पूर्णिमा तिथि

पूर्णिमा तिथि

हिंदू पंचांग की पद्रहवीं तिथि पूर्णिमा (Purnima) कहलाती है साथ ही शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि भी है। इस तिथि का नाम सौम्य और बलिष्ट भी है, क्योंकि इस तिथि पर चंद्रमा का बल अधिक होता है और उसमें आकर्षण की शक्ति बढ़ जाती है। इसे हिंदी में  पौर्णमासी को 'महाचैत्री', 'महाकार्तिकी', 'महा पौषी कहा जाता है। पूर्णिमा तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 169 डिग्री से 180 डिग्री अंश तक होता है। पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रदेव को माना गया है। सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए इस तिथि में जन्मे जातकों को भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

पूर्णिमा तिथि का ज्योतिष महत्त्व

पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) के दिन चंद्रमा और गुरु दोनों एक ही नक्षत्र में होते हैं, तब कार्यकारी योग बनता है। इस तिथि पर समस्त शुभ कार्यों को किया जा सकता है। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है। इस तिथि से शुक्ल पक्ष का अंत और कृष्ण पक्ष की शुरुआत होती है। 

पूर्णिमा तिथि में जन्मे जातक
पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) में जन्मे जातक बुद्धिमान और संपत्तिवान होते हैं। इन लोगों का मनोबल बहुत अधिक होता है, इसलिए परेशानियों से हार नहीं मानती हैं। इन व्यक्तियों में कल्पनाशक्ति की अच्छी होती है और भीड़ में अपनी अलग पहचान बना ही लेते हैं। चंद्रमा की वजह से ये जातक भावनात्मक, कलात्मक, सौंदर्यबोध, रोमांस, आदर्शवाद जैसी बातों पर अमल करते हैं। इस तिथि में जन्मे लोग महत्वाकांक्षी भी होते हैं लेकिन जल्दबाजी में बहुत रहते हैं। 

क्या करें और क्या ना करें

  • सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति के लिए इस तिथि पर सत्यानारण का पाठ करवाना उत्तम रहता है।
  • पूर्णिमा तिथि पर गृह निर्माण, नया वाहन, गहने या कपड़ों की खरीदारी, शिल्प, मांगलिक कार्य, उपनयन संस्कार, सत्यनारायण की पूजा करना शुभ माना जाता है। 
  • इस तिथि पर यात्रा करना भी अच्छा होता है। 
  • वहीं दूसरी ओर ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन का कारक है। इस वजह से पूर्णिमा तिथि पर यह मन में काफी प्रभाव डालता है। 
  • यह मन को बैचन करता है और क्रोध, चिड़चिड़ाहट और नकारात्मकता भी ला सकता है। इसलिए बेहतर है कि आप किसी से बहस कतई ना करें।


पूर्णिमा तिथि के प्रमुख हिन्दू त्यौहार एवं व्रत व उपवास

  • पौष पूर्णिमा 

इस तिथि पर शाकंभरी जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान और दान करने का बहुत अधिक महत्व है। 

  • माघ पूर्णिमा

इस तिथि पर संत रविदास जंयती, श्री ललित जयंती और श्री भरैवी जयंती मनाए जाने का प्रावधान है।

  • फाल्गुन पूर्णिमा

इस तिथि पर रंगो का त्योहार होली को मनाया जाता है।

  • चैत्र पूर्णिमा 

इस तिथि के दिन हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है।

  • वैशाख पूर्णिमा 

इस तिथि के दिन बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

  • ज्येष्ठ पूर्णिमा

इस दिन वट सावित्री और कबीर जयंती का पर्व मनाया जाता है।

  • आषाढ़ पूर्णिमा 

यह तिथि गुरु पूर्णिमा के रूप में जानी जाती है।

  • श्रावण पूर्णिमा

इस तिथि के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। 

  • भाद्रपद पूर्णिमा 

इस तिथि के दिन उमा माहेश्वर व्रत रखा जाता है।

  • आश्विन पूर्णिमा 

इस तिथि के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। 

  • कार्तिक पूर्णिमा

इस तिथि के दिन पुष्कर मेला और गुरु नानक जयंती के त्योहार मनाया जाता है।

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा 

इस तिथि को दत्तात्रेय जंयती के रूप में जाना जाता है।





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