आपकी कुंडली का हर भाव आपके जीवन के किसी खास क्षेत्र के बारें में बता सकता है। आज हम नवम भाव के बारे में जानेंगे। इसे "धर्म भाव" या "भाग्य भाव" भी कहा जाता है। यह भाव विदेश यात्रा, धर्म के प्रति रुझान, उच्च शिक्षा, दर्शनशास्त्र और भाग्य को दर्शाता है। आइए, नवम भाव के ग्रहों के प्रभाव को ज्योतिष के नजरिए से समझते हैं।
नवम भाव का स्वामी ग्रह बृहस्पति होता है। मजबूत बृहस्पति और शुभ ग्रहों की उपस्थिति इस भाव को बलवान बनाती है, जिसके फलस्वरूप जातक को इन क्षेत्रों में सफलता मिलती है। वहीं, कमजोर बृहस्पति और अशुभ ग्रहों की मौजूदगी से जुड़ी कुछ परेशानियां भी सामने आ सकती हैं।
बृहस्पति: कुंडली के नवम भाव में मजबूत बृहस्पति आपको विदेश यात्रा करने का अवसर देता है। आप इससे विदेश में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और इसकी वजह से ही आप धर्म के क्षेत्र में भी रुचि रख सकते हैं।
शुक्र: शुक्र की उपस्थिति कलात्मक और सौन्दर्य से जुड़े विषयों में रुचि जगा सकती है।
राहु: नवम भाव में राहु की उपस्थिति आपकी विदेश यात्रा में बाधाएं डाल सकती है। आपको आध्यात्मिक भ्रम भी हो सकता है।
मंगल: कुंडली के नवम भाव में मंगल की उपस्थिति विदेश यात्राओं में दुर्घटनाओं का संकेत दे सकती है।
अगर आपके नवम भाव में कोई अशुभ ग्रह है तो आप ज्योतिषीय उपायों की मदद ले सकते हैं। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
बृहस्पति ग्रह की उपासना: गुरुवार के दिन पीले वस्त्र पहनकर विष्णु जी की पूजा करें और पीली वस्तुओं का दान करें।
विदेश यात्रा के लिए उपाय: ॐ बृहस्पति देवाय नमः मंत्र का जाप करें।
धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें: इससे आपकी आध्यात्मिक रुचि बढ़ेगी।
कुछ लोगों को लगता है कि नवम भाव सिर्फ धर्म से जुड़ा है। हालांकि, यह सच नहीं है। जैसा कि बताया गया है, यह भाव विदेश यात्रा, उच्च शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति जैसे क्षेत्रों को भी दर्शाता है।
नवम भाव आपके जीवन में जिज्ञासा, ज्ञान की प्राप्ति और आध्यात्मिक विकास को दर्शाता है। ज्योतिषीय विश्लेषण आपको इस भाव को समझने और मजबूत बनाने में मदद कर सकता है।
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