सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा व पूजन विधि

Fri, Feb 26, 2021
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Fri, Feb 26, 2021
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा व पूजन विधि

भगवान सत्यनारायण को विष्णु का अवतार माना जाता है और हिंदू धर्म में भगवान सत्यनारायण की खूब मान्यता है। सत्यनारायण की पूजा अक्सर बहुत ही शुभ कार्यों में खासकर गृह प्रवेश के दौरान जरूर कराई जाती है। गृह प्रवेश के दौरान या फिर शादी के बाद नव जोड़े के लिए सत्यनारायण भगवान की कथा कराई जाती है। आपको बता दें कि साल के बारह महीनों में पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत और पूजा की जाती है। भव‌िष्य पुराण में बताया गया है क‌ि कलयुग में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला अगर कोई व्रत और कथा है तो वह है श्री सत्यनारायण भगवान की है।

 

भारत के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषाचार्य ऑनलाइन परामर्श देने के लिए एस्ट्रोयोगी पर 24/7 उपलब्ध हैं। परामर्श लेने के लिए यहाँ क्लिक करें!

 

सत्यनारायण पूजा का महत्व

विष्णु अवतार भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा का विशेष महत्व है। कलयुग में उनकी कथा को सुनना बहुत ही प्रभावशाली माना गया है, जो लोग पूर्णिमा के दिन कथा नहीं सुन पाते हैं वो कम से कम भगवान सत्यनारायण का मन में ध्यान कर लें तो भी विशेष लाभ होता है। पुराणों में बताया गया है कि जिस स्थान पर भी श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है, वहां गौरी-गणेश, नवग्रह और समस्त दिक्पाल आ जाते हैं, केले के पेड़ के नीचे अथवा घर के ब्रह्म स्थान पर पूजा करना उत्तम फल देता है।

 

सत्यनारायण पूजा की विधि

  • इस दिन श्रद्धालु पूरे भक्ति-भाव के साथ सत्यनारायण भगवान के लिए व्रत रखते हैं। शाम के समय ‘भगवान सत्यनारायण’ व “विष्णु जी” की विधिवत पूजा की जाती है।
  • सबसे पहले श्रद्धालुओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने से पहले जिस जगह भगवान की पूजा करनी है, उस स्थान को गाय के गोबर से पवित्र करना चाहिए। पूजा की चौकी रखी जाए। इस चौकी के चारों पाये के पास केले के पत्ते या फिर वृक्ष लगाएं जाते हैं। इस चौकी पर ठाकुर जी और सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है।
  • इस दौरान कथा भी सुनी जाती है। सत्यनारायण भगवान की पूजा शाम के वक्त बहुत ही शुभ मानी जाती है। पूजा की समाप्ति के बाद भक्त प्रसाद वितरण करते है तत्पश्चात दिनभर का उपवास तोड़ते हैं। सत्यनारायण की पूजा में केले के पत्ते व फल के अलावा पंचामृत, पंचगव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा की आवश्यकता होती जिनसे भगवान की पूजा होती है।

 

सत्यनारायण व्रत को करने के लाभ

आपको बता दें इस व्रत को रखने का सबसे बड़ा लाभ तो कथा के अंदर ही है, जब नारद जी ने मनुष्य के दुखों से दुखी होकर विष्णु जी से उसका समाधान पूछा था। अर्थात सत्यानारायण व्रत व पूजा को करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा अच्छे कामों में आने वाली बाधाएं भी इस व्रत को रखने से दूर हो जाती हैं। 

  • भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से धन और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है और मन में जो इच्छा हो वो भी पूर्ण हो जाती है। इसके अलावा संतान सुख के अभाव में अगर सत्यनारायण भगवान की पूजा कर ली जाए तो निश्चित ही संतान की प्राप्ति होती है।
  • अगर आपको अपने शत्रु पर जीत हासिल करनी है तो भी भगवान सत्यनारायण की पूजा करना काफी लाभदायक साबित हो सकता है। यदि आप अवैध रूप से धनार्जन करते है और आप सत्यनारायण व्रत करते है तो निश्चित ही मुक्ति मिलेगी।

 

सत्यनारायण भगवान की कथा

भगवान सत्यनारायण की कथा को स्कंदपुराण में संकलित किया गया है। इस पुराण के रेवाखंड में ये कथा आपको मिल जाएगी। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है और उन्हीं रूपों में से एक हैं भगवान सत्यनारायण, जिनकी कथा हम यहां आपको बता रहे हैं। 

एक बार की बात है जब नारद जी मनुष्यों को अपने कर्मों द्वारा अनेकों दुखों से पीड़ित देखकर काफी दुखी हुए और उनके हितों की इच्छा अनेकों लोको में घूमते हुए मृत्युलोक में आ पहुंचे। नारद जी सोचने लगे कि कैसा यत्न किया जाए जिसके करने से निश्चित रुप से मानव के दुखों का अंत हो जाए। इसी विचार पर मनन करते हुए वह विष्णुलोक में गए। वहां उन्होंने विष्णु भगवान की स्तुति की। भगवान विष्णु ने नारायण जी पूछा कि आप किस प्रयोजन से यहां आये हैं, आपके मन में क्या है? कहिये, वह सब कुछ मैं आपको बताउंगा, नारद जी बोले – भगवन! मृत्युलोक में अपने पापकर्मों के द्वारा विभिन्न योनियों में उत्पन्न सभी लोग बहुत प्रकार के क्लेशों से दुखी हो रहे हैं। हे नाथ! किस लघु उपाय से उनके कष्टों का निवारण हो सकेगा, यदि आपकी मेरे ऊपर कृपा हो तो वह सब मैं सुनना चाहता हूं उसे बतायें, तब भगवान विष्णु ने कहा – हे वत्स! संसार के ऊपर अनुग्रह करने की इच्छा से आपने बहुत अच्छी बात पूछी है। आज मैं आपको ऐसे व्रत के बारे में बताता हूं, जिसे रखने से प्राणी मोह से मुक्त हो जाता है। भगवान विष्णु ने कहा हे वत्स! स्वर्ग और मृत्युलोक में दुर्लभ भगवान सत्यनारायण का एक महान पुण्यप्रद व्रत है, आपके स्नेह के कारण इस समय मैं उसे कह रहा हूं, अच्छी प्रकार विधि-विधान से भगवान सत्यनारायण व्रत करके मनुष्य शीघ्र ही सुख प्राप्त कर परलोक में मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

भगवान की इन बातों को सुनकर नारद मुनि ने कहा -प्रभु इस व्रत को करने का फल क्या है? इसका विधान क्या है? इस व्रत को किसने किया और इसे कब करना चाहिए? जवाब में भगवान ने कहा दुख व शोक को दूर करने वाला यह सभी स्थानों पर विजय दिलाने वाला है। मानव को भक्ति व श्रद्धा के साथ शाम को श्रीसत्यनारायण की पूजा धर्म परायण होकर ब्राह्मणों व बंधुओं के साथ करनी चाहिए। भक्ति भाव से ही नैवेद्य, केले का फल, घी, दूध और गेहूँ का आटा सवाया लें। गेहूँ के स्थान पर साठी का आटा, शक्कर तथा गुड़ लेकर व सभी भक्षण योग्य पदार्थो को मिलाकर भगवान का भोग लगाएँ।

कथा सुनकर ब्राह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए, इसके पश्चात् बन्धु-बान्धवों के साथ ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करके नृत्य-गीत आदि का आयोजन करना चाहिए।

 

2021 में सत्यनारायण पूजा की लिस्ट

  • 27 फरवरी 2021, शनिवार (माघ मास, पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 6:15 बजे

  • 28 मार्च 2021, रविवार (उत्तरी फाल्गुन, पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 6 बजकर 33 मिनट पर 

  • 27 अप्रैल 2021, मंगलवार (चैत्र, पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 6 बजकर 50 मिनट पर

  • 26 मई 2021, बुधवार (वैशाख, पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 5 बजकर 29 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 7 बजकर  7 मिनट पर

  • 24 जून 2021, गुरुवार (ज्येष्ठ, पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 5 बजकर 28 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 18 मिनट पर

  • 24 जुलाई 2021, शनिवार (आषाढ़, पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 12 मिनट पर

  • 22 अगस्त 2021, रविवार (श्रावण, पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 5 बजकर 57 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 6 बजकर 49 मिनट पर

  • 20 सितंबर 2021, सोमवार (भाद्रपद पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर
सूर्योदय- शाम 5 बजकर 42 मिनट पर

  • 20 अक्टूबर 2021, बुधवार (आश्विन, पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 5 बजकर 42 मिनट पर

  • 19 नवंबर 2021, शुक्रवार (कार्तिक पूर्णिमा)

सूर्योदय-  सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर
सूर्यास्त 5 बजकर 21 मिनट पर

  • 19 दिसंबर 2021, रविवार (मार्गशीर्ष पूर्णिमा)

सूर्योदय- सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 5 बजकर 23 मिनट पर 
 

और भी पढ़ें 

सत्यनारायण कथाश्री सत्यनारायण आरती । माघ पूर्णिंमा 

article tag
Pooja Performance
Spiritual Retreats and Travel
article tag
Pooja Performance
Spiritual Retreats and Travel
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!