शरद पूर्णिमा 2025: इस शरद पूर्णिमा पर जरूर करें ये काम चंद्र रात्रि में खीर हो जाती है अमृत सामान

Wed, Aug 27, 2025
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शरद पूर्णिमा 2025: इस शरद पूर्णिमा पर जरूर करें ये काम चंद्र रात्रि में खीर हो जाती है अमृत सामान

Sharad purnima 2025: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का अपना एक अलग महत्व है। पंचांग के अनुसार इस बार 6 अक्टूबर 2025 को शरद पूर्णिमा पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन रात के वक्त चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर रात के करीब 12 बजे पृथ्वी पर अमृत वर्षा करता है। इस अमृत को प्राप्त करने के लिए जनमानस चांद की रोशनी के तले खीर बनाकर रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरद पूर्णिमा की खीर का क्या महत्व है और इससे क्या लाभ होता है? 

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साल 2025 में कब शरद पूर्णिमा? जानें शुभ मुहूर्त (sharad purnima 2025 kab hai)

शरद पूर्णिमा या कहें कोजागर व्रत अश्विन माह की पूर्णिमा को रखा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष यह तिथि 16 अक्तूबर को है।

शरद पूर्णिमा सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 को

पूर्णिमा तिथि आरंभ: अक्टूबर 06, 2025 को दोपहर 12:23 बजे से,

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर 2024 को सुबह 09:16 बजे तक।

शरद पूर्णिमा खीर का महत्व (Sharad Purnima Mahatav)

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा के प्रकाश से अमृत वर्षा होती है। ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक होती हैं। शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। शरद पूर्णिमा वाले दिन भगवान शिव को खीर अवश्य अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद खीर को चांद की रोशनी में रखना चाहिए और सुबह अमृत वाली खीर को ग्रहण करना चाहिए। प्रसाद वाली खीर ग्रहण करने से घर में सुख-समृद्धि, व्यापार और करियर में वृद्धि और इंसान निरोगी बना रहता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था और भगवान कृष्ण ने गोपियों संग वृंदावन के निधिवन में रासलील रचाई थी।

अमृत वाली खीर खाने के लाभ

  • जिनकी आंखों की रोशनी कम है उन्हें दशहरे से लेकर शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन चंद्रमा को एकटक निहारना चाहिए। ऐसा करने से आपकी आंखें बिल्कुल ठीक हो सकती हैं और आपकी आंखों की रोशनी भी बढ़ सकती है।

  • यदि आप हमेशा खुद को सुस्त महसूस करते हैं तो आपको शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी जाने वाली खीर का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आप ऊर्जावान हो सकते हैं।

  • पूर्णिमा की रात्रि अस्थमाग्रस्त मरीजों, चर्मरोगियों के लिए वरदान है। माना जाता है कि अमृत वाली खीर खाने से अस्थमा से और चर्मरोग से आराम मिल सकता है।

  • कहा जाता है कि अमृत वाली खीर खाने से हृदय संबंधी और फेफड़े संबंधी बीमारियां ठीक हो सकती हैं। 

  • पूर्णिमा की रात्रि में जप, तप और पूजन करने से मानसिक और शारीरिक शक्तियों में विकास होता है। 

  • इस रात्रि में सुई धागा पिरोने का 100 बार अभ्यास करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

  • शरद पूर्णिमा के दिन अविवाहित कन्याएं यदि चंद्र देव और सूर्यदेव के साथ भगवान शिव की भी पूजा करती हैं तो निश्चितरूप से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। 

  • शरद पूर्णिमा की रात्रि में चांद की किरणों को यदि गर्भवती महिला अपनी नाभि में लेती हैं तो उनका गर्भ पुष्ट रहता है। 

शरद पूर्णिमा की कथा (sharad purnima ki katha)

शरद पूर्णिमा जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पृथ्वी पर अमृत वर्षा करता है। इस अमृतमयी चाँदनी का विशेष महत्व है।

पौराणिक कथा

पुराणों में एक कथा आती है –

बहुत समय पहले एक धनी साहूकार था। उसकी दो बेटियाँ थीं। दोनों ही बहुत सुंदर और गुणवान थीं। दोनों बेटियाँ प्रतिदिन व्रत और पूजा करती थीं, परंतु बड़ी बेटी व्रत-पूजा में नियम का पालन नहीं करती थी जबकि छोटी बेटी पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से व्रत करती थी।

समय बीतने पर दोनों बेटियों की शादी हो गई। संयोग से बड़ी बेटी को कोई संतान नहीं हुई जबकि छोटी बेटी के घर बहुत सुंदर और तेजस्वी संतान पैदा हुई।

एक दिन बड़ी बेटी ने अपनी माँ से पूछा –
“माँ! यह क्या कारण है कि मैं भी व्रत करती थी, फिर भी मेरे घर संतान नहीं हुई और छोटी बहन के यहाँ सुख-समृद्धि और संतान सब कुछ है?”

माँ ने जवाब दिया –
“बेटी! तुम व्रत-पूजा में नियमों का पालन नहीं करती थीं, इसीलिए तुम्हें यह फल नहीं मिला। तुम्हारी छोटी बहन ने पूरी श्रद्धा और नियम से शरद पूर्णिमा का व्रत किया, इसी कारण उसके जीवन में संतान सुख और समृद्धि आई।”

यह सुनकर बड़ी बेटी ने भी संकल्प लिया और पूरे श्रद्धा-भाव से शरद पूर्णिमा का व्रत किया। भगवान की कृपा से उसे भी संतान की प्राप्ति हुई।

यह भी पढ़ें: साल 2025 में इस दिन रख सकेंगे पूर्णिमा व्रत!

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