रंग पंचमी होली का ही एक रूप है। जो देश के कई क्षेत्रों में अलग-अलग मनाया जाता है। क्या आप जानना चाहते हैं कि किस शहर में रंगपचमी को किस तरह मनाया जाता है? अगर हाँ तो तुरंत पढ़े ये लेख।
Rang Panchami 2024: रंग पंचमी होली का ही एक रूप है जो देश के कई क्षेत्रों में चैत्र मास की कृष्ण पंचमी को मनाया जाता है। दरअसल होली का जश्न कई दिनों तक चलता है और इसकी तैयारियां होली के दिन यानि फाल्गुन पूर्णिमा से लगभग एक महीने पहले शुरू हो जाती है। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के पश्चात अगले दिन सभी लोग उत्साह में भरकर रंगों से खेलते हैं। रंगों का यह उत्सव चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर पंचमी तक चलता है। इसलिये इसे रंग पंचमी कहा जाता है। रंग पंचमी कोकण क्षेत्र का खास त्यौहार है महाराष्ट्र में तो होली को ही रंग पंचमी कहा जाता है। पंडितजी का कहना है इसके पीछे की मान्यता यह है कि इस दिन जो भी रंग इस्तेमाल किये जाते हैं जिन्हें एक दूसरे पर लगाया जाता है हवा में उड़ाया जाता है उससे विभिन्न रंगों की ओर देवता आकर्षित होते हैं। साथ ही मान्यता है कि इससे ब्रह्मांड में सकारात्मक तंरगों का संयोग बनता है व रंग कणों में संबंधित देवताओं के स्पर्श की अनुभूति होती है।
रंग पंचमी का त्यौहार चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है.
साल 2024 में रंग पंचमी का त्यौहार 30 मार्च, दिन शनिवार को मनाई जायेगी।
रंगवाली होली यानि धुलंडी से लेकर पंचमी तिथि तक यहां जमकर होली खेली जाती है। रंग पंचमी इस पर्व का अंतिम दिन होता है। माना जाता है कि यह मछुआरों के लिये भी बहुत खास होता है इस दिन सब नाचने गाने में मस्त होते हैं। रंग पंचमी पर एक विशेष प्रकार का मीठा पकवान भी घरों में बनाया जाता है जिसे पूरनपोली कहा जाता है। जगह-जगह पर दही-हांडी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं जिसमें महिलाएं मटकी फोड़ने वालों पर रंग फेंकती हैं ताकि वे अपने उद्देश्यों में सफल न हो सकें। जो भी मटकी फोड़ने में कामयाब होता है उसे पुरस्कार से नवाज़ा जाता है और वह होली किंग ऑफ द ईयर कहलाता है।
असल में रंग पंचमी के जरिये एक प्रकार से तेजोमय सगुण स्वरूप का रंगों के माध्यम से आह्वान भी किया जाता है। रंगपंचमी अनिष्टकारी शक्तियों पर विजय प्राप्ति का उत्सव भी है मान्यता है कि रज-तम के विघटन से दुष्टकारी या कहें पापकारी शक्तियों का उच्चाटन भी इस दिन होता है।
महाराष्ट्र ही नहीं मध्य प्रदेश के इंदौर में रंगपंचमी को पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। इस दिन पूरे शहर में रंगारंग जुलूस निकाले जाते हैं। यहां होली के पश्चात रंग पंचमी के दिन पुन: एक दूसरे पर रंग उड़ेले जाते हैं। गाजे-बाजे के साथ जुलूस की शक्ल में लोग निकलते हैं इस जुलूस को गेर कहा जाता है। इसमें सभी धर्म व जातियों के लोग शामिल होते हैं। पूरा इंदौर इस दिन विभिन्न रंगों में रंगा नजर आता है और सांस्कृतिक उत्सवों की धूम मची रहती है।
इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी इस दिन धार्मिक सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किये जाते हैं।
रंगपंचमी पर हर तरफ पूरे वातावरण में अबीर, गुलाल उड़ता हुआ दिखाई देता है। किदंती है कि, इस दिन वातावरण में उड़ते हुए गुलाल से व्यक्ति के सात्विक गुणों में अभिवृद्धि होती है और उसके तामसिक और राजसिक गुणों का नाश हो जाता है। इससे पूरे वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है। रंगपंचमी पर्व प्राचीन काल से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस त्योहार को अनिष्टकारी शक्तियों से विजय पाने का दिन कहा जाता है। पंचमी पर्व आपसी प्रेम और सौहार्द को दर्शाता है।