
Sandhya Arghya 2025: क्या आपने कभी सोचा है कि छठ पूजा क्यों भारत की सबसे पवित्र और अनोखी परंपराओं में से एक मानी जाती है? यह पर्व मुख्यतः बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। हर साल यह त्योहार परिवार और समाज में एकता का प्रतीक बनता है।
क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन संध्या अर्घ्य होता है? इस दिन व्रती नदी, तालाब या जलाशय के किनारे खड़े होकर सूर्य देव और छठी मैया को जल अर्पित करते हैं। संध्या अर्घ्य व्रती के लिए आध्यात्मिक शुद्धि और मानसिक शांति का अवसर होता है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि साल 2025 में संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) कब और कैसे किया जाएगा? इस साल यह 27 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रहा है। इस दिन सही समय, विधि और तैयारी के साथ अर्घ्य देने से आप अपने जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति कर सकते हैं।
संध्या अर्घ्य का समय सूर्यास्त के साथ जुड़ा होता है। वर्ष 2025 में छठ पूजा के इस दिन का पंचांग निम्नानुसार है:
दिनांक: 27 अक्टूबर 2025, सोमवार
सूर्योदय: सुबह 06:30 बजे
सूर्यास्त: शाम 05:40 बजे
संध्या अर्घ्य का सही समय पंचांग अनुसार ही ग्रहण करना आवश्यक है। इस समय व्रती अर्घ्य स्थल पर खड़े होकर सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं।
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संध्या अर्घ्य 2025 (Sandhya Arghya 2025) का अनुभव सफल और फलदायी बनाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। सबसे महत्वपूर्ण है समय का पालन। सूर्यास्त का सही समय पंचांग अनुसार देखा जाना चाहिए। समय से पहले जलाशय पर पहुंचकर सभी तैयारियाँ पूरी कर लें, ताकि अर्घ्य विधि पूरी भक्ति और ध्यान के साथ दी जा सके।
इसके अलावा, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। अर्घ्य स्थल और उसके आसपास का क्षेत्र पूरी तरह स्वच्छ होना चाहिए। यह न केवल पूजा की पवित्रता को बढ़ाता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
सुरक्षा का ध्यान भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जलाशय के किनारे सावधानी से खड़े रहें और छोटे बच्चों के साथ विशेष ध्यान दें। इस दिन प्रसाद का वितरण भी शुभ माना जाता है। अर्घ्य देने के बाद तैयार प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों में बांटना परंपरा का हिस्सा है और सौहार्द्र बढ़ाने का माध्यम भी है।
अंत में, शांति और ध्यान बनाए रखें। अर्घ्य देने के समय मन में किसी प्रकार की चिंता या उलझन न रखें। पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ अर्घ्य देना ही इस दिन की वास्तविक महत्ता को दर्शाता है और जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक संतुलन लाता है।
संध्या अर्घ्य के लिए सही तैयारी करना बहुत महत्वपूर्ण है। व्रती को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तैयार होना चाहिए।
शुद्ध वस्त्र पहनें: व्रती आम तौर पर पीले या सफेद वस्त्र पहनते हैं।
जलाशय का चयन: नदी, तालाब या जलाशय के किनारे साफ और सुरक्षित स्थान चुनें।
प्रसाद तैयार करें: पारंपरिक प्रसाद जैसे ठेकुआ, फल, सिंघाड़ा, और गुड़ तैयार करें।
दीपक और घी: अर्घ्य देने के लिए दीपक और घी तैयार रखें।
मन और ध्यान: संध्या अर्घ्य के समय पूरी भक्ति और ध्यान में रहें।
संघ्या अर्घ्य के कई लाभ होते हैं। सबसे पहले, यह आध्यात्मिक रूप से व्रती के मन को शांत करता है और भक्ति एवं ध्यान में वृद्धि लाता है। इसके साथ ही, सूर्य को जल अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है, जिससे मानसिक संतुलन और ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा, संध्या अर्घ्य व्रती के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे परिवार में सौहार्द्र और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। अंत में, निर्जला व्रत और अर्घ्य देने से व्रती में संयम और धैर्य की शक्ति बढ़ती है और आत्म-नियंत्रण मजबूत होता है।
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संध्या अर्घ्य की विधि सरल लेकिन बहुत ही पवित्र है। इसे सही ढंग से करने से व्रत का फल और भी बढ़ जाता है।
जलाशय के किनारे स्थान ग्रहण करें: व्रती साफ वस्त्र पहनकर जलाशय के किनारे खड़े होते हैं।
दीपक जलाएँ: घी से बने दीपक को हाथ में लेकर सूर्य की दिशा में रखें।
प्रसाद अर्पित करें: फल, ठेकुआ और सिंघाड़ा को जल में डालकर सूर्य को अर्पित करें।
संकल्प और प्रार्थना: मन में अपने परिवार, स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की प्रार्थना करें।
पूजा के गीत और भजन: इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव के भजन गाने से भक्ति और भी गहरी होती है।
संध्या अर्घ्य में सबसे महत्वपूर्ण है भक्ति, श्रद्धा और संयम। यह दिन व्रती के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति लाता है।
संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya 2025) छठ पूजा का मुख्य दिन है, जो व्रती के लिए आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धि का अवसर है। 27 अक्टूबर 2025 को सूर्यास्त के समय सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य देकर व्रती अपने जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
सही समय पर, सही विधि और पूर्ण भक्ति के साथ संध्या अर्घ्य देने से यह पर्व और भी फलदायी बन जाता है। इस साल अपने परिवार के साथ संध्या अर्घ्य का अनुभव करें और छठ पूजा की दिव्यता का आनंद उठाएँ।