगस्त 2024 की रात 2:21 बजे से 19 अगस्त 2024 को दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा।

  • राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: 19 अगस्त 2024 को दोपहर 1:26 बजे से शाम 6:25 बजे तक रहेगा।

रक्षाबंधन 2024 पर बन रहे हैं ये महासंयोग और शुभ योग

इस साल रक्षाबंधन पर करीब 90 साल बाद 4 शुभ महासंयोग बन रहे हैं। ये महासंयोग जीवन में सुख-समृद्धि का वास लेकर आते हैं।

  • सर्वार्थ सिद्धि योग: यह सर्वार्थ सिद्धि योग शुभ कार्यों के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है और 19 अगस्त 2024 को सुबह से लेकर रात 8:40 बजे तक रहेगा।

  • रवियोग: रवि योग भी शुभ कार्यों के लिए लाभकारी माना जाता है।

  • शोभन योग: यह शोभन योग शुभता और सौंदर्य का प्रतीक है।

  • श्रवण नक्षत्र: यह नक्षत्र शुभ कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

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रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का महत्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है। यह भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान का प्रतीक है। इस पर्व के पीछे कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं:

कृष्ण और द्रौपदी की कथा

महाभारत के समय की बात है। जब द्रौपदी के चीर हरण का प्रसंग आया, तो उन्हें अपमान और संकट का सामना करना पड़ा। उनकी सहायता के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी अंगुली से एक चीर को इतना बड़ा कर दिया कि वह द्रौपदी को पूरी तरह ढक सके। कृष्ण की इस अद्भुत कृपा ने द्रौपदी को गहरे संकट से बाहर निकाला। इसके बाद, द्रौपदी ने कृष्ण की इस कृपा के प्रतीक स्वरूप उन्हें राखी बांधी और अपने भाई का दर्जा दिया। कृष्ण ने भी उसे रक्षा का वचन दिया और यह वादा हमेशा निभाया। इस तरह, राखी का यह पर्व दोनों कथाओं में प्रेम, विश्वास और रक्षा के बंधन का प्रतीक बन गया।   

राखी बांधने के नियम

राखी बांधते समय भद्रा काल से बचना चाहिए क्योंकि इस काल में राखी बांधना वर्जित होता है। इस साल भद्रा काल 19 अगस्त की दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा, इसलिए राखी बांधने का शुभ समय भद्रा काल समाप्त होने के बाद का ही माना जाएगा।

रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और रिश्तों का प्रतीक है। इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। भद्रा काल के कारण इस बार राखी बांधने का समय थोड़ा सीमित हो सकता है। इसलिए, बहनों को भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही राखी बांधनी चाहिए।

रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर सभी भाई-बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं!

रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर से संपर्क कर सकते हैं।

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