सर्दियों का मौसम आते ही मार्किट में गुड़ की गजक दिखने लग जाती हैं। ये देखने में जितनी सुंदर होती है उतने ही स्वाद में भी अच्छी होती है। हिन्दू धर्म में हर खास समय के लिए खास त्यौहार होता है। ठीक इसी तरह का एक त्यौहार है सकट चौथ। जिसे हम तिलकुटा चौथ, संकटा चौथ, संकष्टी चतुर्थी, माघी चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। हिंदू धर्म में सभी चतुर्थी तिथि का अपना खास महत्व है। हर महीने में दो और साल में 24 चतुर्थी आती हैं। हिंदी महिने माघ (ज्यादातर जनवरी के महीने में) की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत व पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं उनकी भगवान गणेश सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि ये व्रत महिलायें बच्चों की लंबी आयु और घर की सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। साल 2023 में सकट चौथ (sakat chauth 2023) का पर्व व व्रत 10 जनवरी 2023, दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। अब जानते हैं सकट चौथ के व्रत का शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा-विधि।
सकट चौथ का व्रत 10 जनवरी, दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक गांव में एक अंधी महिला रहती थी। वह अपने बेटे और उसकी पत्नी के साथ रहती थी और वह भगवान गणेश की भक्त थी। एक बार भगवान गणपति उसके सामने प्रकट हुए और उसे जो कुछ भी चाहिए देने का वादा किया, लेकिन बुढ़िया समझ ही नहीं सकी कि उसे क्या मांगना चाहिए, तब भगवान गणेश ने उसे अपने बेटे और उसकी पत्नी से सलाह और मदद लेने का सुझाव दिया।
पुत्र ने अपनी मां से गणेश जी से धन-संपत्ति मांगने को कहा। हालांकि, दूसरी तरफ उनकी बहू ने नाती की मांग की। यह देखते हुए कि उन दोनों की निजी ज़रूरतें थीं, वह इसके बारे में अपने पड़ोसियों से बात करने गई। उन्होंने उसे आंखों की रोशनी मांगने का सुझाव दिया।
अगले दिन जब भगवान गणेश फिर से प्रकट हुए और उनसे जवाब मांगा, तो उन्होंने सभी सुझावों की कामना की जैसे धन, एक स्वस्थ शरीर, एक पोता, दृष्टि और बहुत कुछ। प्रभु ने उसे उसकी सभी इच्छाओं को पूरा करने का वचन दिया था। जिसके बाद उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो गईं।
वही दूसरी तरफ शास्त्रों से जानकारी मिलती है कि जब भगवान शिव ने जब देवताओं से कहा कि जो सबसे पहले ब्रह्माण्ड का चक्कर लगा के आएगा उसकी पूजा सबसे पहले हुआ करेगी। उसके बाद सब ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने निकल गए तब गणेश जी ने अपने पिता भगवान शिव और माता पार्वती का चक्कर लगाया। उसके बाद उन्होंने कहा कि मेरे लिए माता पिता ही ब्रह्माण्ड हैं। जिसके बाद शिव जी ने फैसला किया कि गणेश जी की पूजा किसी भी अनुष्ठान में सबसे पहले होगी। जिस दिन गणेश जे ने माता पार्वती और भगवन शिव की परिक्रमा की थी उस दिन सकत चौथ तिथि थी।
सकट चौथ का उपवास रखकर, महिलाएं अपनी संतान की लम्बी उम्र के लिए भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करती हैं। सकट चौथ पर गणेशजी के साथ माता सकट देवी की भी पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र की जानकारी रखने वालों से पता चलता है कि सकट चौथ का व्रत रखने से भगवान श्रीगणेश खुश होकर सभी आने वाले दुखों को दूर रखते हैं। शास्त्रों में माघ माह की चतुर्थी का सबसे अधिक महत्व बताया गया है क्योंकि इस दिन भगवान गणेश ने भगवान शिव व माता पार्वती की परिक्रमा की थी। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। जो लोग सकट चौथ के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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✍️By : टीम एस्ट्रोयोगी