Shaligram Near Tulsi Plant: शालिग्राम को तुलसी के साथ विराजित करने के लिए दिशा का विशेष महत्व होता है। शालिग्राम को तुलसी की पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि शालिग्राम भगवान विष्णु का रूप है और तुलसी के पास शालिग्राम रखने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है।
हिन्दू धर्म में तुलसी को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है। तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। वहीं, शालिग्राम भगवान विष्णु का विग्रह रूप हैं और तुलसी माता के पति भी। इसलिए, तुलसी के पौधे में शालिग्राम स्थापित करना शुभ माना जाता है। तुलसी पूजा (tulsi pooja) में शालिग्राम का विशेष महत्व है क्योंकि शालिग्राम के बिना तुलसी घर में रखना निषेध है।
मान्यता है कि तुलसी के पौधे में शालिग्राम स्थापित करने से माता तुलसी का वास घर में पूरी तरह होता है। शास्त्रों में शालिग्राम को तुलसी में स्थापित करने के विशेष नियम दिए गए हैं जिनका पालन करना आवश्यक है।
स्थान चयन: शालिग्राम को तुलसी(tulsi) की जड़ों की तरफ रखें और ध्यान दें कि उनकी दिशा पूर्व हो।
दिशा: शालिग्राम को स्थापित करते समय उनका मुख पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।
स्थापना सामग्री: शालिग्राम को कभी भी सीधे मिट्टी पर नहीं रखना चाहिए। शालिग्राम को चांदी के सिंहासन पर या तांबे के किसी छोटे बर्तन, जैसे कटोरी में रख कर तुलसी के पौधे में स्थापित करना चाहिए।
शालिग्राम और तुलसी (Shaligram aur Tulsi) की संयुक्त पूजा से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। पश्चिम दिशा में मुख रखने से मां लक्ष्मी की कृपा और शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और शुभ फल मिलते हैं।
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शालिग्राम को तुलसी की जड़ों की तरफ पूर्व दिशा में रखते हुए स्थापित करें। उनका मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए, जिससे लक्ष्मी माता की कृपा और शनि का शांत प्रभाव बना रहे।
यदि आपके घर में भी तुलसी का पौधा है और आप उसमें शालिग्राम भगवान को स्थापित करना चाहते हैं, तो इस लेख में दी गई जानकारी का पालन करें। इससे आपको पूजा का पूर्ण फल मिलेगा और घर में शांति और समृद्धि बनी रहेगी।