छठ पूजा के 5 सबसे लोकप्रिय लोकगीत

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छठ पूजा के 5 सबसे लोकप्रिय लोकगीत

Chhath Puja Geet: क्या आपने कभी सोचा है कि जब लोकधुनें भारत की मिट्टी में घुल जाती हैं, तो हर त्योहार कैसे और भी पवित्र महसूस होता है? यही तो जादू है छठ पूजा का — एक ऐसा पर्व जो सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि आस्था, संगीत और संस्कृति का सुंदर संगम है।

क्या आपने महसूस किया है कि बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों में छठ पूजा के दौरान कैसी भक्ति की लहर दौड़ती है? जब महिलाएं घाटों पर व्रत रखकर सूर्य देव और छठी मइया की आराधना करती हैं, तो वातावरण में एक अनोखी ऊर्जा भर जाती है।

और जब घाटों से “उग हे सूरज देव” या “कांच ही बांस के बहंगिया” जैसी धुनें गूंजती हैं, तो पूरा माहौल आध्यात्मिक हो उठता है। इन लोकगीतों के बिना छठ अधूरा लगता है। तो चलिए जानते हैं छठ पूजा के 5 सबसे लोकप्रिय लोकगीतों (Chhath Puja Ke Geet) के बारे में, जो हर साल इस पर्व की आत्मा बन जाते हैं।

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छठ पूजा के 5 सबसे लोकप्रिय लोकगीत (Chhath Puja ke 5 Lokgeet)

छठ पूजा का नाम आते ही मन में भक्ति, आस्था और लोकधुनों की मधुर गूंज भर जाती है। जब घाटों पर दीपों की रोशनी झिलमिलाती है और महिलाएं जल में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं, तो वातावरण लोकगीतों की भावनाओं से पवित्र हो उठता है।

1- कांच ही बांस के बहंगिया

कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय

बहंगी लचकत जाय

होई ना बलम जी कहरिया,

बहंगी घाटे पहुंचाय

छठ पूजा टोकरी

कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय

बहंगी लचकत जाय

 

बाट जे पूछेला बटोहिया,

बहंगी केकरा के जाय

बहंगी केकरा के जाय

तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया,

बहंगी छठ मैया के जाय

बहंगी छठ मैया के जाय

ओहरे जे बारी छठि मैया,

बहंगी उनका के जाय

बहंगी उनका के जाय

 

कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय

बहंगी लचकत जाय

होई ना देवर जी कहरिया,

बहंगी घाटे पहुंचाय

बहंगी घाटे पहुंचाय

ऊंहवे जे बारि छठि मैया

बहंगी के उनके के जाय

बहंगी उनका के जाय

 

बाट जे पूछेला बटोहिया

बहंगी केकरा के जाय

बहंगी केकरा के जाय

तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया

बहंगी छठ मैया के जाय

बहंगी छठ मैया के जाय

ऊंहवे जे बारी छठि मैया

बहंगी उनका के जाय

बहंगी उनका के जाय

2- आदित होई ना सहाय 

 

ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से,

ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए ।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय ॥

 

ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से,

ओह पर सुगा मेड़राए ।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए ।

 

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय ॥

 

अमरुदवा जे फरेला खबद से,

ओह पर सुगा मेड़राए ।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए ।

 

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय ॥

 

शरीफवा जे फरेला खबद से,

ओह पर सुगा मेड़राए ।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए ।

 

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय ॥

 

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से,

ओह पर सुगा मेड़राए ।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए ।

 

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय ॥

 

सभे फलवा जे फरेला खबद से,

ओह पर सुगा मेड़राए ।

मारबो रे सुगवा धनुख से,

सुगा गिरे मुरझाए ।

 

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,

आदित होई ना सहाय ॥

 

3- केलवा के पात

केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके

केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके

हो करेलु छठ बरतिया से झांके ऊंके

हम तोसे पूछी बरतिया ऐ बरितया से केकरा लागी

हम तोसे पूछी बरतिया ऐ बरितया से केकरा लागी

हे करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी

हे करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी

हमरो जे बेटवा पवन ऐसन बेटवा से उनके लागी

हमरो जे बेटवा पवन ऐसन बेटवा से उनके लागी

हे करेलू छठ बरतिया से उनके लागी

हे करेलू छठ बरतिया से उनके लागी

अमरुदिया के पात पर उगेलन सुरूज मल झांके झुके

अमरुदिया के पात पर उगेलन सुरूज मल झांके झुके

हे करेलु छठ बरतिया से झांके झुके

हे करेलु छठ बरतिया से झांके झुके

हम तोसे पूछी बरतिया ए बरितिया से केकरा लागी

हम तोसे पूछी बरतिया ए बरितिया से केकरा लागी

हे करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी

हे करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी

हमरो जे स्वामी पवन एसन स्वामी उनके लागी

हमरो जे स्वामी पवन एसन स्वामी उनके लागी

हे करेली छठ बरतिया से उनके लागी

हे करेली छठ बरतिया से उनके लागी

नारियर के पात पर उगेलन सुरूजमल झांके झूके

नारियर के पात पर उगेलन सुरूजमल झांके झूके

हे करेलू छठ बरतिया से झांके झूके

हे करेलू छठ बरतिया से झांके झूके

हम तोसे पूछी बरतिया ए बरतिया से केकरा लागी

हम तोसे पूछी बरतिया ए बरतिया से केकरा लागी

हे करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी

हे करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी

हमरो जे बेटी पवन ऐसन बेटिया से उनके लागी

हमरो जे बेटी पवन ऐसन बेटिया से उनके लागी

हे करेलू छठ बरतिया से उनके लागी

हे करेलू छठ बरतिया से उनके लागी

 

4- हो दीनानाथ

सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ

हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार

सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ

हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार

 

आन दिन उगइ छा हो दीनानाथ

आहे भोर भिनसार, आहे भोर भिनसार

 

आजू के दिनवा हो दीनानाथ

हे लागल एती बेर, हे लागल एती बेर

 

बाट में भेटिए गेल गे अबला

एकटा अन्हरा पुरुष, एकटा अन्हरा पुरुष

 

अंखिया दियेते गे अबला

हे लागल एती बेर, हे लागल एती बेर

 

बाट में भेटिए गेल गे अबला

एकटा बाझिनिया, एकटा बाझिनिया

 

बालक दियेते गे अबला

हे लागल एती बेर, हे लागल एती बेर

5-  जोड़े जोड़े फलवा

जोड़े जोड़े फलवा सुरुज देव
घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो
जोड़े जोड़े फलवा सुरुज देव
घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो
जल बिच खड़ा होई दर्शन ला
आसरा लगावेले हो
जल बिच खड़ा होई दर्शन ला
आसरा लगावेले हो !

शीतली बियरिया शीतल दूजे पनिया
कब देब देवता तू आके दर्शनिया
हां .! शीतली बियरिया शीतल दूजे पनिया
कब देब देवता तू आके दर्शनिया
जोड़े जोड़े सूपवा आदित देव
घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो
जल बिच खड़ा होई दर्शन ला
आसरा लगावेले हो
जल बिच खड़ा होई दर्शन ला
आसरा लगावेले हो !

भुखली शरीरिया सजल शुभे मनवा
पुरुबे लागल बड़ुवे सबके ध्यानवा
हां .! भुखली शरीरिया सजल शुभे मनवा
पुरुबे लागल बड़ुवे सबके ध्यानवा
जोड़े जोड़े दउरा ऐ दीनानाथ
घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो
जल बिच खड़ा होई दर्शन ला
आसरा लगावेले हो
जल बिच खड़ा होई दर्शन ला
आसरा लगावेले हो !

विनय बिहारी लिखले माई के भजनवा
गावेली पलक बेटी धई के ध्यानवा
विनय बिहारी लिखले माई के भजनवा
गावेली पलक बेटी धई के ध्यानवा
जोड़े जोड़े पियरी ऐ गंगा मईया
घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो
जल बिच खड़ा होई दर्शन ला
आसरा लगावेले हो
जल बिच खड़ा होई दर्शन ला
आसरा लगावेले हो !

यह भी पढ़ें: अयोध्या की दिवाली कब है?

 

छठ का गाना क्या सांस्कृतिक महत्व रखता है? (Chhath ka Gana Mahatav)

छठ पूजा के गीत सिर्फ सुरों का मेल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पहचान हैं। वे बताते हैं कि कैसे भारतीय लोकजीवन में प्रकृति, परिवार और ईश्वर का समन्वय है। इन गीतों में स्त्री शक्ति का स्वर है — एक ऐसी शक्ति जो परिवार, समाज और संस्कृति को एक सूत्र में पिरोए रखती है।

भोर में जब घाट पर दीप झिलमिलाते हैं और महिलाएं समूह में गाती हैं –

"उग हे सूरज देव, भइल भोर भइल..."  तो ऐसा लगता है मानो धरती और आकाश दोनों भक्ति में झुक गए हों।

छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है। यह हमें सिखाती है कि सूर्य जैसे उजाले की ओर देखना ही जीवन का सार है। और जब इस आस्था को लोकगीतों की धुन मिलती है, तो वह साधना और भी सुंदर बन जाती है।

इन 5 प्रसिद्ध छठ लोकगीतों के बिना यह पर्व अधूरा है। ये गीत हर घाट, हर घर और हर दिल में आस्था की लौ जलाते हैं।

चाहे आधुनिक संगीत का दौर हो, लेकिन इन गीतों की मधुरता, उनकी सादगी और भक्ति आज भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी सदियों पहले थी।

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