संकष्टी चतुर्थी विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होती है और इस दिन भक्तों द्वारा जीवन में उत्पन्न संकटों के अंत एवं श्रीगणेश की कृपा प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता हैं। साल 2022 में कब है मासिक संकष्टी का व्रत? कब और कैसे करें पूजन? जानने के लिए पढ़ें मासिक संकष्टी 2022।
हिंदू धर्म में आने वाले व्रत एवं त्यौहारों में संकष्टी चतुर्थी का अत्यंत महत्व होता है जो प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित होती है। भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र हैं श्रीगणेश, साथ ही उन्हें शुभ एवं मांगलिक कार्यों में प्रथम पूज्य होने का वरदान प्राप्त है। भगवान गणेश को ही बल, बुद्धि एवं विवेक के प्रदाता माना गया है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे हृदय एवं श्रद्धाभाव से गणेश जी की पूजा करने से भक्त के सभी संकट दूर और मनोकामना पूर्ण होती हैं। यह दिन भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, हर महीने में चतुर्थी तिथि दो बार आती है जिसे लोगों द्वारा बेहद भक्तिभाव से मनाने का विधान हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, वहीं अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता हैं। भगवान गणेश के पूजन के लिए संकष्टी चतुर्थी को विशेष दिन माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माघ माह की पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को बहुत शुभ माना जाता है।
21 जनवरी 2022, शुक्रवार
20 फरवरी 2022, रविवार
21 मार्च 2022, सोमवार
19 अप्रैल 2022, मंगलवार
19 मई 2022, गुरूवार
17 जून 2022, शुक्रवार
16 जुलाई 2022, शनिवार
15 अगस्त 2022, सोमवार
13 सितंबर 2022, मंगलवार
13 अक्टूबर 2022, गुरूवार
12 नवंबर 2022, शनिवार
11 दिसंबर 2022, रविवार
वैदिक मान्यताओं में संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। "संकष्टी" शब्द की उत्पति संस्कृत भाषा से हुई है जिसका अर्थ है ‘मुश्किल समय से मुक्त होना। इस दिन मनुष्य अपने समस्त दुःखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान गणेश की उपासना करते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि पर गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बेहद फलदायी होता है। इस दिन भक्तजन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय होने तक व्रत रखते हैं। संकष्टी चतुर्थी पर विधिपूर्वक श्रीगणेश की पूजा करते है।
भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर भक्त अपने जीवन की परेशानियों और मुश्किल समय से पार पाने के लिए श्रीगणेश की पूजा-अर्चना एवं व्रत करते हैं। हर महीने किये जाने वाले संकष्टी चतुर्थी व्रत को अनेक नामों से भी जाना जाता है। देश के कई हिस्सों में संकष्टी चतुर्थी को संकट हारा कहते हैं तो कहीं-कहीं सकट चौथ भी।
अगर किसी माह में संकष्टी चतुर्थी का पर्व मंगलवार के दिन पड़ता है तो इस पर्व को अंगारकी चतुर्थी कहते है। अंगारकी चतुर्थी 6 महीनों में एक बार आती है और इस दिन उपवास करने से भक्त को समस्त संकष्टी के लाभ की प्राप्ति होती है।
संकष्टी चतुर्थी को दक्षिण भारत के राज्यों में बहुत ही उत्साह और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। ऐसा मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान गणेश का सच्चे हृदय से ध्यान एवं पूजन करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
भगवान गणेश में विश्वास रखने वाले भक्तजन संकष्टी चतुर्थी को व्रत का पालन करते हुए गणेश जी को प्रसन्न कर अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी पर इस प्रकार करें श्रीगणेश का पूजन:
संकष्टी चतुर्थी पर जातक को प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए और व्रती को सबसे पहले स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। संकष्टी चतुर्थी के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, साथ ही माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है।
दैनिक जीवन के कार्यों से निवृत होने के बाद भक्त गणेश जी की पूजा आरंभ करें। जातक को गणपति पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखना चाहिए।
गणेश पूजा में आपको लड्डू, फूल तांबे के कलश में पानी, धुप, चंदन, तिल, गुड़ और प्रसाद में केला या नारियल रख सकते हैं।
आपको ये भी ध्यान रखना होगा कि पूजा के समय देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र भी पास ही रखें। अब भगवान गणेश को रोली का तिलक करें, साथ ही फूल और जल अर्पित करें।
संकष्टी चतुर्थी पर को भगवान गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाना चाहिए। गणेश जी के समक्ष धूप-दीप जलाने के बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
6. पूजा उपरांत आपको खीर, दूध या साबूदाने, फल, मूंगफली आदि का ही सेवन करना चाहिए। संध्याकाल के समय चंद्रोदय से पूर्व गणेश जी की पूजा करें और संकष्टी व्रत की कथा पढ़ें या सुने।
7. संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा संपन्न होने के बाद सभी को प्रसाद दें। रात को चंद्र दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोलें।
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी पर करें कौनसे उपाय? जानने के लिए अभी बात करें एस्ट्रोयोगी पर वैदिक ज्योतिषियों से।
✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी